डेढ़ साल से स्टोर में धूल फांक रही स्कूल यूनिफार्म
भोरंज —प्रदेश के सरकारी स्कूलों में पहली से बारहवीं कक्षा में पढ़ने वाले साढ़े आठ लाख विद्यार्थियों को वर्ष 2018 में कलरफुल वर्दी देने में नाकाम रहे शिक्षा विभाग ने अब फरवरी, 2019 में वर्दी देने की तैयारी शुरू की थी, लेकिन 2017 में दी गई वर्दी के डेढ़ वर्ष गुजरने के बाद भी प्रदेश सरकार छात्रों को स्कूल वर्दी देने में नाकाम रही है। हालांकि विभागीय सूत्रों की मानें तो स्कूल शिक्षा बोर्ड के स्टोर में वर्दी आ गई है, लेकिन आगे वितरित करने के आदेश नहीं मिल पा रहे हैं। इसके चलते स्कूल वर्दी का आबंटन अधर में लटका हुआ है। वर्ष 2019 के जून माह चला हुआ है और कब वर्दी बंटेगी और कब बच्चे इसे सिलवाएंगे और कब पहनेंगे। शिक्षा विभाग और खाद्य आपूर्ति निगम के अफसरों की लेटलतीफी से साल 2018 में विद्यार्थियों को निजी स्कूलों की तर्ज पर कलरफुल वर्दी नहीं मिली है। विभागीय अधिकारियों के अनुसार जनवरी के पहले हफ्ते में टेंडर आमंत्रित किए गए थे। फरवरी अंत तक वर्दी मुहैया करवाने के लिए चयनित होने वाली कंपनी को लक्ष्य दिया गया था। शीतकालीन स्कूलों में नया शैक्षणिक सत्र फरवरी अंत में शुरू हो चुका है। ऐसे में नया सत्र शुरू होते ही वर्दी देने के प्रयास शुरू किए गए थे। ग्रीष्मकालीन स्कूलों में नया शैक्षणिक सत्र शुरू होने पर अप्रैल में वर्दी दी जानी थी। विद्यार्थियों को निःशुल्क दी जाने वाली वर्दी के विलंब होने के चलते अभिभावक व छात्र भी परेशान हैं, क्योंकि छात्रों की 2017 में दी गई वर्दी फट गई है और सरकार के वर्दी देने की आस के चलते अभिभावक भी नई यूनिफार्म नहीं सिलवा रहे हैं। ऐसे में सरकार द्वारा वर्दी बांटने के बिलंव के चलते असमंजस की स्थिति बनी हुई है कि कौन से कलर की वर्दी होगी और कौन सा डिजाइन होगा। अभिभावकों का कहना है कि सरकार स्पष्ट करे कि वह यूनिफार्म दे रहे हैं कि वे स्वयं खरीद कर सिलवाएं और यदि स्कूल शिक्षा बोर्ड के स्टोर में यूनिफार्म आ गई है, तो बच्चों को क्यों आबंटित नहीं कि जा रही है। निजी स्कूलों में सत्र के प्रारंभ से ही सभी छात्र-छात्राएं रंग-बिरंगी यूनिफार्म मंे नजर आते हैं, जिससे अभिभावकों और छात्रों की रुचि निजी स्कूलों में बढ़ती है। एक तरफ तो सरकार सरकारी स्कूलों में शिक्षा को और सुदृढ़ व आधुनिक बनाने के दावा करती है। वहीं दूसरी ओर नई-नई योजनाएं व प्रयोग कर शिक्षा के स्तर को गिराकर छात्रों के भविष्य से खिलवाड़ कर रही है। इस संदर्भ मंे शिक्षा उपनिदेशक उच्च हमीरपुर जसवंत सिंह ने बताया कि पहले हर ब्लॉक में सैंपल भेजे गए थे उसके बाद जो यूनिफार्म आई हैं उनका मिलान सैंपल के साथ कर रिपोर्ट शिमला भेजनी थी, जो भेज दी है कि सैंपल के अनुसार यूनिफार्म सही हैं कि नहीं हैं। शिमला से आदेश के बाद सभी छात्र-छात्राओं को स्कूल वर्दी बांट दी जाएगी।
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