कर लो खेती… आधे से ज्यादा कृषि केंद्रों पर ताले
ऊना—केंद्र व प्रदेश सरकारें किसानों के लिए विभिन्न योजनाएं शुरू कर रही हैं, लेकिन कृषि विभाग के सुस्त रवैये के चलते किसानों को इन योजनाओं का लाभ नहीं मिल पा रहा है। जिला में आधे से ज्यादा विक्रय केंद्र बंद पड़े हुए हैं, जो सेल्स सेंटर खुले हैं उनपर बीज मिलने का कोई उचित प्रबंध नहीं है। कई कृषि विक्रय केंद्र तो समय पर खुलते तक नहीं है। इसके चलते किसानों को परेशानियों का सामना करना पड़ता है। विभाग की लापरवाही के चलते देश के अन्नदाता को 21वीं शताब्दी में भी बीज लेने के लिए घंटों लाइनों में इंतजार करना पड़ता है। पुख्ता इंतजाम न होने के चलते किसान निजी दुकानों से ही बीज खरीदने को मजबूर हो हैं। कृषि विभाग ऊना के पास अभी तक ये आंकड़े ही मौजूद नहीं है कि किस ब्लॉक में कितना बीज सबसिडी पर वितरित करने के लिए भेजा गया है और न ही कृषि विभाग ऊना के अधिकारी यह बता पा रहे हैं कि किन-किन बीज विक्रय केंद्रों पर बीज उपलब्ध हैं और किन पर नहीं। सरकार द्वारा कृषि विभाग के माध्यम से किसानों को मक्की की फसल पर तीन हजार रुपए प्रति क्विटंल तथा चरी के बीज पर 50 फीसदी अनुदान प्रदान किया जाता है। लेकिन इन योजनाओं का उचित ढंग से प्रचार-प्रसार न हो पाने के चलते किसानों तक यह लाभ नहीं पहंुच पाता है। मक्की का सिंगल क्रॉस बीज 63.25 पैसे तथा डबल क्रॉस 48 रुपए प्रति किलो के हिसाब से मिलेगा, लेकिन ऊना जिला के अधिकारियों के पास अभी तक यह आंकड़ा उपलब्ध नहीं है कि किस ब्लॉक में कितना बीज भेजा है या फिर भेजा जाना है। वहीं, कृषि उपनिदेशक, ऊना सुरेश कपूर ने कहा कि जिलाभर में 2605 क्विटंल मक्की का बीज मंगवाया गया है। स्टाफ की कमी के बारे में सरकार व उच्चाधिकारियों को बताया गया है। किसानों को कोई परेशानी न हो इसके लिए विभाग पूरी तरह से प्रयासरत है।
स्टाफ की कमी किसानों पर पड़ने लगी भारी
कृषि विभाग में चल रही स्टाफ की कमी का खामियाजा किसानों को भी भुगतना पड़ता है। कृषि विक्रय केंद्रों पर स्टाफ पूरा न होने के चलते बीज विक्रय केंद्रों समय पर नहीं खुल पाते हैं। विभाग के एक सेल्समैन को दो से तीन विक्रय केंद्रों की जिम्मेदारी सौंपी गई है। इसके चलते कर्मचारियों के साथ-साथ किसानों को भी परेशानी झेलनी पड़ती है।
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