पंचायतें खर्च नहीं कर पाईं 700 करोड़ रुपए

By: Jun 27th, 2019 12:12 am

एमपी लैड, विधायक निधि, रिलीफ की धनराशि भी शामिल

शिमला -हिमाचल प्रदेश की अधिकांश पंचायतों के पास कई योजनाओं का पैसा लंबित पड़ा हुआ है। पिछले वित्त वर्ष में यह राशि खर्च नहीं हो पाई है। करीब 700 करोड़ रुपए ऐसा है, जिसे खर्च नहीं किया जा सका है। अलबत्ता अब सरकार ने इस धनराशि की विस्तृत जानकारी मांगी है। ग्रामीण विकास एवं पंचायती राज विभाग ने सभी जिलाधीशों को इस संबंध में ताजा निर्देश दिए हैं। उन्हें कहा गया है कि वे पंचायतों के लिए आई योजनाओं पर खर्च नहीं हुए पैसे का हिसाब दें और उस धनराशि को री-एलोकेट करें। इस अनस्पेंड मनी को नए सिरे से खर्च करने के लिए कहा गया है और योजनाओं के बारे में भी जानकारी मांगी गई है। पंचायतों को 14वें वित्तायोग से सीधे पैसा आता है, वहीं सरकार की कई योजनाएं हैं, जिनका पैसा जिलाधीशों के माध्यम से दिया जाता है। जिलाधीश पंचायतों को जो धनराशि देते हैं, उन योजनाओं का खाका पहले उन्हें देना होता है। पंचायतों से जो प्रस्ताव आते हैं, उनमें अलग-अलग मदों में जिलाधीश पैसा जारी करते हैं। ऐसी करीब 700 करोड़ रुपए की धनराशि जिलाधीशों के पास पंचायतों की पड़ी है, जोकि अलग-अलग योजनाओं में खर्च नहीं हो सकी। इसमें एमपी लैड, विधायक निधि व रिलीफ की धनराशि भी शामिल है। इस धनराशि को अब नए सिरे से उन्हीं कार्यों के लिए देने को कहा गया है। ग्रामीण विकास विभाग ने यहां पंचायत स्तर पर योजनाओं की समीक्षा करने के बाद निर्णय लिया है कि जिलाधीश नए सिरे से लंबित राशि को एलोकेट करेंगे। यह पैसा वापस सरकार के खाते में नहीं आएगा, क्योंकि पिछले बजट में तय योजनाओं के लिए यह राशि रखी गई थी, परंतु पैसा पूरी तरह से खर्च नहीं हो सका। विभाग ने पंचायतों में कई तरह के नए कार्य भी शुरू करने को कहा है, जिसके लिए लक्ष्य रखा गया है। यही लक्ष्य जिलाधीशों व बीडीओ को भी दिया गया है, जिन्हें कहा गया है कि योजनाओं की समीक्षा पहले तीन महीने में ब्लॉक स्तर पर होगी, फिर उसकी समीक्षा जिला स्तर पर और राज्य स्तर पर की जाएगी। खुद विभाग ने चार जोन बनाए हैं, जोकि चारों संसदीय क्षेत्रों में हैं। जो लक्ष्य विभाग ने तय किया है, उसके मुताबिक हरेक जोन हर तीन महीने बाद लक्ष्यों पर हुए कार्यों की समीक्षा की जाएगी। इस समीक्षा के उपरांत विभाग के कामकाज में ग्रामीण स्तर पर तेजी आएगी। इसके साथ प्रधानों को भी अपनी शक्तियों के इस्तेमाल को कहा गया है। प्रधान अपनी ज्यूडीशियल पावर को इस्तेमाल नहीं कर रहे हैं, उनको भी हिदायत दे दी गई है।


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