आइज स्पेशलिस्ट के बागीचे में सेब ही सेब

ऊना—ऊना की गर्म फिजाओं में भी सेब की खुशबू महकने लगी है। पेशे में नेत्र रोग विशेषज्ञ ऊना निवासी डा. सीएस चौहान ने अपने बगीचे में सेब की फसल तैयार कर यह कारनामा कर दिखाया है। हालांकि डा. सीएस चौहान नेत्र रोगियों के उपचार में ही अपना सारा दिन निकालते हैं, लेकिन बागबानी में रुचि होने के चलते उन्होंने करीब चार साल पहले ऊना की रक्कड़ कालोनी में (नजदीक गोशाला) अपनी जमीन में सेब के चार पौधे लगाए। इनके लिए इन्होंने हमीरपुर जिला से सेब के प्लांट खरीदे। हर साल डा. सीएस चौहान ने इन सेब के पौधों को सहेजे रखा। इसके चलते तीसरे साल इनकी मेहनत रंग लाई। सेब के इन पौधों ने तीसरे साल फल देना शुरू किया, लेकिन इस साल यह पौधे पूरी तरह से फ्रूट तैयार नहीं कर पाए। इसके चलते डा. सीएस चौहान ने चौथे साल भी इन पौधों की देखभाल की। अब चौथे साल में इन चार सेब के पौधों ने भरपूर फ्रूट दिया है। जोकि अपने आप में ही एक उपलब्धि है। एक ओर जहां ऊना की प्रचंड गर्मी में वर्तमान में कई फसलें मुरझा चुकी हैं। वहीं, सीएस चौहान के बगीचे में इन सेब पौधों पर फ्रूट पूरी तरह लहरा है। जोकि अपनी ओर लोगों को आकर्षित कर रहा है। अब तक इन सेब के पौधों से करीब 200 किलोग्राम तक फू्रट तैयार हो चुका है। बता दें कि सेब की फसल अधिकतर अक्तूबर या फिर नवंबर माह में तैयार होती है, लेकिन ऊना में जून माह में ही सेब की फसल तैयार हो गई। ऐसे में पेशे से डाक्टर ने किसान, बागबानों को भी चुनौती तैयार कर दी है। ऐसे में किसान, बागबानों को भी इस ओर अपनी रुचि दिखानी चाहिए। एक ओर डा. सीएस चौहान जहां नेत्र चिकित्सा शिविर लगाकर आम लोगों की सेवा भी कर रहे हैं। वहीं, दूसरी ओर बागबानी में रुचि होने के चलते पर्यावरण संरक्षण को लेकर भी गंभीर हैं। डा. सीएस चौहान ने कहा कि लोगों को किसान, बागबानी करने के साथ ही पर्यावरण संरक्षण को लेकर भी गंभीर रहना चाहिए। उन्होंने कहा कि सेब के पौधे तैयार करने के लिए चार साल तक का समय लगा है। उन्होंने कहा कि अब सेब के पौधों ने फ्रूट देना शुरू कर दिया है। इन पौधों में भरपूर फसल लहरा रही है। डा. सीएस चौहान का कहना है कि बागबानी में रुचि होने के चलते उन्होंने अपनी निजी भूमि पर बगीचा लगाया हुआ है। इसमें पहले संतरा, अखरोट, बादाम, लिच्ची, आम सहित अन्य कई पौधे लगे हुए हैं। अब इनके साथ सेब का फ्रूट भ जुड़ गया है। उन्होंने कहा कि आगामी भविष्य में वह सेब के और पौधे लगाएंगे। उन्होंने कहा कि किसान, बागबानों को भी इस ओर अपनी रुचि दिखानी चाहिए।