मुश्किल काम है पिता को गले लगाना 

By: Jun 19th, 2019 12:07 am

स्टैंडअप कॉमेडियन और कॉमेडी सर्कस जैसे कॉमेडी शोज के जरिए अपनी पहचान बना चुके बलराज अपने पिता के साथ ऑस्ट्रेलिया में यादगार ट्रिप मनाने के बाद वापस भारत आ गए हैं, बता दें कि बलराज लंबी छुट्टियों के बाद फिर से अपने काम मे लग जाएंगे। उनके साथ हाल ही में हुई बातचीत के अंश पेश हैं….

मुझे ऐसा लगता है कि जिन्होंने आपको पैदा किया अगर आपकी जिम्मेदारी उनके के लिए नहीं है तो कल जब आप जिनको पैदा करेंगे तो उनसे भी उम्मीद मत कीजिए कि आपके लिए भी वह जिम्मेदारी उठाएंगे, मुझे लगता है जिंदगी में हम जो कुछ भी हैं जितना भी हमने किया है वह सब करने के किए सबसे जरूरी चीज होती है इस दुनिया में आना, जो इनसान अपने मां-बाप के साथ कनेक्ट नहीं हैं, आई थिंक वह किसी से कनेक्ट नहीं कर सकता…

अपने पिता के लिए बेटे की क्या जिम्मेदारी होनी चाहिए?

मुझे ऐसा लगता है कि जिन्होंने आपको पैदा किया अगर आपकी जिम्मेदार उनके के लिए नहीं है तो कल जब आप जिनको पैदा करेंगे तो उनसे भी उम्मीद मत कीजिए कि आपके लिए भी वह जिम्मेदार उठाई मुझे लगता है जिंदगी में हम जो कुछ भी है जितना भी हमने किया है वह सब करने के किए सबसे जरूरी चीज होती है इस दुनिया में आना जो इनसान अपने मां-बाप के साथ कनेक्ट नहीं है आई थिंक वह किसी से कनेक्ट नहीं कर सकता। मेरे पिता के लिए मेरी कोशिश यही रहेगी कि ज्यादा से ज्यादा उन्हें टाइम दूं उसे खुश रखूं और मैं यह मानता हूं मेरे ऊपर इतना भी कर्ज है वह मेरे मां-बाप के लिए है उसे मैं थोड़ा सा भी उतार पाऊं तो मेरे लिए बहुत बड़ी बात होगी।

आप अपने पिता के साथ ऑस्ट्रेलिया ट्रिप पर थे, कैसा महसूस होता है जब हम अपने पिता के साथ फेवरिट जगह पर छुट्टियां मनाने का मौका मिलता है तो?

जगह फेवरीट इसी लिए थी के वहां मेरा छोटा भाई रहता है और इतने सालों तक आपके मां-बाप ने आपके लिए अपनी छुट्टियां मिस की हैं। संडे भी छुटियां नहीं रखते क्योंकि एक दिन काम नहीं करेंगे तो पैसे नहीं आएंगे, तो जिन्होंने पचास साल आपके लिए अपनी छुट्टियां मिस की हैं उनके साथ छुट्टियों पर जाना बड़ी ही अच्छी बात है। और यह मेरा उनके साथ पहला ट्रिप था

और वह पंजाब से मुंबई आते-जाते रहते है, लेकिन मैं और मेरे पिता कभी एक साथ घूमने नहीं गए। क्योंकि जिस तरह का शकुन जिस तरह की खुशी मैंने उनके चहरे पर देखी तो मुझे लगा हिज दीजोर्व लॉट मोर और बड़ा अच्छा लगता है आप उनके साथ घूमने जाते हो जो आपको बचपन से घुमा रहे हैं।

आप बेटे कैसे हैं?

मैं बहुत कमाल का भी नहीं और बहुत खराब भी नही हूं। थोड़ा बहुत जिंदगी में कर लिया जिसे लोग जब मेरे पिता को मिलते होंगे तो बोलते होंगे आपका बेटा टीवी पर आ रहा है और सालों में कुछ और बार उनके साथ घूमने चले जाओ तो और अच्छा बेटा बना जाऊंगा और उनकी एक ही शिकायत रहती है कि मैं जालंधर बहुत कम जाता हूं अपने होम टाउन जहां मेरा घर है क्योंकि मां नहीं है तो बहुत मन नहीं करता जाने का, लेकिन मैं उनकी ये शिकायतें भी दूर करने की कोशिश करूंगा।

क्रिकेट से आप क्या सीखते हैं?

क्रिकेट से हम दूसरों की खुशी में खुश होना सीखते हैं और एक स्पॉट टीम आपको यही सिखाती है कि दूसरों की खुशी में कैसे खुश होना है और सबसे अच्छी चीज किसी भी टीम स्पॉट की है वे है जर्सी जो यूनिफार्म होती है वे सब लोगों की एक जैसी होती है किसी ने सस्ते कपड़े नहीं पहने होते, किसी ने महंगे कपड़े नहीं पहने होते। सबने एक जैसे कपड़े पहने होते हैं ये चीज यह सिखाती है कि जब आप ग्राउंड में हो तो सब एक जैसे हो और मुझे क्रिकेट ने बहुत कुछ दिया है।

आपका फेवरिट क्रिकेटर कौन हैं और क्यों?

विराट है फेवरिट एक समय पर सौरभ गांगुली थे अभी भी हैं अब वे खेलते नहीं तो मैं विराट कोहली की बात करूं क्योंकि जिस वक्त इंडियन क्रिकेट टीम सबसे टाइम से गुजर रही थी जब सचिन तेंदुलकर ने भी कप्तानी छोड़ दी थी। हर दूसरे तीसरा मैच हम हारते थे। मैच फिक्सिंग के बावल हुआ था, टीम ठीक से बन नहीं रही थी। उस वक्त सौरभ गांगुली कैप्टन बने थे। फिर उन्होंने वहां से जो हमारी टीम को आगे लेकर आए तो दादा मेरे फेवरिट गांगुली कैप्टन रहे हैं शुरू से। फेवरीट क्रिकेटर आज की तारीख में विराट हैं।

आपके करियर के उतार-चढ़ाव के बीच ऐसा कोई लम्हा है जिसे आप कभी नहीं भूल पाएंगे?

बहुत सारे लम्हें हैं करियर के उत्तर चढ़ाव में एक मूवमेंट है वह मेरे लिए बहुत खास है । मैं सोच कर खुश भी होता हमं और दुखी भी।  वह अजीब टाइम था मैं कॉमेडी सर्कस कर रहा था दो हजार चौदह में। इधर हमारा शूट चल रहा था उधर जालंधर में मम्मी का ऑपरेशन हो रहा था कैंसर का उस समय पर ऐसा लग रहा था शूट छोड़कर घर चले जाता हूं मेरे डेड बोलते थे तो क्या कर लेगा जो भी हो रहा है ऑपरेशन थियेटर के अंदर हो रहा है। हम भी बाहर खड़े हैं उस वक्त मुझे ऐसा लगा कि काम करना जरूरी है कि परिवार संभालना मुझे आज तक वह समझ में नहीं आया। मुझे कभी-कभी ऐसा लगता है कि फैमिली जरूरी थी। मेरे घरवालों को लगता था तू क्या कर लेता यहां आकर। वह समय हमेशा मेरे अंदर रहेगा कि क्या मुझे शूटिंग छोड़कर जाना था। फिर मम्मी ठीक हुए में उसे मिलने गया और बोला वापस काम पर जा रहा हूं तो उन्होंने बोला नहीं तू जल्दी आ जाना। मेरे काम के बारे में मेरे परिवार ज्यादा जानते हैं और उस समय मुझे दो साल के बाद काम मिला था। आज भी वह समय मुझे बहुत याद आता है।

-दिनेश जाला


Keep watching our YouTube Channel ‘Divya Himachal TV’. Also,  Download our Android App