बुद्ध मूर्ति की गिरफ्तारी
जेन कहानियां
सूत की पचास गांठे लेकर चल रहा एक व्यापारी थक कर बुद्ध मूर्ति के पास आराम करने को रुक गया। उसे झपकी आ गई। जब आंख खुली, गांठे गायब थीं। उसने पुलिस में रिपोर्ट लिखवा दी। ओ ओका नामक जज की अदालत में सुनवाई हुई। जरूर उस बुद्ध मूर्ति ने गांठे चुराई हैं, जज ने फैसला सुनाया, उनसे उम्मीद की जाती है कि वे लोगों का भला करेंगे, लेकिन उन्होंने अपना कर्त्तव्य पूरा नहीं किया। उन्हें गिरफ्तार कर लिया जाए। पुलिस ने बुद्ध मूर्ति को गिरफ्तार कर अदालत में पेश किया। बुद्ध मूर्ति के पीछे-पीछे भारी भीड़ अदालत में घुस आई। लोगों को उत्सुकता थी कि जज बुद्ध को क्या सजा सुनाएंगे। जज ओ ओका कुर्सी पर बैठते ही लोगों पर बरस पड़े, इस तरह हल्ला मचाते हुए अदालत में आने की तुम लोगो ीि जुर्रत कैसे हुई? अदालत की तौहीन करने के बदले में तुम लोगों को सजा दी जाएगी। लोग सकते में आकर बिगड़ने लगे। मैं तुम लोगों को एक ही शर्त पर माफ कर सकता हूं। तुम से हरेक को तीन दिन के अंदर-अंदर एक सूत की गांठ लाकर अदालत में जमा करानी होगी। जो ऐसा नहीं करेगा, उसे गिरफ्तार कर लिया जाएगा। जज ने इतना कह कर अदालत स्थगित कर दी। अदालत में गांठे पहुंची, तो उनमें से एक गांठ को व्यापारी ने पहचान लिया। चोर पकड़ा गया। सारी गांठें बरामद हो गई। लोगों की गांठें लोगों को लौटा दह गई।
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