चमकी से 128 बच्चों की मौत के बाद नीतीश सरकार का पहला एक्शन, सीनियर रेजिडेंट सस्पेंड

By: Jun 23rd, 2019 11:32 am

मुजफ्फरपुर में चमकी बुखार की वजह से हो रही मौतों का सिलसिला थम नहीं रहा है. अब तक मुजफ्फरपुर में 146 बच्चों की मौत हो चुकी है. अकेले श्रीकृष्ण मेडिकल कॉलेज एंड हॉस्पिटल (एसकेएमसीएस) में अब तक 128 बच्चों की मौत हो चुकी है. ऐसे में बिहार और केंद्र सरकार पर चौतरफा दबाव पड़ रहा है. बिहार की नीतीश सरकार ने पहली बार चमकी बुखार के संबंध में कार्रवाई की है. बिहार सरकार ने श्रीकृष्ण मेडिकल कॉलेज एंड हॉस्पिटल के सीनियर रेजिडेंट डॉक्टर भीमसेन कुमार को निलंबित कर दिया गया है. उन्हें कार्यस्थल पर लापरवाही बरतने के आरोप में निलंबित किया गया है. साथ ही प्रशासन का कहना है कि तैनाती के बाद भी बच्चों की मौत के मामले सामने आए और हालात पर काबू नहीं पाया जा सका. बिहार से स्वास्थ्य विभाग ने पटना मेडिकल कॉलेज एंड हॉस्पिटल के बाल रोग विशेषज्ञ भीमसेन कुमार को 19 जून को एसकेएमसीएच में तैनात किया था. उनकी तैनाती के बाद भी अस्पताल में बच्चों की मौतों का सिलसिला नहीं रुका. बच्चों की मौत होती रही. चमकी बुखार से हो रही मौतों को लेकर पूरे देश में हाहाकार मचा हुआ है. लोगों का गुस्सा सरकार और स्वास्थ्य विभाग दोनों पर फूट रहा है. सोशल मीडिया पर भी लोग तरह-तरह के पोस्ट कर रहे हैं. केंद्र और राज्य सरकार स्थिति से निपटने की कोशिश कर रहे हैं लेकिन अब तक कोई खास सफलता नहीं मिल पाई है. बच्चों की मौत जारी है. मुजफ्फरपुर के श्रीकृष्णा मेडिकल कॉलेज एंड हॉस्पिटल में सबसे ज्यादा बच्चों की मौत हुई है. डॉक्टरों का कहना है कि चमकी बुखार से मौतें रोकी जा सकती हैं, अगर मुजफ्फरपुर जिले में गरीब परिवारों के पास अच्छा खाना, साफ पानी और बेहतर स्वास्थ्य सेवाएं मिलें. इंसेफेलाइटिस, जिसे दिमागी बुखार भी कहा जाता है, से बिहार के 16 जिलों में 600 बच्चे प्रभावित हैं. अब तक इससे 146 बच्चों की मौत हो चुकी है. लेकिन अस्पतालों का हाल, बेहाल है. मरीजों के उपचार के लिए अस्पताल प्रशासन के पास सही ढंग से बेड तक नहीं है. एक्यूट इंसेफेलाइटिस सिंड्रोम (एईएस) से बिहार में साल 2014 में 350 से ज्यादा लोग मारे गए थे. हालांकि यह अब तक पता नहीं चला है कि एईएस फैलने का कारण क्या है. स्वास्थ्य विशेषज्ञ मानते हैं कि बिहार में पिछले एक महीने से पड़ रही भयंकर गर्मी से इसका ताल्लुक है. हालांकि कुछ स्टडीज में लीची को भी मौतों का जिम्मेदार ठहराया गया है. मुजफ्फरपुर लीची के लिए खासा मशहूर है. हालांकि कई परिवारों का कहना है कि उनके बच्चों ने हालिया हफ्तों में लीची नहीं खाई है.डॉक्टरों का कहना है कि पीड़ित गरीब परिवारों से आते हैं जो कुपोषण और पानी की कमी से जूझ रहे हैं.


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