शिक्षक ने संस्कृत भाषा के अध्ययन पर दिया जोर

By: Jun 19th, 2019 12:05 am

सरकाघाट —देश की एकता और अखंडता हमारी संस्कृति और संस्कृत में ही निहित है। ये शब्द राजकीय वरिष्ठ माध्यमिक पाठशाला भ्राड़ी (सज्याओपिपलू) में कार्यरत संस्कृत के प्राध्यापक जीत सिंह शास्त्री ने कहे। उन्होंने कहा कि संस्कृत भाषा को भाषाओं की जननी कहा गया है, क्योंकि यह भाषा अति प्राचीन है और इस भाषा की लिपि वैज्ञानिक है। इसकी मुख्य विशेषता यलिख्यते तत पठयते जो इसमें लिखा जाता है, वही पढ़ा जाता है। जबकि अन्य  भाषाओं में ऐसा नहीं है। हिंदी भाषा के साथ इसका निकटतम संबंध है। उन्होंने कहा कि हमारी संस्कृति संस्कृत में ही निहित है। हम अपने धार्मिक ग्रंथों का अध्ययन भी इसके बिना नहीं कर सकते। उन्होंने कहा कि जिस प्रकार मनुष्य अन्न से जीवित रहता है परंतु वायु के बिना अन्न भी जीवन की रक्षा नहीं कर सकता। उसी प्रकार कोई भी भाषा संस्कृत अवलंबन के बिना जीवित नहीं रह सकती। उन्होंने हर मनुष्य को संस्कृत का अध्ययन गंभीरता और गहनता से करना चाहिए।


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