न पीने को पानी, न गांव को सड़क

मूलभूत सुविधाओं को भी तरस रहे बाहली के लोग, खड्ड के पानी से बुझाते हैं प्यास

धर्मपुर -आजादी के 72 साल के बाद भी धर्मपुर विधानसभा क्षेत्र की सरी पंचायत के अंतर्गत ऐसे परिवार हैं जो सरकार, प्रशासन व स्थानीय पंचायत की ओर से आज तक अनदेखी का ही शिकार होते रहे हैं। सरी पंचायत के गंगा रा परुआ जहां पर स्थानीय पंचायत का अपना कार्यालय भी है, के साथ ही एक ऐसी जगह है, जिसे बाहली के नाम से जाना जाता है। बाहली में इस वक्त दस से 12 परिवार ऐसे हैं, जो पूरी तरह मूलभूत सुविधाओं से वंचित हैं। न तो इन परिवारों को आज तक सड़क सुविधा से जोड़ा गया है और न ही इन परिवारों को सरकार की ओर से पीने के पानी की व्यवस्था की गई है। इसलिए ये परिवार खड्ड का पानी पीने को मजबूर हैं। इन परिवारों का कहना है कि उन्हें आज तक सरकार की ओर से मात्र बिजली की आपूर्ति की गई है, बाकी किसी ने उन्हें कोई सुविधा को पहुंचाने बारे सोचा ही नहीं। अब तो वे भी सरकार के नुमाइंदों से फरियाद करते-करते थक गए हैं। द्वितीय विश्वयुद्ध के गवाह रहे वीर योद्धा हीरा सिंह भरमोरिया, जिन्होंने 1942 में द्वितीय विश्व युद्ध में सैनिक की भूमिका निभाई थी और उसी युद्ध में घायल होकर स्वर्ण पदक हासिल किया था और अपंगता की अवस्था में सेना से सेवानिवृत्त होकर आ गए थे। हाल ही में हीरा सिंह का देहांत हुआ तो मीडिया के लोग जब उनके आंगन में बैठे थे तो देखा कि वह शोकाकुल परिवार जब टुल्लू पंप के सहारे खड्ड से पानी लाने को मजबूर है, तो मीडिया की आखों में भी आंसू आ गए और हीरा सिंह के बड़े बेटे का दर्द भी छलक कर बाहर आ गया। हीरा सिंह के बड़े बेटे ओमा दत्त भरमोरिया का कहना है कि यहां दस से 12 परिवारों के मकान व जमीन है, लेकिन सुविधाओं के अभाव में वे जो जीवन जी रहे हैं उसे बयान नहीं कर सकते। उनका कहना है कि दानुघाट में 1984 में एक्सीटेंड हुआ था और उस बस में बैठे अधिकतर लोग मौत का शिकार हो गए थे। उस दुर्घटना में वह अपाहिज हो गए थे। उन्होंने बताया कि बरसात के दिनों में उन्हें मुख्य सड़क मार्ग तक जाने के लिए खड्ड पार करनी पड़ती है, जो इस अवस्था में बहुत मुश्किल हो जाता है। उन्होंने कहा कि अब तो हद ही गई है 2014 में जब भारी बरसात हुई और थड़ी के जंगल ने जो कहर उनके मकानों व जमीनों पर ढहाया था, जिससे निपटने के लिए करीब 15 लाख रुपए अपने जीवन की कमाई इस आपदा से निपटने में लगा दी, लेकिन सरकार, प्रशासन व पंचयात की ओर से किसी ने उन्हें नहीं पूछा। उन्होंने कहा कि बाहली गांव के लोगों ने किसी भी तरह के चुनावों में वोट न डालने का निर्णय लिया है, जिसकी शुरुआत 2020 में होने वाले पंचायत चुनावों से की जाएगी और यह क्रम  2022 विधानसभा व 2024 लोकसभा तक लगातार जारी रहेगा।