कविता

By: Jun 5th, 2019 12:03 am

परिदों की तरह अंबर में उड़ना है,

हर ऊंचाई के दौर को याद करना है।

गहराईयों से ऊंचाईयों तक, आगाज इक ऐसा करना है।

लहरों से लड़ने के लिए

छोर से संमदर की ओर बढ़ने के लिए

आज लक्ष्य प्राप्ति  के मार्ग पर,

तैयार रह कुछ भी समर्पित करने के लिए।

नई उम्मीदें नया आगाज लेकर

सफलता की एक नई आवाज लेकर,

उमंग और उल्लास लेकर,

निकल जा जाबांज इरादे लेकर।

डूबने का आज तुझे डर नहीं,

जिंदगी-मौत की फिकर नहीं, आंधी और तुफान  के बिना मिल सकता कोई शिखर नहीं।

 लहरों की ओर अपना मुख घुमा दे, चीर कर निकलना है ऐसा लक्ष्य बना दें, तेरी सफलता का शोर चारों ओर गूंजे, ए तैराकी कुछ ऐसा कर दिखा दे।

-रमन, किशनपुरा, जिला सोलन

 


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