कमरे में एंडोस्कोपी मशीन कैद
हमीरपुर—डा. राधाकृष्णन मेडिकल कालेज की एंडोस्कोपी मशीन बंद कमरे में धूल फांक रही है। करीब दो वर्ष से एंडोस्कोपी मशीन की सुविधा मरीजों को नहीं मिल सकी। स्पेशलिस्ट तैनात न होने के कारण सुविधा शुरू नहीं की जा रही। माना जा रहा है कि दो वर्ष पहले किसी डाक्टर को एंडोस्कोपी करने आती थी, उसी समय उसे यहां स्थापित कर दिया गया। हालांकि उस डाक्टर की ट्रांसफर के बाद इस मशीन को संचालित करने वाला कोई स्पेशलिस्ट नहीं मिला। ऐसे में मेडिकल कालेज की एंडोस्कोपी मशीन कमरे में पैक है। अगर एंडोस्कोपी की जरूरत पड़ जाए तो बाहरी निजी अस्पतालों में करवानी पड़ती है या फिर टांडा या आईजीएमसी जाना पड़ता है। बता दें कि डा. राधाकृष्णन मेडिकल कालेज में मरीजों की ओपीडी में दोगुना इजाफा हो गया है। क्षेत्रीय अस्पताल होने के दौरान यहां किसी चिकित्सक को एंडोस्कोपी करना आता था। उस समय किसी माध्यम से मशीन को अस्पताल में स्थापित करवा दिया गया। बाद में इस चिकित्सक का यहां से तबादल हो गया। मेडिकल कालेज बनने के उपरांत यहां मरीजों की संख्या लगातार बढ़ती गई। वर्तमान में हालात ऐसे हैं कि क्षेत्रीय अस्पताल के मुकाबले मेडिकल कालेज में अब ओपीडी दोगुनी हो गई है, लेकिन हैरत की बात है कि जो एंडोस्कोपी की सुवधिा क्षेत्रीय अस्पताल में थे, वे अब मेडिकल कालेज में नहीं है। ऐसे में एंडोस्कोपी के मरीजों को भटकना पड़ता है। सूत्रों की माने तो एंडोस्कोपी के लिए सुपर स्पेशलिस्ट की आवश्यकता होती है। इस कारण इस मशीन को संचालित नहीं किया जा रहा। मेडिकल कालेज में एंडोस्कोपी को संचालित करने वाला कोई सुपर स्पेशलिस्ट नहीं है। ऐसे में एंडोस्कोपी की सुविधा नहीं मिल पा रही। एंडोस्कोपी न होने के चलते मरीजों को बाहरी निजी अस्पतालों में महंगी दरों पर एंडोस्कोपी करवानी पड़ती है। निजी अस्पतालों में मनमर्जी के दाम हैं। इस कारण मरीजों को आर्थिक नुकसान उठाना पड़ रहा है। फिलहाल मेडिकल कालेज में एंडोस्कोपी की सुविधा शुरू होने पर शंसय ही बना हुआ है।
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