कांगड़ा यात्री सदन ट्रस्ट की पार्किंग में गाडि़यां ‘कैद’

By: Jun 13th, 2019 12:02 am

सुबह नौ बजे तक पार्किंग का ताला न खुलने पर श्रद्धालुओं  के वाहन नहीं निकल पाए बाहर, गर्मी से भक्तों का हाल बेहाल

कांगड़ा –शहर के यात्री सदन स्थित मंदिर ट्रस्ट की पार्किंग में बुधवार को उस समय अफरा-तफरी फैल गई, जब श्रद्धालुओं की गाडि़यां बाहर न निकल पाई। यहां गेट पर सुबह ताला जड़ा हुआ था और भीतर श्रद्धालुओं की गाडि़यों में भक्त ताला खुलने का इंतजार कर रहे थे । मंदिर ट्रस्ट का  यात्री सदन भी इसी परिसर के भीतर है। इन श्रद्धालुओं ने देवियों के दर्शन करने थे और कुछ ने घर वापस लौटना था। ऐसे भक्त भी थे, जिन्होंने वैष्णो देवी दर्शन के लिए जाना था, लेकिन ताला न खुल पा रहा था। गर्मी में मां के भक्त परेशानी के आलम में थे कि कब यात्री सदन की पार्किंग  के गेट का ताला खुले और वह बाहर निकले। सुबह करीब नौ बजे तक पार्किंग का गेट न खुल पाया था। वैसे 4.30 करोड़ रुपए की लागत से बनी पार्किंग को श्रद्धालुओं के वाहनों के लिए शुरू किया गया था, लेकिन आज श्रद्धालु इस पार्किंग में कैद होकर रह गए, वे इधर-उधर फोन घुमा रहे थे कि किसी तरह से ताला और वे रवाना हो, लेकिन उनके प्रयास विफल रहे। लोगों का कहना है कि अकसर यहां गेट पर ताला रहने से वाहन चालकों व श्रद्धालुओं को परेशानी का सामना करना पड़ता है, जो पार्किंग में वाहन खड़ा करना चाहते थे, वह भी असमंजस में थे, क्योंकि ताला बंद था। लिहाजा गुप्त गंगा मार्ग पर वाहनों की लंबी कतारें लग पड़ी। दीगर है कि मौजूदा समय में धार्मिक पर्यटकों की आवाजाही यहां बढ़ी है और लोग वाहनों में यहां पहुंच रहे हैं, लेकिन मंदिर प्रशासन की जिम्मेदारी के अभाव में श्रद्धालुओं की दिक्कतें बढ़ रही हैं । बताया जाता है कि पार्किंग के खुलने का समय सुबह पांच बजे है और यह पार्किंग रात नौ बजे बंद हो जाती है, लेकिन आज सुबह नौ बजे तक पार्किंग का गेट खोलने वाला कोई न आया। उल्लेखनीय है कि पहले मंदिर ट्रस्ट ने इस पार्किंग को एक लाख एक हजार रुपए महीना ठेके पर दिया था, लेकिन ठेकेदार इस पार्किंग को तीन माह पहले ही छोड़ कर चला गया। नतीजतन अब मंदिर प्रशासन ही इस पार्किंग को चला रहा है। पिछले महीने मई माह में महज 35 हजार 500 रुपए ही पार्किंग का इकट्ठा हुआ। यहां करीब तीन कर्मचारी मंदिर प्रशासन ने ड्यूटी पर लगाए हैं, जिन्हें यह जिम्मेदारी सौंपी गई है, पर इन कर्मचारियों ने क्यों अपनी जिम्मेदारी से मुंह मोड़ा यह पड़ताल का विषय है । बीते फरवरी माह में मंदिर अधिकारी नीलम राणा  का तबादला यहां से हुआ है। उसके बाद से तहसीलदार विजय सांगा को मंदिर अधिकारी का अतिरिक्त कार्यभार सौंपा गया है।

 


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