जुब्बल रियासत का मुख्य उत्पाद है तंबाकू, सेब तथा अफीम

By: Jun 19th, 2019 12:02 am

जुब्बल रियासत का सारा भू-भाग बहुत ही सुंदर तथा प्राकृतिक संपदा से भरपूर रहा है। यहां का मुख्य उत्पाद अनाज, तंबाकू, सेब तथा अफीम रहे हैं। इन ठकुराइयों में सबसे महत्त्वपूर्ण ठकुराई जुब्बल थी जो बुशहर और सिरमौर के मध्य शालवी और विषकलटी नदी घाटियों में विस्तृत थी…

गतांक से आगे …

जुब्बल रियासत : जुब्बल ठकुराई शिमला के पूर्व दिशा में रामपुर, बुशहर तथा सिरमौर के बीच 300 460 व 310 80 उत्तर तथा व 770 270 तथा  770 500 पूर्व दिशा में स्थित थी। जुब्बल रियासत का कुल क्षेत्रफल 288 वर्ग मील था। इस रियासत का सारा भू-भाग बहुत ही सुंदर तथा प्राकृतिक संपदा से भरपूर रहा है। यहां का मुख्य उत्पाद अनाज, तंबाकू, सेब तथा अफीम रहे हैं। इन ठकुराइयों में सबसे महत्त्वपूर्ण ठकुराई जुब्बल थी जो बुशहर और सिरमौर के मध्य शालवी और विषकलटी नदी घाटियों में विस्तृत थी। जुब्बल राज्य के इतिहास और परंपरा के अनुसार जुब्बल राज्य के संस्थापक के पूर्व बारहवीं शताब्दी से पूर्व सिरमौर पर राज करते थे। उस समय उनकी राजधानी गिरी गंगा नदी के किनारे ‘सिरमौर-ताल’ में थी, जिसके भग्नाशेष आज भी वहां पर बिखरे पड़े हैं। सिरमौर में वे कब, कहां से और किसी स्थिति में आए इसका अभी तक कोई पता नहीं चल सका। जुब्बल वंशावली के अनुसार वेवत्स्य गोत्र से हैं, परंतु कुछ ग्रंथों में उन्हें चंद्रवंशी राठौड़ राजपूत लिखा है। यदि उन्हें राठौड़ मान लिया जाए तो तथ्य के अभाव के कारण यह कहना कठिन है कि वे कब, कहां से आए और क्यों आए। सत्रहवीं शताब्दी के मुसलमान इतिहासकार मोहम्मद  करीम फरिश्ता ने लिखा है कि कन्नौज के शासक रामदेव राठौड़ (440-470 ई.) में शिवालिक की पहाडि़यों के राजाओं पर आक्रमण करनके उनसे वार्षिक कर वसूल किया।  इस अभियान में उसने कुमाऊं के राजा की पुत्री से विवाह किया और बाद में उसका राज्य वापस लौटा दिया। उसके पश्चात रामदेव राठौर ने नगरकोट (कांगड़ा) की ओर प्रस्थान किया। उसने नगरकोट को लूटा और वहां के राजा ने भी अपनी पुत्री का विवाह रामदेव के पुत्र के साथ किया। इसके पश्चात रामदेव ने जम्मू पर आक्रमण किया और उसे भी अपने अधीन कर लिया। जम्मू के राजा ने भी अपनी पुत्री का विवाह रामदेव के अन्य पुत्र से कर दिया। रामदेव ने इस अभियान में पांच मास बिताए और इस अवधि में उसने कोई 500 के लगभग पहाड़ी राजाओं को जीता तथा अपनी स्वाधीनता स्वीकार करने के लिए विवश किया। रामदेव के कई पुत्र थे। हो सकता है कि उसने अपने किसी पुत्रको सिरमौर क्षेत्र का प्रांतीय प्रबंधक नियुक्त किया हो या उसकी मृत्यु के पश्चात उसके पुत्रों में सत्ता लाभ के लिए होड़  लगी हो। इस अफरा-तफरी में रामदेव के सेनापति प्रता चंद सिसोदिया ने स्थिति से लाभ उठाकर राज्य पर अधिकार कर लिया और रामदेव के पुत्र को पकड़कर मार दिया हो। ऐसा भी हो सकता है कि रामदेव के किसी पुत्र ने भागकर सिरमौर की पहाडि़यों में आकर शरण ली हो, बाद में उसने अपने लिए राज्य स्थापित कर लिया हो।          


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