मोदी कैबिनेट के कुछ आश्चर्य

By: Jun 1st, 2019 12:04 am

प्रधानमंत्री मोदी की कैबिनेट का पहला आश्चर्य अमित शाह हैं। वह फिलहाल भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष हैं। उनके नेतृत्व में भाजपा ने 19 राज्यों में सत्ता हासिल की। उन्हें ‘चुनावों का चाणक्य’ माना जाता है। हालांकि 2019 के प्रचंड जनादेश के बाद अमित भाई के मंत्री बनने के कयास जारी थे। दरअसल मोदी-शाह की जुगलबंदी ऐसी है कि वे आपस में फैसलों पर सवाल नहीं करते। यदि प्रधानमंत्री की इच्छा थी कि अमित शाह गुजरात की गांधीनगर सीट से चुनाव लड़ें, तो उन्होंने चुनाव लड़ा और 5.5 लाख से अधिक वोटों से शानदार जीत हासिल की। यदि अरुण जेटली की अनुपस्थिति में प्रधानमंत्री ने चाहा कि अमित शाह अब कैबिनेट का हिस्सा बनें, तो उन्होंने इनकार नहीं किया। यह मोदी-शाह की दोस्ती, समझदारी और गहरे समन्वय का यथार्थ है। वैसे अमित शाह गुजरात की मोदी सरकार में गृहमंत्री रहे हैं, लेकिन तब और अब के परिदृश्य में बुनियादी फर्क हैं। दूसरा प्रमुख आश्चर्य पूर्व विदेश सचिव डा. एस. जयशंकर को कैबिनेट मंत्री की शपथ दिलाना है। वह देश के नए विदेश मंत्री होंगे। बेशक उन्होंने राजदूत के तौर पर अमरीका और चीन सरीखे देशों में भारत का प्रतिनिधित्व किया है। गौरतलब यह है कि जयशंकर ने मनमोहन सरकार के दौरान भारत-अमरीका परमाणु करार और मोदी सरकार के दौरान जापान के साथ परमाणु समझौते में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाई। शायद इसीलिए पूर्व प्रधानमंत्री डा. मनमोहन सिंह नए कैबिनेट मंत्री की ओर बढ़े और हाथ मिलाकर उन्हें शुभकामनाएं दीं। प्रधानमंत्री मोदी ने विदेश सचिव के तौर पर उनके कार्यकाल में एक साल की बढ़ोतरी की। जब जयशंकर, अंततः सेवामुक्त हो रहे थे, तब प्रधानमंत्री ने वादा किया था कि उन्हें अगली सरकार में कैबिनेट में लिया जाएगा। जयशंकर प्रधानमंत्री मोदी के करीबी राजनयिक रहे हैं, लिहाजा पेशेवर नौकरशाह को मंत्री बनाने का प्रयोग एक बार फिर किया गया है। इससे पहले संयुक्त राष्ट्र में दशकों तक भारत के प्रतिनिधि रहे हरदीप पुरी को भी कैबिनेट में स्थान दिया गया था। चुनाव हारने के बावजूद हरदीप को इस बार भी मंत्री बनाया गया है। बेशक जयशंकर प्रधानमंत्री मोदी की विदेश नीति को नया आकार, नई दृष्टि, नई सोच देंगे। कुल 37 मंत्रियों का पत्ता काट दिया गया है। उनमें सुषमा स्वराज, जेपी नड्डा, राधामोहन सिंह, सुरेश प्रभु, चौधरी बीरेंद्र सिंह, जुएल ओराम, उमा भारती और मेनका गांधी आदि कैबिनेट मंत्री इस बार नहीं हैं। उसके कारण अलग-अलग हैं। विजय गोयल, कर्नल राज्यवर्धन राठौर, डा. महेश शर्मा, सत्यपाल सिंह आदि मंत्रियों को फिलहाल कैबिनेट में स्थान नहीं मिला है। एकदम इतने मंत्रियों की छुट्टी करना भी आश्चर्य है, क्योंकि इन मंत्रियों में से कुछ ने बहुत अच्छे काम किए थे और चुनाव भी बड़े अंतर से जीते हैं। बहरहाल कैबिनेट में एक-दो चेहरों को छोड़कर शेष सभी पिछली कैबिनेट के ही हैं। बेशक कुछ मंत्रियों की पदोन्नति की गई है। आश्चर्य यह भी है कि बरेली से सात बार सांसद चुने गए संतोष गंगवार को इस बार भी राज्यमंत्री (स्वतंत्र प्रभार) ही बनाया गया है। मेनका गांधी को प्रोटेम स्पीकर बनाने की चर्चा है, लेकिन वह पूर्णकालिक स्पीकर बन पाएंगी या नहीं, यह सवाल भी आश्चर्य है। मेनका भी सबसे अधिक बार चुनी गई सांसद हैं। कैबिनेट की कुल टीम में 24 नए चेहरे शामिल किए गए हैं। प्रधानमंत्री मोदी और भाजपा के सामने फिलहाल हरियाणा, महाराष्ट्र, झारखंड में विधानसभा चुनाव की चुनौती है। तीनों राज्यों में भाजपा सत्तारूढ़ है। लोकसभा चुनाव में बेहद शानदार नतीजे आए हैं, तो पार्टी राज्यों में भी सरकार में रहना चाहेगी, लिहाजा महाराष्ट्र से आठ मंत्री, हरियाणा से तीन मंत्री और झारखंड से पूर्व मुख्यमंत्री अर्जुन मुंडा आदि को कैबिनेट में लिया गया है। दरअसल यह जनादेश प्रधानमंत्री मोदी और उनके ‘चाणक्य’ मित्र के नाम है। कैबिनेट प्रधानमंत्री का विशेषाधिकार भी होता है। हालांकि अभी 58 मंत्री ही बनाए गए हैं, जबकि 80 मंत्री बनाए जा सकते हैं। बहरहाल कुछ आश्चर्यों के बावजूद मोदी कैबिनेट को शुभकामनाएं…। देश की अपेक्षाएं रहेंगी कि जो वादे किए गए हैं, आश्वासन परोसे गए हैं, उन पर कार्रवाई यथाशीघ्र शुरू हो।


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