कृषि विभाग, आपने तो हद कर दी

शिमला -शिमला जिला के किसानों को इस बार ग्रीन टेक्नोलॉजी के लिए भारत सरकार कोई भी बजट नहीं देगी। इस वजह से इस बार जिला के किसानों-बागबानों को ग्रीन हाउस के लिए विभाग से कम ही आर्थिक मदद मिलने की उम्मीद है, जबकि विभाग के विशेषज्ञ बताते हैं कि कृषि बागबानी की नई तकनीक के विकास के लिए ग्रीन टेक्नोलॉजी का होना बेहद जरूरी है। दरअसल वर्ष 2019-2020 के लिए जिला कृषि विभाग ने ही केंद्र सरकार से बजट की मांग नहीं की है। बताया जा रहा है कि इस बार राज्य सरकार ही जरूरत पड़ने पर किसानों को ग्रीन हाउस के लिए बजट का प्रावधान करेगी। बता दें कि जिला के चायल, कुफरी, मशोबरा, सुन्नी की जगहों पर किसान अधिकतर ग्रीन हाउस लगाते हैं। जिला के ऊपरी क्षेत्रों में ज्यादातर ग्रीन हाउस फूलों की खेती के लिए लगाए जाते हैं। वहीं, ऊपरी शिमला के गर्म इलाकों में रहने वाले किसान खीरे, मटर व अन्य पैदावार के लिए भी ग्रीन हाउस का ही इस्तेमाल करते हैं। मिली जानकारी के अनुसार अभी तक हजारों किसान ग्रीन हाउस के माध्यम से पैदावार कर रहे हैं। इन सभी किसानों को राज्य सरकार की ओर से ही मदद की गई है। विभागीय जानकारी के अनुसार केंद्र सरकार से हर साल किसानों को ग्रीन हाउस के लिए अलग से बजट आता था। सूत्रों की मानें तो जिला से किसानों की ग्रीन हाउस को लेकर कम आ रही मांग को देखते हुए ही केंद्र सरकार से इस योजना के लिए बजट नहीं मांगा गया है। फिलहाल कृषि विभाग ने भले ही अपना पल्ला झाड़ दिया हो, लेकिन प्राकृतिक खेती को बड़ावा देने वाला विभाग ग्रीन टेक्नोलॉजी में विकास करने की बजाय कैसे इस तरह से योजना को बंद करने की पहल कर दी है। फिलहाल यह देखना अहम होगा कि ग्रीन हाउस के लिए किसानों व बागबानों की मांग पर जिला कृषि विभाग  आर्थिक मदद करने में सफल रह पाता है या नहीं। अहम यह है कि ग्रीन हाउस यानी ग्रीन टेक्नोलॉजी से खेतीबाड़ी से पर्यावरण को भी काफी फायदा मिलता है। ग्रीन टेक्नॉलोजी के लक्ष्य ग्रीन कैमिस्ट्री (हरित रसायनशास्त्र) के समान हैं, खतरनाक पदार्थों के उपयोग को कम करना, उत्पाद की जीवन अवधि के दौरान ऊर्जा की बचत को अधिकतम करना, और मृत पदार्थों तथा कारखानों के कचरे की रीसाइक्लिंग प्रक्त्रिया या जैविक अपघटन को बढ़ावा देना प्रमुख है, लेकिन अब जब इस बार विभाग ने केंद्र सरकार से इस ग्रीन टेक्नॉलोजी के लिए बजट ही नहीं मांगा है, तो ऐसे में यह अहम रहेगा कि किसान कैसे पॉली हाउस के माध्यम से अपनी पैदावार को आगे बढ़ा पाते है।