गरली-परागपुर की कहानी, बूढ़ी हवेलियां, नहीं आ रहे सैलानी

By: Jun 16th, 2019 12:02 am

धरोहर गांवों की सुध नहीं ले रही सरकार; मूलभूत सुविधाओं का अभाव, जर्जर हुईं ऐतिहासिक इमारतें, धरातल पर ठोस कदम उठें, तभी बनेगी बात

गरली -हिमाचल प्रदेश के जिला कांगड़ा के अंतर्गत गरली और परागपुर गांव अपनी प्राचीन कलाकृतियों और लकड़ी पर की गई नक्काशी से बनी भव्य हवेलियों व अपनी ऐतिहासिक पहचान के लिए भारत ही नहीं, बल्कि पूरे विश्व में प्रसिद्ध हैं। करीब डेढ़ सौ साल पहले बनी ये हवेलियां आज भी हमारी संस्कृति की प्राचीन परंपरा को प्रदर्शित करती हैं। प्रदेश सरकार ने गरली को सात मार्च, 2002 और परागपुर को नौ दिसंबर, 1997 को धरोहर गांव का दर्जा प्रदान किया था। वैसे तो यहां पर्यटकों को आकर्षित करने के लिए सब कुछ है, जैसे कि बुटेल नौण, तालाब, जजिस कोर्ट, प्राचीन राधा-कृष्ण मंदिर, ये सभी परागपुर में स्थित हैं।  वहीं गरली में चार सौ साल पुराना तालाब, नौरंग यात्री निवास, सौ साल पुरानी भव्य हवेली, वर्ष 1918 में बना एंग्लो संस्कृत हाई स्कूल (अब रावमापा गरली), वर्ष 1928 में बनी उठाऊ पेयजल योजना आदि स्थान देखने योग्य हैं, लेकिन स्पष्ट नीति, योजनाएं और प्रचार की कमी के कारण गरली-परागपुर सिर्फ  नाम का ही धरोहर गांव रह गया है। गौरतलब है कि यहां कई बालीवुड हस्तियोंं द्वारा शूटिंग की गई है, जिसमें एलबम, विज्ञापन और फिल्म के दृश्य फिल्माए जा चुके हैं। हाल ही में बालीवुड स्टार आमिर खान अपनी आगामी फिल्म की शूटिंग की लोकेशन देखने हेतु गरली-परागपुर आये थे। वहीं हिमाचल में फिल्म पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए राज्य मंत्रिमंडल ने जो नई फिल्म नीति को मंजूरी दी है, वह एक सराहनीय कदम है। धरोहर गांव  की अनदेखी के चलते यहां बनी खूबसूरत हवेलियां और इमारतें बीतते समय के साथ-साथ जर्जर हो चुकी हैं तथा कुछ ढहने के कगार पर पहुंच चुकी हैं। इनकी देखरेख और रखरखाव के लिए न तो पर्यटन विभाग और न ही हवेलियों के मालिकों ने कोई दिलचस्पी दिखाई है। गौर हो कि प्राचीन धरोहरों को बचाने के लिए एक हेरिटेज विलेज कमेटी का गठन किया गया था, लेकिन इसके  बावजूद आज भी यहां पर मूलभूत सुविधाओं की कमी है। धरोहर गांव में प्रवेश करने से पहले कहीं भी कोई गेट या सूचना पट्ट नहीं लगा है। यहां पर पर्यटन सूचना केंद्र की कमी काफी खल रही है। साथ ही साफ-सफाई और पार्किंग सुविधा के लिए कोई ठोस व्यवस्था नहीं है। जगह-जगह सड़क, रास्तों और नालियों के इर्द-गिर्द कूड़ा-कर्कट पड़ा हुआ नजर आ जाता है। वहीं पर्यटकों के लिए उक्त क्षेत्र में न तो कोई ठहरने का कोई उचित प्रबंध है और न ही पार्किंग स्थल की  व्यवस्था। अगर सड़क मार्गों की बात करें, तो उनकी स्थिति भी संतोषजनक नहीं है। यहां पुरानी हवेलियां तो हैं, लेकिन कई हवेलियों के दरवाजों पर ताले लटके रहते हैं। इसके अलावा उक्त क्षेत्र में स्ट्रीट लाइट की सुविधा भी नहीं है। बेशक सरकार ने इन गांवों को धरोहर का दर्जा देकर बढि़या काम किया है , लेकिन इसके साथ यह भी जरूरी है कि धरातल पर भी ठोस कदम उठाए जाएं।


Keep watching our YouTube Channel ‘Divya Himachal TV’. Also,  Download our Android App