बेटियों ने पिता की अर्थी को दिया कंधा

बेटा न होने पर पांचों पुत्रियों ने निभाया फर्ज, पिता के अंतिम संस्कार की सारी रस्में निभाईं

लंबलू-बेटियों ने बेटे का फर्ज निभाते हुए पिता की अर्थी को कंधा देकर दो किलोमीटर दूर शमशानघाट तक पहुंचा। पांच बहनों ने अपने पिता की अर्थी को कंधा दिया। बेटियों के हौसले ने सभी को हैरत में डाल दिया। पिता के पार्थिव शरीर को अपने कंधों पर उठाए बेटियां शमशानघाट तक गईं। शमशानघाट पर पांचों ने एक साथ पिता के पार्थिव शरीर को मुखाग्नि दी। बेटियों ने साबित कर दिया कि आज के दौर में बेटियां बेटों से कहीं भी कम नहीं है। भले ही शास्त्रों में मुखाग्नि के लिए बेटे को प्राथमिकता दी जाती रही हो, लेकिन यही फर्ज बेटियां भी निभा सकती हैं। जानकारी के अनुसार ग्राम पंचायत बफड़ी की प्रधान शकुंतला देवी के पिता खजाना मैहर का मंगलवार को निधन हो गया। वह करीब 97 वर्ष के थे। कुछ समय से वह बीमार चल रहे थे। मंगलवार को उन्होंने अंतिम सांस दी। घर से शव यात्रा निकालते समय जब अर्थी को उठाने का समय आया तो पांचों बेटियां आगे आ गईं। पिता की अर्थी को कंधा देकर पार्थिव शरीर शमशानघाट तक पहुंचाया। अंतिम संस्कार की सारी रस्में पांचों बहनों शकुंतला देवी, कंचना ठाकुर, रमना देवी, विमला देवी व निर्मला देवी ने पूरी कीं। बता दें कि इनका कोई भाई नहीं है। शकुंतला देवी बफड़ी पंचायत की प्रधान हैं, जबकि कंचना ठाकुर हमीरपुर अस्पताल में स्टाफ नर्स हैं। ये दोनों बहनें पिता के साथ रहती थीं। बुढ़ापे के दिनों में उन्होंने अपने पिता की सेवा की। पिता की अंतिम यात्रा में भी बहनों ने भाई का फर्ज निभाया है। पांचों बहनों की माता का निधन पहले ही हो चुका है।