योजनाओं की जमीनी हकीकत जानेगी सरकार

राज्य का योजना विभाग करेगा अध्ययन, लाभ और हानि का चलेगा पता

शिमला – हिमाचल और केंद्र सरकार हर साल करोड़ों रुपए की योजनाएं चलाती हैं, लेकिन इन योजनाओं का जमीन पर क्या हश्र होता है और इनका लाभ या हानि क्या है, इसका कोई पता नहीं चलता। इसके लिए एक विशेष व्यवस्था करनी जरूरी है, जो अब जयराम सरकार करने जा रही है। सूत्रों के अनुसार पिछले पांच साल या उससे अधिक समय से राज्य में चल रही केंद्र व राज्य की योजनाओं का क्या इम्पैक्ट रहा, इसकी स्टडी करने की सोची जा रही है। अभी इस पर फैसला होना है, लेकिन इसका प्रारूप कैसा होगा इसे लेकर विचार हो चुका है। प्रदेश का योजना विभाग इस तरह का अध्ययन करके सरकार को बताएगा कि उनकी योजनाओं का जमीन पर क्या अंजाम हुआ है। इन योजनाओं से किस तरह का लाभ लोगों को मिल रहा है और इनका प्रभाव कैसा है। इस तरह की इम्पैक्ट असेसमेंट स्टडी सरकार काफी पहले करवाती रही है, लेकिन कुछ साल से यह सिलसिला बंद हो चुका है, जिसे दोबारा से शुरू किया जा रहा है। योजना विभाग फील्ड में मौजूद अपने आधारभूत ढांचे से यह काम करवाएगा। इसमें किन-किन योजनाओं की स्टडी की जाएगी, यह अभी तय नहीं हुआ है और कितनी योजनाओं की स्टडी होगी यह भी तय नहीं है, परंतु माना जा रहा है कि सालों से चल रही योजनाओं  पर अध्ययन होगा। इसमें केंद्र सरकार की मनरेगा योजना का अध्ययन हो सकता है, जिससे देखा जाएगा कि गांव में कितना रोजगार मिला और मनरेगा से किस तरह का आधारभूत ढांचा विकसित किया जा सका है। इसके साथ प्रदेश सरकार की होम स्टे योजना से कितना स्वरोजगार मिला और कैसे यहां पर पर्यटकों को इसका लाभ मिला या टूरिज्म सेक्टर को क्या लाभ मिल पाया है। इसी तरह से स्कूलों में छात्राओं के लिए अलग से टायलट की योजना थी, उसका कितना असर रहा।

हकीकत आएगी सामने

कृषि क्षेत्र में बनी प्राथमिक समितियों के लिए चल रही योजनाओं से कितना फायदा हो रहा है, वहीं फूड प्रोसेसिंग व दूसरी कुछ योजनाओं के बारे में भी अध्ययन किया जाएगा। इस तरह के अध्ययन का एक बड़ा फायदा यह है कि सरकार जिन योजनाओं पर करोड़ों का खर्चा कर रही है, वास्तविकता में उनका असर भी हो रहा है या नहीं। असर हो रहा है तो वह किस तरह का है।