माटी के लाल
बांटेंगे कॉफी के 50 हजार बूटे
हिमाचल एक्सीलेंस अवार्ड से सम्मानित डा. विक्रम इस बार भी कॉफी के 50 हजार बूटे बागबानों को फ्री में बांटने जा रहे हैं। डा.विक्रम बिलासपुर जिला में भराड़ी उपतहसील की मरहाणा पंचायत निवासी हैं। वह मंझोटी गावं में पिछले 19 साल से कॉफी पर शोध कर रहे हैं। हिमाचली किसान बागबानों की खातिर वह बरसों पहले कर्नाटक से कॉफी चंद्रागिरि किस्म लाए थे। कड़ी मेहनत के बाद उनकी नर्सरी में पौध तैयार हो रही है, जिसे वह हिमाचली बागबानों को फ्री में बांट रहे हैं। विक्रम ने दाल चीनी ,कपूर, हींग, सेब, आड़ू, के पौधों पर भी रिसर्च की है। गौर रहे कि डा विक्रम को प्रदेश का अग्रणी मीडिया ग्रुप उनके शानदार कार्याें के लिए एक्सीलेंस अवार्ड से सम्मानित कर चुका है। टिप्स : मेरी आज के किसानों से यही गुजारिश है, कि जो हमारी निचले क्षेत्रों में बंजर जमीन है वहां पर कॉफी की पैदावार अच्छी हो सकती है। क्योंकि हमारा जितना भी निचला क्षेत्र है बंदरों आवारा पशुओं से भरा है उतना ही यहां फल, पौधे आदि से भरा हुआ है। इन पौधों के नीचे हम कॉफी के पौधे लगाए जा सकते हैं और कॉफी हमारी अंतरराष्ट्रीय फसल है। इसलिए मेरा नीचे किसानों से यही अनुरोध है कि वे यहां अधिक से अधिक कॉफी के पौधे लगाएं। -अजय शर्मा,भराड़ी
हाइब्रिड धान पर नहीं मिल रही सबसिडी
बीज मालिक किसानों से वसूल रहे मनमाने दाम, महकमे पर फिर उठे सवाल…
— जसवीर सिंह, सुंदरनगर
- कृषि विभाग से रेट तय न होने की वजह से 6129 गोल्ड व स्विफ्ट गोल्ड किस्मों की बिक्त्री का करार नहीं हो पाया है।
– शान्या सिंह, क्षेत्रीय प्रबन्धक, बायर क्रॉप साइंस
- यूएस 312, 6129, स्विफ्ट गोल्ड इत्यादि किस्मों की आरसी नही हुई है। विभाग उन बीजों पर अनुदान देता है। जिनका रेट कॉन्ट्रैक्ट होता है।
– बीडी शर्मा, जिला कृषि अधिकारी, मंडी
महादंगल के लिए गंगथ तैयार
उत्तर भारत के सबसे बड़े दंगल के लिए बरतनों का शहर यानी गंगथ पूरी तरह सज गया है। तीन से छह जून तक चलने वाले महादंगल में इस पहले दिन हिमाचली पहलवानों को मौका दिया जाएगा। चार जून को दंगल गर्ल का चयन किया जाएगा। पांच जून को टॉप पहलवानों की तस्वीर क्लीयर हो जाएगी, जबकि छह जून को महादंगल में देश के नामी पहलवानों में से नंबर वन का फैसला होगा।
जगदेव डढवाल, गंगथ
हिमाचल में उजड़ी खेती को बचाएंगे फूल
हिमाचल में बंदरों और सूअरों के अलावा लावारिस पशुओं ने किसानों की नाक में दम कर रखा है। हजारों किसानों ने खेती छोड़ दी है। इससे हर कोई चिंतित है। लगातार उजड़ रहे खेतों को बचाने के लिए सीएसआईआर पालमपुर ने अरोमा मिशन शुरू किया है। हिमाचल को तीन भागों में बांटकर किसानों को फूलों की खेती के प्रति पेरित किया जाएगा।
योजना के तहत ऊना जैसे मैदानी इलाकों में जहां लेमन ग्रास लगवाया जाएगा, वहीं मध्यवर्ती ऊंचाई वाले इलाकों में गेंदा लहलहाएगा। इसी तरह ऊंचाई वाले क्षेत्र में जटामांसी, हिमरोज आदि से खेती बचाई जाएगी। वैज्ञानिकों के अनुसार ये वे फूल या पौधे हैं,जिनके पास बंदर, सूअर और दूसरे पशु फटकते तक नहीं हैं। यही नहीं इनकी बाजार में मांग भी खूब है। बताते हैं कि एक हेक्टेयर जमीन में ये पौधे लगाने से एक सीजन में डेढ़ लाख तक इन्कम हो सकती है। सीएसआईआर के अरोमा मिशन के अंर्तगत ‘प्रोफि टेबल अरोमेटिक क्राप्स फॅर अनहेंसिंग फार्म इनकम’ की सोच के तहत वैज्ञानिकों ने हिमाचल प्रदेश व साथ लगते क्षेत्रों के किसानों के लिए योजना बनाई है। वैज्ञानिकों ने गुलाब की हिमरोज, ज्वाला, नूरजहां और रानी साहिबा, जंगली गेदा की हिम गोल्ड, जटामांसी की हिमबाला, थिमसिंगली की हिम सुरभ, लेमन ग्रास की कृष्णा व शेखर आदि अनेक किस्में विकसित की हैं।
जैसी ऊंचाई, वैसी वैरायटी
वैज्ञानिकों ने अलग-अलग उंचाई वाले क्षेत्रों में अलग-अलग किस्म के फूलों की खेती को प्रोत्साहित करने की योजना बनाई है। इसके तहत मैदानी, मध्यपवर्तीय व पवर्तीय क्षेत्रों में अधिक उत्पादन देने वाले फूलों कि किस्मों को तैयार करवाया जाएगा ताकि किसान अधिक से अधिक लाभ ले सकें। प्रदेश में लेमन ग्रास, गुलाब, जंगली गेंदा सहित अन्य फूलों की खेती की जाएगी। ‘सीएसआईआर-अरोमा मिशन के तहत किसानों को सगंध फूलों व पौधों की खेती के लिए प्रोत्साहित किया जा रहा है। सगंध फूलों ऐसी अनेक किस्में हैं जिनको जानवर भी नुकसान नहीं पहुंचाते।
गिरिपार से गुड न्यूज
3 हजार में एक मण लहसुन
15 जून तक होगा बंदगोभी का बीमा
मक्की, धान और टमाटर की फसल का 31 जुलाई तक करवा सकते हैं बीमा
धान और किसान..बड़े काम की है यह बात
— प्रतिमा चौहान, शिमला
किसान बागबानों के सवाल
1 गर्मियों में मुर्गियों को बीमारी से बचाने के लिए क्या करें?
विनोद, ऊना
- अनार पर फूल आने के बाद उसे कीट से बचाने के लिए कौन सी दवाई का छिड़काव करें?
राजेंद्र, शिमला
आप सवाल करो, मिलेगा हर जवाब
आप हमें व्हाट्सऐप पर खेती-बागबानी से जुड़ी किसी भी तरह की जानकारी भेज सकते हैं। किसान-बागबानों के अलावा अगर आप पावर टिल्लर-वीडर विक्रेता हैं या फिर बीज विक्रेता हैं,तो हमसे किसी भी तरह की समस्या शेयर कर सकते हैं। आपके पास नर्सरी या बागीचा है,तो उससे जुड़ी हर सफलता या समस्या हमसे साझा करें। यही नहीं, कृषि विभाग और सरकार से किसी प्रश्ना का जवाब नहीं मिल रहा तो हमें नीचे दिए नंबरों पर मैसेज और फोन करके बताएं। आपकी हर बात को सरकार और लोगों तक पहुंचाया जाएगा। इससे सरकार को आपकी सफलताओं और समस्याओं को जानने का मौका मिलेगा।
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