डिप्टी गवर्नर विरल आचार्य का इस्तीफा

By: Jun 25th, 2019 12:01 am

छह महीने पहले छोड़ी कुर्सी, सरकार से चल रहा था मतभेद

मुंबई –रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया (आरबीआई) को एक बड़ा झटका लगा है। दरअसल, केंद्रीय बैंक के डिप्टी गवर्नर विरल आचार्य (45) ने कार्यकाल पूरा होने से छह महीने पहले इस्तीफा दे दिया है। यह करीब सात महीने के भीतर दूसरी बार है, जब आरबीआई के किसी उच्च अधिकारी ने कार्यकाल पूरा होने से पहले ही अपने पद को छोड़ दिया है। इससे पहले आरबीआई गवर्नर उर्जित पटेल ने दिसंबर में निजी कारण बताते हुए अपने पद से इस्तीफा दे दिया था। विरल आचार्य के इस्तीफे की पुष्टि आरबीआई ने भी कर दी है। विरल आचार्य ने इस्तीफा की वजह निजी बताई है। सोमवार को यह जानकारी सामने आई। आरबीआई का कहना है कि कुछ हफ्ते पहले आचार्य का पत्र मिला था। उसमें कहा गया था कि अपरिहार्य निजी कारणों से 23 जुलाई के बाद डिप्टी गवर्नर के पद पर रहना संभव नहीं होगा। आचार्य 23 जनवरी, 2017 को रिजर्व बैंक के डिप्टी गवर्नर बने थे। डिप्टी गवर्नर के पद पर उनका तीन साल का कार्यकाल जनवरी, 2020 में पूरा होना था। अक्तूबर, 2018 में एक भाषण के दौरान आचार्य ने कहा था कि जो सरकार केंद्रीय बैंक की स्वायत्तता से समझौता करती है, उसे बाजार की नाराजगी झेलनी पड़ती है। उस बयान के बाद सरकार और आरबीआई के बीच विवाद खुलकर सामने आ गया था। आचार्य के इस्तीफे की वजी यही मतभेद माना जा रहा है। गौर हो कि सरकार से विवादों के चलते 10 दिसंबर, 2018 को उर्जित पटेल ने गवर्नर पद से इस्तीफा दे दिया था। उनका कार्यकाल पूरा होने में भी नौ महीने बाकी थे। उर्जित पटेल के इस्तीफे के बाद यह अटकलें भी लगी थीं कि आचार्य ने भी इस्तीफा दे दिया है। हालांकि, आरबीआई ने उन खबरों का खंडन किया था, लेकिन छह महीने बाद आचार्य ने आखिर इस्तीफा दे ही दिया। बताया जा रहा है कि वह पटेल के इस्तीफे के बाद से असहज महसूस कर रहे थे। शक्तिकांत दास के गवर्नर बनने के बाद आरबीआई इस साल रेपो रेट में तीन बार कटौती कर चुका है। इनमें से दो बार आचार्य रेट कट के पक्ष में नहीं थे। विरल आचार्य ने जब आरबीआई के डिप्टी गवर्नर का पद संभाला था, उस वक्त नोटबंदी के बाद का दौर था और जमा एवं निकासी के नियमों में बार-बार बदलाव को लेकर आरबीआई की निंदा हो रही थी। आचार्य आरबीआई के पूर्व गवर्नर रघुराम राजन की नीतियों के समर्थक रहे हैं। वह राजन के साथ फायनांशियल और बैंकिंग सेक्टर से जुड़े रिसर्च पेपर और रिपोर्टों में को-ऑथर भी रहे हैं।


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