क्या बच्चे की हद से ज्यादा जिद्द सही है

By: Jun 26th, 2019 12:04 am

कई बार बच्चा अपनी जिद्द मनवाने के लिए रोता है। आपने न कहा तो उस ने अपना सिर पटका, आप ने फिर न कहा, लेकिन जब वह जमीन पर लोटने लगा तो आप ने घबरा कर उसे हां कह दिया। यहीं से बच्चा समझ जाता है कि रोने से कुछ नहीं होता। जमीन पर लोटने से जिद मनवाई जा सकती है। बस, तब से वह वही काम करने लगता है। इस प्रकार मूल बात है कि बिहेवियर मौडिफिकेशन या मोल्डिंग अर्थात जिस तरह से आप उसे आकार देंगे वह वैसा ही करेगा। जैसा कि कुम्हार करता है, जो घड़ा उसे चाहिए उसे वह अपनी तरह से आकार देता है, लेकिन यहां बात बच्चे की है। अगर बच्चे को आप ने किसी वस्तु के लिए न कहा है तो आप उस का कारण अवश्य बताइए। बच्चा कितना भी रोए चिल्लाए, आप अपनी बात पर कायम रहें, दृढ़ रहें ताकि उसे अपनी सीमा रेखा पता चले। यह काम बचपन से ही करना चाहिए।

खुद को बदलें

बच्चे को बचपन से ही समझ लेना चाहिए कि अगर आप ने न कहा है तो इस का अर्थ नहीं है। पहली न के बाद दूसरी या तीसरी न कहने की गुंजाइश नहीं होनी चाहिए। बचपन में अगर आप ने एक बार न कहा, फिर थोड़ी जिद के बाद उसे हां कह दिया तो बड़ा हो कर वही बच्चा जिद्दी बनता है।  एक दंपती का इकलौता बेटा, जो 18 वर्ष का था, वह किसी की बात नहीं मानता था। सारे पैसे उड़ा देता था। समय पर घर नहीं आता था। उस की इस जिद को तोड़ने के लिए नानानानी, दादा दादी, माता पिता सब एकजुट हुए। पूरे परिवार ने उसे समय पर घर आने की चेतावनी दी। पर वह नहीं माना। पुलिस का सहारा लेना पड़ा, उस लड़के को एक रात पुलिस स्टेशन में बितानी पड़ी। तीसरी बार जब वह फिर घर लेट पहुंचा तो किसी ने दरवाजा नहीं खोला। बरसात में उसे बिल्ंिडग के चौकीदार के साथ 1 रात केबिन में गुजारनी पड़ी। अंत में जब वह समझ गया कि उसे खुद को बदलना है तो वह समय पर घर आने लगा। यहां एक बात ध्यान रखनी है कि मातापिता अगर बच्चे को अनुशासित करें तो बाकी घर के सदस्यों को भी चुप रह कर उन का साथ देना चाहिए। बच्चे के जिद्दी होने की एक वजह आज की जीवनचर्या भी है। आज परिवार संयुक्त नहीं हैं। माता-पिता दोनों ही नौकरीपेशा हैं। ऐसे में उन के पास समय की कमी होती है। दिन भर की भागदौड़ के बाद जब वे घर पहुंचते हैं तो बच्चे की जिद अनायास ही पूरी कर देते हैं।

सारे पहलू को देखना जरूरी

इस के अलावा आज के बच्चे ठीक से खाते-पीते नहीं हैं। जंक फूड पर उन का ध्यान अधिक रहता है, जिस से वे एनीमिक बन जाते हैं। स्कूल का माहौल भी कभी-कभी उन्हें जिद्दी बनाता है। कोई ऐसी घटना, जिसे वह किसी से बांट नहीं पाता, कह नहीं पाता तो जिद्दी बन कर ही उसे सामने लाता है। जब बच्चा हमेशा जिद्द करे तो उस के सारे पहलू को देखना जरूरी है।


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