फायर इंजीनियरों की बढ़ रही है मांग

By: Jun 5th, 2019 12:09 am

बडे़-बडे़ मॉल्स या मेले तो आग के मामले में इतने खतरनाक होते हैं कि एक साथ सैकड़ों की जान जाती है।  उत्तराखंड और हिमाचल के जंगलों में लगी आग का उदाहरण हमारे सामने है। इस वजह से आज फायर इंजीनियरों की मांग काफी बढ़ गई है। फायर इंजीनियरों की बढ़ती मांग को पूरा करने के लिए आज कई सरकारी व निजी संस्थान खुल गए हैं…

आगजनी की घटनाएं तेजी से बढ़ी हैं। चलती कारों में आग लग जाती है, तो बडे़-बडे़ मॉल्स, काफी हद तक सुरक्षित मानी जानी वाली ऊंची-ऊंची इमारतें भी पूरी तरह सुरक्षित नहीं हैं। यदि आग अनियंत्रित हो जाए, तो जान-माल का भी काफी नुकसान होता है। ऐसी स्थिति में फायर इंजीनियरिंग से जुड़े लोगों की जरूरत होती है, जो आग पर काबू करना अच्छी तरह जानते हों। बडे़-बडे़ मॉल्स या मेले तो आग के मामले मेें इतने खतरनाक होते हैं कि एक साथ सैकडों की जान जाती है। अभी हाल ही में उत्तराखंड और हिमाचल के जंगलों में लगी आग का उदाहरण हमारे सामने है। इस वजह से आज फायर इंजीनियरों की मांग काफी बढ़ गई है। फायर इंजीनियरों की बढ़ती मांग को पूरा करने के लिए आज कई सरकारी व निजी संस्थान खुल गए हैं। साथ ही, देश के कई विश्वविद्यालयों ने इस कोर्स को अपने पाठ्यक्रम में शामिल कर लिया है।

क्या है फायर इंजीनियरिंग

फायर इंजीनियरिंग में पब्लिक के बीच रहकर ही काम करना होता है। सिविल इंजीनियरिंग, इलेक्ट्रिकल इंजीनियरिंग, एन्वायरनमेंटल इंजीनियरिंग जैसे विषयों से तो इसका सीधा जुड़ाव होता ही है, आग लगने पर पब्लिक का कैसा व्यवहार हो, पब्लिक के साथ इन लाइफ  गार्ड्स का क्या व्यवहार हो, इन सब पर भी जोर दिया जाता है। इसके अलावा ढेर सारी तकनीकी बातें होती हैं, जो इसे बाकी क्षेत्रों से अलग करती हैं। मसलन आग बुझाने के यंत्रों की तकनीकी जानकारी, स्प्रिंक्लर सिस्टम, अलार्म, पानी की बौछार का सबसे सटीक इस्तेमाल और कम से कम समय और संसाधनों में ज्यादा से ज्यादा लोगों की जान और माल के बचाव के साइंटिफिक फार्मूले। सबसे बड़ी बात है क्राइसिस मैनेजमेंट, जो इस करियर में सीखने को मिलती है।

चुनौतियां तमाम

कार्य के दौरान फायर इंजीनियर का सामना कई तरह की चुनौतियों से होता है। इसके लिए साहस के साथ-साथ समाज के प्रति कर्त्तव्य की प्रतिबद्धता होनी भी जरूरी है। फायर इंजीनियर का कार्य इंजीनियरिंग डिजाइन, आपरेशन व प्रबंधन से संबंधित होता है। फायर इंजीनियर की प्रमुख जिम्मेदारी दुर्घटना के समय आग के प्रभाव को सीमित करना होती है। इसके लिए वे अग्निसुरक्षा के विभिन्न तरीकों को इस्तेमाल करते हैं। इसके अतिरिक्त अग्निशमन के आधुनिक उपकरणों के इस्तेमाल व उनके रखरखाव की तकनीक में सुधार भी इनकी जवाबदेही होती है।

योग्यता

विभिन्न पाठ्यक्रमों के लिए योग्यताएं भी अलग-अलग होती हैं। फायर इंजीनियरिंग में अधिकांश कोर्स ग्रेजुएट स्तर पर उपलब्ध हैं, जिसके लिए साइंस विषयों में बारहवीं पास होना जरूरी है। इसके अलावा इन कोर्र्सों में प्रवेश के लिए कई संस्थान राष्ट्रीय स्तर पर प्रवेश परीक्षा और साक्षात्कार आदि भी आयोजित करते हैं। बैचलर ऑफ  इंजीनियरिंग के अलावा आप इस क्षेत्र में स्नातकोत्तर स्तर पर मास्टर और डाक्टरेट की पढ़ाई भी कर सकते हैं।

शारीरिक योग्यता

इन पाठ्यक्रमों में फिजिकल फिटनेस के अंक भी जोड़े जाते हैं। पुरुष के लिए 50 किलो के वजन के साथ 165 सेमी लंबाई और आई साइट 6 बाई 6, सीना सामान्य रूप से 81 सेमी और फुलाने के बाद 5 सेमी फैलाव होना जरूरी है। महिला का वजन 46 किलो और लंबाई 157 सेमी और आई साइट 6 बाई 6 होनी चाहिए।

प्रशिक्षण

इस पाठ्यक्रम के तहत आग बुझाने के विभिन्न तरीकों की जानकारी दी जाती है। इसमें बिल्डिंग निर्माण के बारे में भी जानकारी दी जाती है। ताकि आग लगने की स्थिति में उसे बुझाने में ज्यादा परेशानी न हो। उन्हें आग लगने के कारणों और उसे बुझाने के उपायों के बारे में भी विस्तार से बताया जाता है।

संभावनाएं

इसमें रोजगार की अपार संभावनाएं हैं। पहले जहां अवसर केवल सरकारी फायर ब्रिगेड में ही होते थे, वहीं बदलते दौर के साथ फायर इंजीनियरिंग कोर्स करने वालों के लिए ढेरों नए विकल्प निजी सेक्टर में भी सामने आ गए हैं। इनमें प्रमुख इस प्रकार हैं

कंसल्टेंसी

जब से हर बड़ी इमारत के साथ आग से जुड़े खतरों के लिए कुछ जरूरी नियमों का पालन करना अनिवार्य कर दिया गया है, इस फील्ड में कंसल्टेंट्स की मांग बढ़ गई है। कंसल्टेंसी  कंपनियां धीरे-धीरे बिल्डर्स का भरोसा जीत रही हैं और उनकी संख्या बढ़ रही है।

रिसर्च

फायर प्रोक्टेशन के फील्ड में रिसर्च पहले भारत में नहीं होती था, लेकिन अब यहां भी होने लगी है। हालांकि ऐसा अभी बहुत कम कंपनियों ने किया है, लेकिन बडे़ कैंपस वाली कंपनियां अब फायर प्रोटेक्शन इंजीनियरों की स्थायी भर्ती करने लगी हैं।

इंश्योरेंस

जैसे-जैसे आग लगने के मामले बढ़ रहे हैं, वैस-वैसे आग से जुड़ी बीमा पालिसियों की भी मांग बढ़ गई है। इसके साथ ही ऐसे लोगों की जरूरत भी बढ़ गई है, जो आग से होने वाले नुकसान का ठीक-ठीक अनुमान लगा सकें। अब हर बडे़ निर्माण में आग बुझाने के उपकरणों को रखना भी अनिवार्य कर दिया गया है। इससे उपकरणों का उत्पादन भी बढ़ गया है। उनके उत्पादन से लेकर मार्केटिंग तक के फील्ड में फायर इंजीनियर्स की मांग बढ़ गई है।

सैलरी पैकेज

सरकारी अथवा गैर सरकारी संगठनों में फायरकर्मियों के वेतन का आधार अलग-अलग होता है। सरकारी संस्थानों में जहां एक फायरमैन की तनख्वाह दस हजार रुपए प्रतिमाह होती है, वही फायर इंजीनियर को बीस हजार रुपए और मुख्य अग्निशमन अधिकारी को इससे अधिक वेतन मिलता है। इसकी तुलना में प्राइवेट संस्थाएं अपने यहां कार्यरत फायरमैन को 12000 से 14000, फायर इंजीनियर को 20000 तथा अग्निशमन अधिकारी को 25000 से 30000 रुपए प्रतिमाह तक का सैलरी पैकेज देती हैं। प्राइवेट संस्थान अपने यहां कुछ वर्ष का अनुभव रखने वाले लोगों को ही वरीयता देते हैं। वैसे निजी संस्थाओं में वेतन का आधार स्वयं की काबिलीयत और अनुभव रखता है।

प्रमुख शिक्षण संस्थान

* फायर ट्रेनिंग सेंटर बल्देयां, शिमला (हिमाचल प्रदेश)

* इंस्टीच्यूट ऑफ डिजास्टर मैनेजमेंट एंड फायर सेफ्टी, मोहाली

* स्टार एविएशन अकादमी, गुड़गांव

* गवर्नमेंट इंजीनियरिंग कालेज, जम्मू

* एशियन फायर इंजीनियरिंग कालेज, नागपुर

* इंस्टीच्यूट ऑफ  फायर इंजीनियरिंग, नई दिल्ली

* इंस्टीच्यूट ऑफ  फायर एंड सेफ्टी मैनेजमेंट, देहरादून

* राष्ट्रीय अग्निशमन सेवा महाविद्यालय, नागपुर

कोर्स

* बीई इन फायर इंजीनियरिंग * सर्टिफिकेट कोर्स इन फायर एंड सेफ्टी इंजीनियरिंग * डिप्लोमा कोर्स इन फायर एंड सेफ्टी इंजीनियरिंग मैनेजमेंट *पोस्ट ग्रेजुएट डिप्लोमा इन फायर एंड सेफ्टी इंजीनियरिंग* बीटेक इन फायर एंड सेफ्टी इंजीनियरिंग * डिप्लोमा इन फायर एंड इंडस्ट्रियल सेफ्टी इंजीनियरिंग * डिग्री कोर्स इन फायर साइंस *एडवांस कोर्स इन फायर इंजीनियरिंग

उभरता हुआ क्षेत्र है फायर इंजीनियरिंग

फायर इंजीनियरिंग में  करियर संबंधित विस्तृत जानकारी प्राप्त करने के लिए हमने  डिविजनल आफिसर शिमला डीसी शर्मा  से खास बातचीत की…

डीसी शर्मा, डिविजनल आफिसर, शिमला

अग्निशमन करियर अपनाने वाले युवा में क्या विशेष गुण होने चाहिए?

विभिन्न पाठ्यक्रमों के लिए योग्यताएं भी अलग-अलग होती हैं। फायर इंजीनियरिंग में अधिकांश कोर्स ग्रेजुएट स्तर पर उपलब्ध हैं, जिसके लिए साइंस विषयों में बारहवीं पास होना जरूरी है। इसके अलावा इन कोर्सों में प्रवेश के लिए कई संस्थान राष्ट्रीय स्तर पर प्रवेश परीक्षा और साक्षात्कार आदि भी आयोजित करते हैं। बैचलर ऑफ इंजीनियरिंग के अलावा आप इस क्षेत्र में स्नातकोत्तर स्तर पर मास्टर और डाक्टरेट भी कर सकते हैं।

युवाओं में क्या योग्यता होनी चाहिएं?

इन पाठ्यक्रमों में फिजिकल फिटनेस के अंक भी जोड़े जाते हैं। पुरुष के लिए 50 किलो के वजन के साथ 165 सेमी लंबाई और आई साइट 6 बाई 6,सीना सामान्य रूप से 81 सेमी और फुलाने के बाद 5 सेमी फैलाव होना जरूरी है। महिला का वजन 46 किलो और लंबाई 157 सेमी और आई साइट 6 बाई 6 होनी चाहिए।

रोजगार के अवसर किन क्षेत्रों में उपलब्ध हैं?

इसमें रोजगार की अपार संभावनाएं हैं। पहले जहां अवसर केवल सरकारी फायर ब्रिगेड में ही होते थे, वहीं बदलते दौर के साथ फायर इंजीनियरिंग कोर्स करने वालों के लिए ढेरों नए विकल्प निजी सेक्टर में भी सामने आ गए हैं। इनमें प्रमुख इस प्रकार हैं

फायर इंजीनियरिंग में करियर का क्या स्कोप है?

फायर इंजीनियरिंग एक तेजी से उभरता हुए क्षेत्र है। छोटी झुग्गी-बस्तियों से लेकर बड़े-बड़े मॉल्स आज आग से पूरी तरह सुरक्षित नहीं हैं। ऐसे में यदि आग को समय पर काबू न किया जाए तो इससे जान माल की भारी क्षति उठानी पड़ती है। इस आग से निपटने के लिए फायर फाइटर्स की जरूरत होती है। ये प्रोफेशनल्स फायर इंजीनियरिंग क्षेत्र से ही होते हैं। देश में सरकारी स्तर पर खोले गए फायर स्टेशनों में फायरमैनों की कमी है। ऐसे में आने वाले सालों में निजी ही नहीं बल्कि सरकारी क्षेत्रों में भी रोजगार के अवसर बढ़ने की पूरी संभावना है।

इस क्षेत्र में आने के लिए कहां तक पढ़ाई करना आवश्यक है?

फायर इंजीनियरिंग में डिप्लोमा या डिग्री में दाखिले के लिए केमिस्ट्री, फिजिक्स या गणित विषय में 50 प्रतिशत अंकों के साथ 12वीं पास होना जरूरी है। वहीं कुछ पदों के लिए बीई फायर की डिग्री अनिवार्य है। फायर इंजीनियरिंग में दाखिले के लिए अब ऑल इंडिया एंट्रेंस एग्जाम होता है। इसके माध्यम से ही छात्रों का चयन इंजीनियरंग संस्थानों के लिए किया जाता है।

हिमाचल में फायर इंजीनियरिंग कोर्स कहां चलता है?

हिमाचल में फायर इंजीनियरिंग में डिग्री व डिप्लोमा कोर्स की कोई सुविधा नहीं है। ऐसे में यहां युवा बाहर के ही संस्थानों से ही शिक्षा ग्रहण करने जाते हैं। हिमाचल अग्निशमन विभाग ने नेशनल फायर सर्विसेज कालेज नागपुर से कोर्स को मान्यता दे रखी है।  हालांकि हिमाचल में फायर ट्रेनिंग सेंटर बल्देयां, शिमला में स्थापित किया गया है, जहां होमगार्ड्स व जवानों को समय-समय पर प्रशिक्षण दिया जाता है।

रोजगार की संभावनाएं कहां-कहां हैं?

फायर इंजीनियरिंग से जुड़े लोगों के लिए सरकारी और गैर सरकारी क्षेत्र में रोजगार की अपार संभावनाएं हैं। इस फील्ड से जुड़े प्रोफेशनल्स अग्निशमन विभागों में एयरपोर्ट, रेलवे, पैरामिलिट्री ,सीआईएसएफ, बिजली बोर्डों व निगमों में, पेट्रो केमिकल्ज, खनन, रिफाइनरी, बड़ी औद्योगिक में रोजगार हासिल कर सकते हैं।

इस क्षेत्र में आरंभिक आय कितनी है?

सरकारी अथवा गैर सरकारी क्षेत्र में फायर कर्मियों के वेतन में भिन्नता रहती है। सरकारी विभागों में कार्यरत एक फायरमैन की आरंभिक तनख्वाह 20 हजार के करीब रहती है, वहीं निजी क्षेत्र के अपने मापदंड रहते हैं। बिन फायर में तो युवाओं को अच्छी सैलरी मिलती है।

-टेक चंद वर्मा, शिमला


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