केलांग डिपो को थमा दी पुरानी बसें

By: Jun 7th, 2019 12:05 am

केलांग—छह माह तक बर्फ की कैद में रहने वाले लाहुल को इस बार एचआरटीसी के उच्चाधिकारियों ने भी झटका दे डाला है। बसों की कमी झेल रहे निगम के केलांग डिपो को जहां कहने को तो 17 गाडि़यों निगम प्रबंधन ने उपलब्ध करवा दी हैं, लेकिन यह सभी बसें जहां पुरानी भेजी गई हैं, वहीं इनमें से अधिकत बसें छह से आठ लाख किलोमीटर तक चल चूंकि हैं। ऐसे में लाहुल-स्पीति की सरपीली सड़कों पर कभी भी कोई बढ़ा हादसा हो सकता है। स्थानीय लोगों को जब इस बात की भनक लगी तो लोग जहां केलांग डिपो के पास पहुंची उक्त बसों में सफर करने से कतरा रहे हैं, वहीं लोग निगम प्रबंधन की कार्य प्रणाली पर भी सवाल खड़े कर रहे हैं। लोगों का कहना है कि छह माह तक बर्फ में कैद रहने वाले जनजातीय जिला के लोगों की सुरक्षा को निगम प्रबंधन कितनी गंभीरता से लेता है इस का अंदाजा केलांग डिपो के पास पहुंची खटारा बसों को देख लगाया जा सकता है। उनका कहना है कि निगम को जहां नई बसें केलांग डिपो को उलब्ध करवानी चाहिए थी, वहीं लोगों की सुरक्षा को भी प्राथमिकता के आधार पर लेना चाहिए था। स्थानीय निवासी नवांग, दोरजे, अशोक का कहना  है कि केलांग डिपो निगम के कमाउ पूतों में गिना जाता है, लेकिन निगम प्रबंधन ने जो तोफा इस बार रोहतांग दर्रे के बहाल होने के बाद यहां के लोगों को खटारा बसों के रूप में दिया है उसे लोग हमेशा याद रखेंगे। उनका कहना है कि लोग अब एचआरटीसी की लाहुल पहुंची पुरानी बसों में सफर करने से कतराने लगे हैं। लोगों को मजबूरन टैक्सियों में सफर करना पड़ रहा है। यहां बता दें कि लाहुल-स्पीति में एचआरटीसी की ही बसें दौंड़ती हैं। ऐसे में लोगों के पास सफर करने के लिए ट्रैक्सी ही एक मात्र विकल्प है। यहां बता दें कि केलांग डिपो के बेढ़े में 64 बसें शामिल हैं। डिपो के अधिकारी जहां लंबे समय से नई गाडि़यों की निगम प्रबंधन से मांग कर रहे थे, लेकिन जो बसें डिपो को उपलब्ध करवाई गई हैं उन बसों की हालत काफी दयनीय है। 17 बसों में से 15 बसें ऐसी हैं, जो छह लाख से आठ लाख किलो मीटर तक चल चुकि हैं। उधर, परिवहन मंत्री गोविंद सिंह ठाकुर का कहना है कि मेरे ध्यान में यह मामला मीडिया के माध्यम से लाया गया है। लाहुल-स्पीति के लिए जल्द ही नई बसें भेजने का प्रावधान किया जाएगा। एचआरटीसी की प्राथमिकता सबसे पहले यात्रियों की सुरक्षा रहती है। केलांग डिपो को पुरानी बसें क्यों भेजी गई इस बारें में अधिकारियों से चर्चा की जाएगी।


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