गीता रहस्य

By: Jun 15th, 2019 12:05 am

स्वामी रामस्वरूप

गीता श्लोक 9/13 में श्रीकृष्ण महाराज अर्जुन से कह रहे हैं कि हे कुंती पुत्र अर्जुन दैवी प्रकृति के आश्रित होने वाले महात्मा तो मुझको सब भूतों का आदि कारण जानकर विकार रहित तथा नाश रहित परमात्मा को लगातार एकाग्र मन हुए भजते हैं अर्थात मेरी उपासना करते हैं…

गतांक से आगे…

ईश्वर कहता है कि वह जो मेरा अन्न खाता है (यःप्राणिति) मैंने ही उसे प्राण दिए हैं (यः उक्तं शृणोति) मेरे दिए हुए कानों से सुनता है परंतु (माम् अमन्त्वः) वह मुझे नहीं मानते (ते उपक्षियंति) वह सदा नाश को प्राप्त होते है। इस प्रकार ईश्वर उनकी बुद्धि को भी छीन लेता है और ऐसे मूढ़ लोग असुर स्वभाव के हो जाते हैं। यजुर्वेद मंत्र 40/1 में स्पष्ट कहा कि जो लोग ईश्वर की सर्वव्यापकता को जान जाते हैं और ईश्वर से उन्हें भय लगता है कि वह सब कुछ देख रहा है, तो वह लोग कभी भी पाप मार्ग पर नहीं चलते। अपितु धार्मिक होकर शुभ कर्म करते हुए मोक्ष का सुख भोगते हैं और इसके विपरीत जो असुर स्वभाव वाले हो जाते हैं इसके विषय में यजुर्वेद मंत्र 40/3 में कहा कि जो आत्मा में, वाणी में, कर्म में  कुछ होता है, वह लोग आत्मा के हनन करने वाले, आत्मा के विरुद्ध आचरण करने वाले होते हैं और वह ही मनुष्य असुर, दैत्य, पिशाच एवं दुष्ट कहलाते हैं। वह मनुष्य वर्तमान जीवन में भी मृत्यु के पश्चात अज्ञान रूप अंधकार से युक्त होकर पाप कर्म करते हुए सदा दुःख के सागर में गोते खाते हैं। अर्थात मनुष्य योनि से अलग होकर बार-बार पशु योनि में जन्म लेकर दुःख उठाते हैं। गीता श्लोक 9/13 में श्रीकृष्ण महाराज अर्जुन से कह रहे हैं कि हे कुंती पुत्र अर्जुन दैवी प्रकृति के आश्रित होने वाले महात्मा तो मुझको सब भूतों का आदि कारण जानकर विकार रहित तथा नाश रहित परमात्मा को लगातार एकाग्र मन हुए भजते हैं अर्थात मेरी उपासना करते हैं। भावर्थः यह पहले से ही समझाया जा रहा है कि श्रीकृष्ण महाराज एवं व्यास मुनि जी, दोनों ही चारों वेदों के ज्ञाता एवं दिव्य पुरुष थे। अतः उन्होंने भगवदगीता में आधिकतर वेदों के दिव्य पदों का ही प्रयोग किया है।  दैवी शब्द का अर्थ है देवों को संबोधित अर्थात दिव्य। अतः दैवी प्रकृति के महात्मा केवल वही हैं जो वेद की दिव्य वाणी का अध्ययन किए हुए होते  हैं। यज्ञ एवं योगाभ्यास आदि सनातन विद्या का अभ्यास किए हुए होते हैं। ऐसे ही दैवी प्रकृति के आश्रित हुए महात्मा ही जानते हैं कि परमात्मा प्रत्येक सृष्टि की रचना से पहले होता है।        


Keep watching our YouTube Channel ‘Divya Himachal TV’. Also,  Download our Android App