बिलासपुर में कवियों का रंगमंच
मासिक साहित्यिक संगोष्ठी में रचनाएं पेश कर बांधा समां
बिलासपुर – भाषा एवं संस्कृति विभाग कार्यालय बिलासपुर द्वारा मासिक साहित्यिक संगोष्ठी का आयोजन संस्कृति भवन बिलासपुर के साहित्यिक कक्ष में किया गया। कार्यक्रम की अध्यक्षता जिला भाषा अधिकारी नीलम चंदेल ने की, जबकि मंच का संचालन रविंद्र भट्टा द्वारा किया गया। संगोष्ठी में सर्वप्रथम इंद्र सिंह चंदेल द्वारा ‘गुरु जी कलम-दवात हथ तेरे नी चंगे मेरे लेख लिख दे’, रविंद्र भट्टा ने संत कबीर नामक विषय पर पत्रवाचन किया, जीतराम सुमन ने चुनावों के इस महासमर में, कोई खुशियां मनाते, कोई जश्न को तैयार, नरैणु राम हितैषी ने कुछ सवाल ऐसे कि बुद्धि चकरा जाए, कुछ जबाव ऐसे कि कोई लाजवाब हो जाए, अमर नाथ धीमान ने घराटा रा से आटा बांई रा पाणीयां, स्याणयां रा साफा अंबां रा माणियां, जसबंत चंदेल ने प्रवासी महिला, फिर उठाती है हथौडे़ को, मानों कर देना चाहती है चूर-चूर, प्रदीप गुप्ता ने जाकी अक्कल में गोबर होए, सो इनसान पटकर कर रोए, भैंस मरे तो बनते जूते, अक्कल मरे, तो पड़ते जूते, रविंद्र भट्टा ने जो राजनीति का अर्थ तक नहीं जानते, वे इसे गहराई से समझा रहे हैं, सुशील पुंडीर ने दुनिया को रोशन कर खुद अंधेरे में डूब गया मेरा शहर, जल समाधी लेता हैं हर साल मेरा शहर, शिवपाल गर्ग ने जिंदगी की राह में कुछ मोड़ ऐसे थे मिले, खत्म खुद ही हो गए, जो प्यार के थे सिलसिले, हुसैन अली ने थोड़ा थक गया हूं मैं, दूर निकलना छोड़ दिया है, सत्या शर्मा ने किराए के मकान के पास कविता सुनाई। भाषा अधिकारी नीलम चंदेल ने विभाग की योजनाओं के बारे में साहित्यकारों को जानकारी दी। इस अवसर पर इंद्र सिंह चंदेल, कांता देवी, प्यारी देवी, अमर सिंह, नेहा देवी, रवि कुमार व नेहा कुमारी अन्य मौजूद रहे।
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