इसी माह साफ होगी फोरलेन की तस्वीर

By: Jun 11th, 2019 12:02 am

 सड़कें चौड़ी होंगी या नहीं, 20 को एनएचएआई हाई कोर्ट में एफिडेबिट से बताएगी

हमीरपुर —लोकसभा चुनावों के बाद प्रदेश की सबसे महत्त्वाकांक्षी परियोजना फोरलेन के निर्माण पर यहां की भौगोलिक परिस्थितयों ने अचानक ब्रेक लगा दी है। अचानक अब यह कहा जाने लगा है कि हिमाचल में अब फोरलेन नहीं बल्कि डबललेन सड़कें की बनेंगी। इसके पीछे हवाला यह दिया जा रहा है कि प्रदेश में फोरलेन के निर्माण से दरक रहे पहाड़ों और भौगोलिक परिस्थितियों के मद्देनजर यह प्रस्ताव तैयार किया जा रहा है। विश्वसनीय सूत्रों से जानकारी मिली है कि इसी माह फोरलेन की तस्वीर साफ हो जाएगी कि भविष्य में प्रदेश में फोरलेन बनेंगे या फिर टू लेन से ही संतोष करना पड़ेगा। प्रदेश में तैनात एनएचएआई (नेशनल हाई-वे ऑफ अथॉरिटी) के अधिकारी इस मसले को लेकर 20 जून को  उच्च न्यायालय में एफिडेबिट फाइल करने जा रहे हैं। बताते हैं कि इससे पूर्व उक्त अधिकारियों की दिल्ली स्थित हैडक्वार्टर में एनएचएआई के आला अफसरों के साथ आगामी दो दिनों के भीतर मंत्रणा होने वाली है। इसमें एनएचएआई का भविष्य में इस परियोजना को लेकर क्या स्टैंड रहेगा, इस पर चर्चा होनी है। प्रदेश में तैनात एनएचएआई के अधिकारी उसी चर्चा के बाद हाईकोर्ट में शपथ पत्र देंगे। बताते चलें कि प्रदेशभर के हजारों ऐसे परिवारों की नजरें अब इस परियोजना पर लगी हैं, जिनकी जमीनें इस परियोजना के निर्माण में आनी हैं। चुनावों के बाद आए सरकार के फैसले के बाद वे भी अधर में लटक गए हैं क्योंकि उन्होंने जैसे-तैसे खुद को इसके लिए राजी कर लिया है और अब भौगोलिक परिस्थितियों को नया पेंच इस परियोजना के निर्माण में फंस गया है।  गौर हो कि हिमाचल में चार फोरलेन प्रस्तावित हैं। इनमें कीरतपुर-मनाली, पठानकोट मंडी, मटौर-शिमला और परवाणू-शिमला फोरलेन शामिल हैं। भले ही इन फोरलेन के निर्माण में पेंच फंसा है, लेकिन य  ये बन गए तो प्रदेश की तस्वीर बदलेगी।

वाहनों के बढ़ते बोझ के लिए एनएच नाकाफी

फोरलेन निर्माण के लिए 45 से 50 मीटर चौड़ी जमीन का अधिग्रहण करना होता है, जबकि डबललेन सड़क करीब 24 मीटर चौड़ी होती है। प्रदेश में जिन नेशनल हाई-वे की जगह फोरलेन बनाने की बात हो रही है। वहां सड़कें मौजूदा समय में सर्पीली हैं। अगर उनकी ही मैंटेनेस करवाई जाती है तो न वाहनों की स्पीड पर कोई फर्क पड़ेगा और न ही वाहनों का बोझ कम हो पाएगा, जबकि फोरलेन से एक तो मार्ग सीधा बनेगा साथ ही वाहनों को चलने के लिए भी खुला स्पेस मिलेगा।  जिस तरीके से टूरिस्ट सीजन में वाहन हर साल बढ़ रहे हैं, उस हिसाब से तो यह तय है कि मौजूदा नेशनल हाई-वे नाकाफी साबित होंगे।


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