लेखक से मिलिए में छाए ‘शांता’

By: Jun 15th, 2019 12:05 am

शिमला —हिमाचल कला संस्कृति भाषा अकादमी नेे गौथिक हाल गेयटी थिएटर में लेखक से मिलिए कार्यक्त्रम का आयोजन किया गया। इस कार्यक्त्रम में हिमाचल के लेखक शांता कुमार एवं श्रीमती संतोष शैलजा के साहित्य पर आधारित शोधपत्र वाचन, परिचर्चा, साक्षात्कार, संवाद किया का बेहतरीन प्रस्तुतिकरण हुआ। समारोह की अध्यक्षता डॉ. राधारमण शास्त्री पूर्व अध्यक्ष विधान सभा ने की । भाषा एवं संस्कृति विभाग की निदेशक  कुमुद सिंह ने मुख्य अतिथि तथा लेखक दंपत्ति का स्वागत करते हुए कहा कि शांता कुमार तथा संतोष शैलजा के साहित्यिक योगदान पर चर्चा करना एक अच्छी शुरूआत है और अकादमी द्वारा भविष्य में भी इस तरह के कार्यक्त्रमों का आयोजन किया जाता रहेगा। साहित्यकार शांता कुमारः एक परिचय आलेख में डा. ओम प्रकाष शर्मा लेखक के साहित्य साधाना का उल्लेख किया। शांता कुमार विरचित साहित्य एक समीक्षा विषय पर डा. हेमराज कौषिक द्वारा सारगर्भित शोधपत्र पढा गया जिसमें शांता कुमार के समग्र योगदान का समीक्षात्मक विवेचन करने हुए कहा कि एक कवि, कहानीकार, निबंध लेखक तथा चिंतक एवं प्रखर आलोचक के नाते शंाता कुमार का हिंदी साहित्य के शिरोमणि लेखकों में प्रमुख नाम है। विनोद भावुक ने साहित्यकार राजनेता शांता कुमार के लेखकीय जीवन संघर्ष  का उल्लेख करते हुए उन्हे एक ईमानदार तथा जनहित के लिए समर्पित राजनेता बताया जिसके मूल में एक साहित्कार की सशक्त भूमिका रहीं है। सतीश धर ने शांता कुमार तथा संतोष शैलजा के काव्य संसार विषय पर समीक्षा प्रस्तुत करते हुए शांता कुमार की कविताओं में प्रस्फुटित रार्ष्ट्वाद तथा गरीबी एवं सामाजिक सरोकारों के संदर्भ में अंत्योदय का उल्लेख किया। शांता कुमार के साहित्य में राष्ट्र्ीय चेतना के संदर्भ में हिमालय पर लाल छाया तथा धरती है बलिदान की पुस्तकों के हवाले से भारतीय राष्र््ट्वाद के समीक्षात्मक चर्चा की गई। नीतू वर्मा ने साहित्यकार संतोष शैलजा एक परिचय प्रस्तुत किया तथा डा. सुशील कुमार फुल्ल ने संतोष शैलजाकृत साहित्य का विवेचानात्मक अध्ययन प्रस्तुत करते हुए संतोष शैलजा की कहानियों, लोक कथाओं में सृजनशाीलता, आंचलिकता, सामाजिक सरोकारों का जिक्त्र किया। संतोष शैलजाकृत बहुचर्चित हिन्दी उपन्यास सुन मुटियारे पर टिप्पणी करते हुए सुदर्श्रन वशिष्ठ ने कहा कि इस उपन्यास में पंजाबी तथा हिमाचली परिवेश, परंपरा तथा लेकसंस्कृति का अद्भुत समन्वय है। पुस्तक मेले के दौरान शिक्षा मंत्री से कुछ स्टॅाल मंे खड़े पुस्तक विक्रेता खफा हो गए। कारण यह बना कि भाषा विभाग के कार्यक्रम मंे मुख्य अतिथि के तौर पर आए शिक्षा मंत्री सुरेश भारद्वाज सांचा विद्या मंे अपना भविष्य जानने के लिए तो सांचा विशेषज्ञ के पास गए लेकिन उन्हांेने सभी पुस्तक स्टॉल का दैारा नहीं किया। जिस पर कुछ स्टॉल मालिकांे ने रोष प्रकट किया है।

कार्यक्रम में यह रहा आकर्षण का केंद्र

आरती गुप्ता द्वारा शांता कुमार तथा संतोष शैलजा का साक्षात्कार कार्यक्त्रम का विषेष आकर्षण रहा। इस साक्षात्कार में शांता कुमार तथा संतोष शैलजा ने आरती गुप्ता के सवालों का बेबाकी से उत्तर दिया। साक्षात्कार में लेखक दम्पति के लेखकीय जीवन के संघर्ष, राजनैतिक उथल-पुथल सृजनधर्मिता का सच सामने आया। शांता कुमार तथा संतोष शैलजा जी का वक्तव्य और लेखक दम्पत्ति के साथ पाठकों का प्रत्यक्ष संवाद भी हुआ जिसमें सुधी पाठकों ने अपने प्रिय लेखकों से उनकी साहित्य यात्रा तथा लेखन से संबंधित प्रश्न पूछे।


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