खुद्दार लड़का

By: Jun 19th, 2019 12:05 am

कहानी

राम के बड़े भाई ने एक बार उसे एक महंगी गाडी गिफ्ट में दी। एक दिन बाहर निकलने पर राम ने देखा कि चौदह पंद्रह साल का एक गरीब लड़का गाड़ी के अंदर झांक रहा था। राम को आते देख कर वह पीछे हट गया। फिर धीरे से उसने राम से पूछा, अंकल  क्या यह गाडी आपकी है

राम बहुत अच्छे मूड में था, वह बोला, हां, मेरे भाई ने यह कार मुझे गिफ्ट में दी है, लड़का हैरान होकर बोला ,अच्छा ! यानी आपको इस गाडी का कोई पैसा नहीं देना पड़ा। राम सोचने लगा कि अब यह बोलेगा , काश मेरे पास भी ऐसा कोई भाई होता, लेकिन इसके बजाय वह लड़का बोला, काश मैं भी एक दिन ऐसा बड़ा भाई बन पाऊं, जो अपने छोटे भाई को ऐसा शानदार गिफ्ट दे सके।

राम उसकी बातों से काफी खुश था। राम ने उस लड़के से पूछा , चलो तुम्हें तुम्हारे घर तक छोड़ दूं। लड़का खुशी से खिलखिला उठा। दोनों गाडी में बैठ गए। जब गाड़ी आगे बड़ी, तो लड़के ने कहा, क्या आप मेरे घर के सामने थोड़ी देर रूक सकते हैं। राम ने मुहं बनाते हुए सोचा, गरीब लोगों की बस यही बात मुझे पसंद नहीं है। मैंने जरा से उससे पूछ क्या लिया, अब यह मुझ पर ही सवारी करेगा।

मुझे पता है अब ये जाकर पुरे महल्ले वालों को अपना रौब दिखाएगा और बोलेगा, देख! कितना बड़ा साहब मुझे घर तक छोड़ने आया है। राम कुछ जवाब देता, उससे पहले ही वह लड़का बोल पडा, बस वे जो सीढ़ी दिख रही है नए वही गाडी रोक देना। आप यहीं रुकना। मैं बस दो मिनट में आया।

वह लड़का दौड़ता हुआ सीढि़यों के ऊपर चला गया। कुछ ही पल बाद राम ने देखा कि वह लड़का सीढि़यों से नीचे चला आ रहा है, लेकिन बहुत धीरे-धीरे संभलकर उतरते हुए।  राम ने देखा कि उसने एक और लड़के को अपनी गोद में उठा रखा है  जिसके दोनों पैर नहीं हैं ।

सीढि़यों से उतर कर अंतिम सीढ़ी पर ,अपने भाई को बिठाकर वह अपने भाई से बोला, देखा जैसा मैंने तुमको ऊपर गाडी की बात बताई , ठीक वैसी ही है न, अंकल के बड़े भाई ने उन्हें गिफ्ट में दी है।

एक दिन मैं भी तुम्हें ऐसी ही गाड़ी गिफ्ट में दूंगा। फिर तुम्हें पूरे शहर की सैर कराने लेकर जाउंगा और वह जो बाजार है न, जहां से मैं तुम्हारे लिए कपड़े लेकर आता हूं, वह भी तुम्हें दिखाउंगा।

राम को अहसास हुआ जैसा मैं सोच रहा था। वह फिर एक बार गलत निकला। गाडी से उतर कर वह दोनों लड़कों से बोला , क्यों न हम आज ही सैर पर चले । दोनों लड़के के चेहरे खुशी से चमक रहे थे , वह उनके लिए एक यादगार दिन था।  राम को भी उनका साथ अच्छा लगा । दोस्तों कई बार हम बिना सोंचे समझे किसी अन्य के बारे में गलत धारणा बना लेते हैं जो कि बिलकुल गलत है। बिना सोचे समझे किसी अन्य के बारे में धारणा बनाना अहंकार का  सूचक है।

-शिव बचन सिंह


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