ट्रैक्ट‍र के बिना भटक रहे पहाड़ के पर्यटक

By: Jun 3rd, 2019 12:05 am

चंबा —मिनी स्विटजरलैंड सहित पहाड़ी जिला चंबा के अन्य मनमोहमक पहाडि़यों में पहुंचने वाला पर्यटक टूरिटस्ट गाईड एवं टे्रकर के बिना यहां-वहां भटकने लगा है। सही गईड एवं टे्रकर न मिल पाने से कई दफा तो सैलानी उन क्षेत्रों में ही नहीं पहुंच पा रहे हैं, जिन्हें वह नजदीकी आंखों से निहारने की चाहत रखते हैं। इसी कमी की वजह से कई सैलानी अपना रास्ता भटक कर हार्ड क्षेत्रों में पहुंच रहे हैं। वहां से निकलने के लिए उन्हें काफी मुसीबतें झेलनी पड़ रही हैं। एडवांस में ही होटलों को बुक करवा कर चले सैलानी लोकेश भटक जाते हैं। मार्ग में पूछताछ करने के बाद भी बुक करवाए होटल मंे नहीं पहुंच पा रहे हैं, जिससे उन्हें किसी अन्य होटल में शरण लेनी पड़ रही है। धौलाधार एवं पीर पंजाल पर्वत श्रृंखला के इर्द-गिर्द एवं आंचल मंे बसें पहाड़ी जिला चंबा मंे हर वर्ष 11 लाख के करीब सैलानी आते हैं। गर्मी के दिनों के साथ चंबा में लगने वाले अंतराष्ट्रीय मिंजर मेले एवं पवित्र मणिमेहश यात्रा के दौरान हर वर्ष देश सहित विदेश के लोग चंबा पहुंचते हैं। बर्फीले पहाड़ों सहित ऐतिहासिक मंदिरों एवं स्थलों को करीबी से देखने की चाह रखने वाले पर्यटक  सही गाइड न मिल पाने से वहां तक नहीं पहुंच पा रहे हैं। काफी प्रयास के बाद भी मार्ग न मिल पाने से सैलानी इरादा बदल कर वापस जाने को ही उचित समझ रहे हैं। हालांकि कई जिलों मेंं पर्यटन विभाग की ओर से एजेंसी के टे्रकर को लाइसेंस जारी किए जाते हैं, लेकिन अनुभवहीनता कठिन डगर भरे टे्रकिंग स्थलों से अनभिज्ञ होने के चलते कई टे्रकर इसमें रूची नहीं दिखाते हैं। पहाड़ी जिला चंबा की बात करें तो पर्यटक विभाग की ओर से अपने खर्चे चंबा में दो गाईड को तैनाती दी थी, बाद में बजट की कमी के चलते उन्हें भी हठा दिया गया। मौजूदा समय की बात करें पहाड़ी जिला चंबा में 106 के करीब टूरिस्ट गाईड पर्यटन विभाग से रजिस्टर हैं, लेकिन इनमें से कई गाईड सैलानियों को गाईड करने की बजाए अन्य करोबार मंे दिलचस्वी दिखा रहे हैं।

सुविधा के बिना टै्रकिंग भी सपना

प्रचंड गर्मी के दौरान पहाड़ की चोटियों पर पहुंच कर प्ऱकृति की अदभूत छटा के बीच ठंडी ठंडी हवाओं का लुत्फ उठाने वाले पर्यटकों को वेहतर सुविधाए एवं पहाडि़यों पर रहने-बहने के लिए केंपेनिग के दौरान इस्तेमाल होने वाले वस्तुओं के साथ प्रोपर टे्रकर गाईड भी नहीं मिल रहे हैं। जिससे  उन्हें होटलों में ही वापिस लौटना पड़ रहा है।


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