नशे से हर साल दो हजार मौतें

उड़ता हिमाचल : भाग- 2

शिमला  – प्रदेश में नशे से हर वर्ष दो हजार मौतें हो रही हैं, जिसमें आईजीमएसी में ही लगभग सात सौ मौतें नशे से हुई हैं। इसमें नशे के ओवरडोज के कारण ही नहीं, बल्कि  नशे के कारण होने वाली बीमारी भी इसमें शामिल हुई है। सभी जिला अस्पतालों के साथ मेडिकल कालेजों में कुल मिलाकर हर वर्ष दो हजार नशेड़ी काल के मुंह में समा रहे हैं। जानकारी के मुताबिक अस्पतालों में ओवरडोज के कारण हर वर्ष तीन सौ लोग शिकार बने हैं। इस उम्र में नशे से होने वाली मौतों पर गौर करें तो बीस से पैंतीस वर्ष के युवाओं को नशे की ओवरडाज ने मौत की नींद सुलाया है। आंकड़ों पर गौर करें तो नशे के कारण रोग होने से सबसे ज्यादा मौतें हो रही हैं, जिसमें डेढ़ हजार मौतें तो कैंसर से ही हैं। इसमें भी सबसे ज्यादा चालीस से साठ वर्ष की आयु के लोग शामिल हैं। तंबाकू और शराब से होने वाले रोग के कारण कैंसर से सबसे ज्यादा मौतें हो रही हैं। बहरहाल प्रदेश की इस तरह की स्थिति को देखते हुए सरकार को भी गंभीरता से कदम उठाना होगा, जिसमें प्रदेश के सभी मेडिकल कालेजों में नशे को लेकर किए जाने वाले टेस्ट की गति को भी तेज करना होगा। देखा जाए तो प्रदेश में नशे को लेकर कोई खास टेस्ट नहीं हो पाते हैं। यही पता नहीं लग पाता है कि मरीज अगर नशे को लेकर बेसुध होकर अस्पताल मं भर्ती हुआ है, तो उसने कौन सा नशा किया है। यदि नशे के बारे में डाक्टरों को मरीज के बारे में जानकारी मिलती है, तो उसका इलाज और भी आसान हो सकता है। इसमें खासतौर पर यह कोशिश की जा सकती है कि आईजीएमसी में ड्रग इन्वेस्टिगेशन के वे तमाम टेस्ट कि ए जाएं, जिससे मरीज की जान बचाने में आसानी हो सके।

हर वर्ष टूट रहे 50 से 60 परिवार

आंकड़ों पर गौर करें तो हर वर्ष 50 से 60 परिवार मात्र नशे के कारण टूट रहे हैं, जिसमें पत्नी की शिकायत सबसे ज्यादा ये रहती है कि पति नशा करता है और जो कमाता है, उसे नशे में ही उड़ा देता है। महिलाआें की शिकायत यह भी है कि वह घर का खर्च नहीं देता है, जिससे घर में तनाव रहता है।

स्कूलों में बच्चों पर रखी जाएगी नजर

हर जिला में नशा निवारण केंद्र न खुलने का नतीजा यह हुआ है कि प्रदेश में हर वर्ष 50 परिवार नशे के कारण टूट रह हैं। महिला आयोग ने इसे लेकर चिंता जाहिर की है। आयोग के पूर्व सचिव द्वारा लिखे गए पत्र में साफ कहा गया था कि सभी जिला और जोनल अस्पतालों में नशा निवारण केंद्र खोले जाएं। इससे राज्य में कई ऐसे परिवार टूटने से बच जाएंगे, जो नशे के कारण अपनी पत्नी को भी प्रताडऩा का शिकार बनाते हैं। साथ ही बच्चों की भी मानसिक स्थ्तिी पर बुरा प्रभाव पडऩे से उनकी शिक्षा का रूप बिगड़ जाता है।