डाक्टरों की हड़ताल बनी सिरदर्द

मनीमाजरा में इलाज के लिए अस्पताल में इधर-उधर भटक रहे मरीज; पूछा, इसमें हमारा क्या कसूर

मनीमाजरा -मरीजों की मुसीबत पहले से ही कौन सा कम थी कि डाक्टरों की हड़ताल ने उनकी मुसीबतों को और भी बढ़ा दिया। सोमवार को डाक्टरों की देशव्यापी हड़ताल के कारण सरकारी गैर-सरकारी अस्पतालों के डाक्टर व अन्य स्टाफ  हड़ताल पर रहा। इस दौरान इमर्जेंसी वार्ड को छोड़कर शेष ओपीडी का कार्य ठप रहा। डाक्टरों की हड़ताल के कारण मरीज इलाज के लिए तड़पते रहे। यह हाल मनीमाजरा का सिविल हॉस्पिटल में ही नहीं, बल्कि शहर के अन्य संस्थानों में भी यही देखने को मिला डाक्टरों की हड़ताल के कारण न जाने आज कितने हजारों लोग बिना इलाज के ही तड़पते हुए अपने घर को लौटे। मरीजों का कहना है कि उन्हें किस बात की सजा मिल रही है, वह तो पहले से ही बहुत परेशान है इंदिरा कालोनी से आए रामकिशन मोहम्मद, अनस बलबीर ने बताया कि वह सुबह से ही अस्पताल के बाहर खड़े हैं। उन्हें उम्मीद है कि डाक्टर उनकी समस्या को समझ कर उनका इलाज करेंगे, परंतु ऐसा नहीं हुआ डाक्टर ने दो टूक में कहा कि वे कल आएं। उन्होंने डाक्टर से काफी प्रार्थना की कि उन्हें चेक करके दवाई दे दी जाए, पर तो डाक्टरों ने उनकी एक न सुनी। मौली जागरण से आए हुकम चंद ने बताया कि वह अपनी दुकान बंद करके हंसपाल में अपनी आंखे दिखाने के लिए आए थे, डाक्टरों की हड़ताल के कारण उन्हें वापस लौटना पड़ रहा है। हुकम चंद ने कहा कि डाक्टरों की हड़ताल देश के लिए एक खतरे की घंटी है इस हड़ताल ने देश के सारे सिस्टम को हिला कर रख दिया। गर्मी के कारण शहर में वैसे भी अनेक प्रकार की बीमारियां अपने पांव पसार रही यदि समय पर मरीजों को इलाज न मिले तो  यह बीमारी और भी भयंकर रूप धारण कर सकती हैं। ऐसी अवस्था में इसके लिए जिम्मेवार कौन होगा, सरकार को चाहिए कि वह एक ऐसी नीति बनाए, जिससे कि डाक्टरों की हड़ताल के कारण कोई मरीज  इलाज के लिए न तड़पे आज कई लाखों मरीज अपने इलाज के लिए इधर-उधर भटक रहे हैं।