तूफान से तबाही…फसल झड़ी, सेब के पौधे जमींदोज

अमावस की काली रात मौसम की मार से बागबानी संकट में, अब तक लाखों की करारी चपत

नेरवा सोमवार को अमावस की काली रात में आए भयंकर तूफान ने  बागबानों के अरमान जमीन पर बिखेर कर रख दिए हैं। इस साल बागबान सेब की अच्छी फसल की उम्मीद लगाए बैठे थे परंतु तूफान ने उनकी सारी उम्मीदों पर पानी फेर कर रख दिया है। सोमवार देर रात भारी तूफान चलने से न केवल सेब की फसल धराशाई हो गई बल्कि सेब से लदे कई पौधे भी जमींदोज हो गए। अमावस की इस काली रात का दंश बागबानों के सारे सपनों को चकनाचूर कर गया है। तूफान से पच्चास फीसदी फसल के झड़कर नष्ट हो जाने का अनुमान है। प्राप्त सूचना के अनुसार ग्राम पंचायत थरोच, मधाना और मषरांह के सनणु, कुताह, कोटांगण, क्यारना, भरमाणा, मधाना, मषरांह गांव में तूफान ने कहर बरपाते हुए सेब की फसल व बागीचों को व्यापक नुकसान पंहुचाया है। इन गांव में सीता राम, रमेश दत्ता, अमर चौहान, जोगिंदर चौहान, सोहन दत्ता, धरम सिंह, हरी सिंह दत्ता, शिव लाल, विजय दत्ता, पीएन दत्ता, सुरेंद्र चौहान, नरेंद्र कपिल, राजेंद्र, सुरेंद्र सिंह, किरपा राम, कमलेश, भीम सिंह, एम आर सिसोदिया केआर सिसोदिया, काकू ठाकुर, कारन ठाकुर, डीआर शर्मा, राय सिंह, प्रकाश ठाकुर, रमेश ठाकुर, संत राम, एवं रघुवीर सिंह ठाकुर आदि के बागीचों में सेब की फसल झड़कर बिखर गई है एवं दर्जनों सेब के पौधे जड़ से उखड़ कर धराशाही हो गए हैं। उधर, ग्राम पंचायत नेरवा के घूंटाडी, बजाथल व गडा में भी तूफान से सेब और स्टोन फू्रट की फसल को काफी नुकसान हुआ है। प्रभावित बागबानों ने सरकार से गुहार लगाई है कि बागीचों में सेब व स्टोन फू्रट की फसल को हुए नुक्सान का आकलन कर उन्हें सरकारी मुआवजा प्रदान किया जाए। वहीं मौसम विभाग के पूर्वानुमान को सही माना जाए तो आने वाले कुछ दिन बागबानों और किसानों का और कड़ा इम्तिहान ले सकते हैं।