नई पीढ़ी की अध्ययन में कम रुचि

By: Jun 2nd, 2019 12:04 am

गंगाराम राजी

पुस्तकें हमारे ज्ञान का भंडार समृद्ध करने, सच्चा मार्गदर्शन करने में सक्षम तथा भविष्य को आंकने वाली सच्ची मित्र होती हैं। जहां मनुष्य क्षणभंगुर है, वहीं पुस्तकों में मनुष्य के श्रेष्ठ विचार, ज्ञान, उपदेश, संस्कृति, सभ्यता तथा मानवीय मूल्य हमेशा जीवित रहते हैं। यह विचार स्थायी, एक पीढ़ी से दूसरी पीढ़ी के द्वारा संचारित रहते आए हैं। हजारों साल पहले लिखी गीता, वेद, उपनिषद आज भी जीवित हैं। आज भी हमें प्रेरित करते हैं, हमारा मार्ग प्रदर्शित करते आए हैं। जहां आज मानवीय मूल्यों का हृस होता चला जा रहा है, नैतिकता और सांस्कृतिकता के संकट के बादल मंडराने लगे हैं, वहीं एकमात्र पुस्तकें ही हमारी राह दिखाने का काम कर रही हैं। आज विडंबना यह है कि पुस्तकों का अध्ययन करने वाले न होने के बराबर हैं। इस तरह से लगता है कि पुस्तकों का महत्त्व कम आंका जाने लगा है। आज की पीढ़ी मेहनत और अध्ययन करना ही नहीं चाहती। मैं तो समझता हूं कि टीवी, इंटरनेट की गंदी बातें ही इस पीढ़ी का मनोरंजन करने का साधन बनती जा रही हैं। इंटरनेट जहां ज्ञान का भंडार है, लेकिन आज का युवा उससे ज्ञान बढ़ाने की अपेक्षा मनोरंजन की ओर अधिक झुकता जा रहा है। ऐसे वातावरण में पुस्तकों के प्रति पाठकों का आकर्षण बढ़ाने का साधन पुस्तक मेला ही है।

पुस्तक मेले में लोगों को आकर्षित करने के लिए विभिन्न प्रकार के कार्यक्रम करने चाहिए, विभिन्न प्रकार की साहित्यिक गोष्ठियां, नुक्कड़ नाटक, लेखकों का पाठकों के साथ संवाद आदि कार्यक्रम साथ-साथ पुस्तक मेले में चलाएं। पुस्तक मेला एक ऐसा स्थान है जहां पाठक अपनी मनपसंद की पुस्तकों का चुनाव कर सकता है। संसार के बहुतेरे देशों में पुस्तक मेलों के महत्त्व को समझते हुए इनका आयोजन किया जा रहा है और मेला पाठकों के लिए एक वरदान सिद्ध हो रहा है। इन मेलों में पाठकों के साथ लेखक भी मेले में भाग लेने पहुंचते हैं जिससे मेले का आकर्षण और बढ़ जाता है। इसके साथ लिटरेचर फेस्टिवल का  आयोजन बहुत बड़ा आकर्षण बनता जा रहा है। जयपुर लिटरेचर फेस्टिवल में जहां विदेशी लेखकों को अधिक महत्त्व दिया जा रहा है, वहीं पर समांतर जयपुर लिटरेचर फेस्टिवल में भारतीय मूल के लेखकों को महत्त्व दिया जा रहा है। आज के समय में पाठकों और पुस्तकों पर चर्चा के लिए यह एक उपयुक्त स्थान बन गया है। कुछ भी कहो, पुस्तकों को पाठक ढूंढने के लिए इससे उपयुक्त स्थान अन्य नहीं हो सकता।


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