देख लो! युद्ध संग्रहालय के दरवाजे बंद हैं

उद्घाटन के दो साल बाद भी नहीं खुल पाया प्रदेश का पहला वार म्यूजियम

धर्मशाला -भारत माता की रक्षा करते हुए प्राणों की आहुतियां देने वाले वीर जवानों की गाथाएं प्रदर्शित करने वाला प्रदेश का पहला युद्ध संग्रहालय मात्र सफेद हाथी बनकर ही खड़ा है। करीब दो वर्ष पूर्व इस संग्रहालय को उस समय की सरकार ने जनता को समर्पित कर दिया था। रिकार्ड समय में बनकर तैयार हुए इस संग्रहालय का निर्माण कार्य से अधिक सजोसजा में ही समय बर्बाद कर दिया है। पर्यटन सीजन में रोजाना हजारों पर्यटक युद्ध संग्रहालय को निहारने के लिए पहुंच रहे हैं लेकिन पर्यटकों को संग्रहालय के बंद दरवाजे देख मायूस लौटना पड़ रहा है। जमीनी हकीकत देखी जाए तो शिल्लान्यास के समय अधिकतर कार्य पूरे किए गए थे, लेकिन सरकार बदलने के बाद अढ़ाई सालों से अधिक समय के बाद भी संग्रहालय के दरवाजे नहीं खुल पाए हैं। जो कि पर्यटकों को मायूस करने के साथ साथ कहीं न कहीं प्रशासन की नाकामी को भी झलका रही है। संग्रहालय में सजाए वाले हथियार जो कि युद्धों में प्रयोग किए गए थे, वह भी योल में आर्मी एरिया में पिछले एक साल से अधिक समय से रखा हुआ है। प्रदेश का पहले युद्ध संग्रहालय को देखने के लिए स्थानीय ही नहीं, बल्कि देश-विदेश से पहुंचने वाले पर्यटक भी रुचि दिखा रहे हैं। नौ अगस्त, 2017 में धर्मशाला युद्ध संग्रहालय का लोकार्पण किया गया था। युद्ध संग्रहालय न तो पर्यटकों के लिए खुल रहा है और न ही इसका आगामी कार्य पूरा हो पा रहा है। संग्रहालय में पिछले दो माह से वायुसेना का एयरक्राफ्ट और एंट्री प्वांइट पर रखी पनडूब्बी धूल फांक रही है।