मंजिल सोचने से नहीं मेहनत से मिलती है संतोषगढ़—मंजिल सिर्फ सोचने से नहीं मिलती, उसके लिए काम और मेहनत करनी पड़ती है ये शब्द ‘दिव्य हिमाचल’ से बात करते हुए भारत के सबसे बड़े मसल का खिताब पर कब्जा जमा चुके फतेहगढ़ साहिब की धरती से सतनाम खात्रा ने कहे। गुरुओं की धरती पंजाब के भल माजरा गांव मंे पिता मलकीत सिंह माता दलजीत कौर के घर जन्मे सतनाम खाटरा आज किसी पहचान के मोहताज नहीं हंै। नगर परिषद संतोखगढ़ के गणपति जिम में एक चोट नशे पर कार्यकम में पहुंचे सतनाम ने ‘दिव्य हिमाचल’ के साथ खास बातचीत की। उन्होंने बताया कि बॉडी बिल्ंिडग का शौक उन्हें जन्म से ही था। उन्होंने बताया कि उनके परिवार के सभी सदस्य कबड्डी के खिलाड़ी रह चुके हैं और वह भी कबड्डी के खिलाड़ी हंै। उन्होंने बताया कि हम पंजाब में एक एनजीओ भी चलाते हंै और जिस किसी जरूरतमंद को जरूरत हो उसकी हम सब मिल कर सहायता करते हैं। उन्होंने युवाओं को नशे से दूर रहने की अपील भी की।

By: Jun 10th, 2019 12:05 am

संतोषगढ़—मंजिल सिर्फ सोचने से नहीं मिलती, उसके लिए काम और मेहनत करनी पड़ती है ये शब्द ‘दिव्य हिमाचल’ से बात करते हुए भारत के सबसे बड़े मसल का खिताब पर कब्जा जमा चुके फतेहगढ़ साहिब की धरती से सतनाम खात्रा ने कहे। गुरुओं की धरती पंजाब के भल माजरा गांव मंे पिता मलकीत सिंह माता दलजीत कौर के घर जन्मे सतनाम खाटरा आज किसी पहचान के मोहताज नहीं हंै। नगर परिषद संतोखगढ़ के गणपति जिम में एक चोट नशे पर कार्यकम में पहुंचे सतनाम ने ‘दिव्य हिमाचल’ के साथ खास बातचीत की।  उन्होंने बताया कि बॉडी बिल्ंिडग का शौक उन्हें जन्म से ही था। उन्होंने बताया कि उनके परिवार के सभी सदस्य कबड्डी के खिलाड़ी रह चुके हैं और वह भी कबड्डी के खिलाड़ी हंै। उन्होंने बताया कि हम पंजाब में एक एनजीओ भी चलाते हंै और जिस किसी जरूरतमंद को जरूरत हो उसकी हम सब मिल कर सहायता करते हैं। उन्होंने युवाओं को नशे से दूर रहने की अपील भी की।


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