चमकी बुखार पर सुप्रीम कोर्ट की फटकार, केंद्र-बिहार सरकार से मांगा जवाब

बिहार में ‘चमकी बुखार’ का जो कहर शुरू हुआ है वह थमने का नाम नहीं ले रहा है. लगातार इससे जुड़े मामले सामने आ रहे हैं और मौतों का आंकड़ा 152 तक पहुंच गया है. बुखार की वजह से मचे हाहाकार के बीच आज इस मसले पर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई हुई. चमकी बुखार के मुद्दे पर सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार और बिहार सरकार से जवाब मांगा है. अदालत ने सरकारों से तीन मुद्दे पर हलफनामा दायर करने को कहा है जिसमें हेल्थ सर्विस, न्यूट्रिशन और हाइजिन का मामला है. अदालत की तरफ से कहा गया है कि ये मूल अधिकार हैं, जिन्हें मिलना ही चाहिए.

अदालत ने सरकारों से पूछा है कि क्या इनको लेकर कोई योजना लागू की गई है. अपनी टिप्पणी में अदालत ने कहा कि हमने कुछ रिपोर्ट्स में पढ़ा है कि कई गांव ऐसे हैं, जहां पर कोई बच्चा ही नहीं बचा है. सुप्रीम कोर्ट ने अपनी टिप्पणी में कहा है कि उत्तर प्रदेश में भी कुछ ऐसी ही स्थिति थी, वहां पर सुधार कैसे आया. अदालत ने इतना कहते ही दोनों सरकारों को दस दिन का समय दिया है.

सुप्रीम कोर्ट में दायर की गई याचिका में मांग की गई थी कि अदालत की तरफ से बिहार सरकार को मेडिकल सुविधा बढ़ाने के आदेश दिए जाएं. साथ ही केंद्र सरकार को इस बारे में एक्शन लेने को कहा जाए.

बीते बुधवार को अदालत ने इस मामले पर सुनवाई को लेकर हामी भरी थी. मनोहर प्रताप और सनप्रीत सिंह अजमानी की ओर से दाखिल याचिका में दावा किया गया है कि सरकारी सिस्टम इस बुखार का सामना करने में पूरी तरह से फेल रहा है.

गौरतलब है कि बिहार में बीते एक महीने से इसको लेकर हाहाकार मचा हुआ है. इसका सबसे ज्यादा असर मुजफ्फरपुर में दिखा है. जहां अकेले श्रीकृष्ण मेडिकल कॉलेज एंड हॉस्पिटल (SKMCH) में अब तक 128 बच्चों की मौत हो चुकी है. एक्यूट इंसेफेलाइटिस सिंड्रोम (AES) को दिमागी बुखार और चमकी बुखार के नाम से भी जाना जाता है.

जिस वक्त ये बुखार का मामला सामने आया, तभी मुजफ्फरपुर में अस्पताल के पीछे कुछ मानव कंकाल पाए गए थे. कुछ लोगों का दावा था कि अस्पताल के पिछले हिस्से में मानव कंकाल-हड्डियां देखने को मिली हैं, जिसके बाद इलाके में हड़कंप मचा है. मामला सामने आने के बाद इसकी जांच के आदेश दे दिए गए हैं.