शिक्षा कोड में किया जाए संशोधन
शिमला—हिमाचल राजकीय अध्यापक संघ ने उच्च शिक्षा निदेशक के 1 जून को लिए गए आदेश का खंडन किया है, जिसमें विज्ञान विषय की कक्षाओं के लिए नई समय सारणी जारी की गई है। संघ का मानना है कि यह सारणी तथ्यों से परे है। वहीं, किसी भी हालत में पठन-पाठन की क्रियाओं के लिए उपयोगी साबित नहीं हो सकती। चूंकी हर विषय के बाद कक्षा बदल जाती हैं, ऐसे में विद्यार्थियों को एक कक्षा से दूसरी कक्षा में पहुंचने के लिए कम से कम 10 मिनट का वक्त लगता है। इसके अलावा कम से कम 5 मिनट का वक्त उपस्थिति दर्ज करवाने में जाया होता है । शेष बचे 20 मिनट में किसी भी टॉपिक को पूरा करना संभव नहीं है। इसी प्रकार प्रेक्टिकल कक्षा में भी 20 मिनट की समय में प्रेक्टिकल करवाना संभव नहीं है। पूर्व में भी इस प्रकार के आदेश जारी हुए थे जिनका निदेशालय स्तर पर उस वक्त के निदेशक महोदय ने सुलझा दिया था। जिस शिक्षा कोड का हवाला देकर वर्तमान समय सारणी तैयार की गई है। वह व्यवहार में इस प्रकार की व्यवस्था का उल्लेख उस समय सारणी में कहीं भी नहीं किया गया है। ज्ञात रहे कि वर्तमान समय में स्मार्ट क्लासेज का अलग से प्रावधान है, जिसका जिक्र वर्तमान समय सारणी में नहीं किया गया है। इस दौरान हिमाचल राजकीय अध्यापक संघ के प्रदेश अध्यक्ष वीरेंद्र चौहान प्रवक्ता एवं मुख्य प्रेस सचिव कैलाश ठाकुर, वित्त सचिव मुकेश शर्मा, मुख्य संरक्षक अजीत चौहान, संरक्षक अरुण गुलेरिया, वरिष्ठ उपाध्यक्ष सरोज मेहता, उपाध्यक्ष डीपी शर्मा ,जोगिंदर चौधरी, मुख्यालय सचिव रमन वर्मा ,सुनील शर्मा ,मनोहर शर्मा, कपिल पावला, सुभाष चंदेल, सचिन जसवाल ,विभिन्न जिला अध्यक्षों में शिमला से महावीर कैन्थला बिलासपुर की राकेश संधू ऊना के संजीव ठाकुर सिरमौर के राजीव ठाकुर, चंबा के हरिप्रसाद शर्मा, कुल्लू के यशपाल शर्मा, किन्नौर के राधा कृष्ण नेगी, मंडी के अश्वनी गुलेरिया, हमीरपुर के संजीव ठाकुर, कांगड़ा के नरेश धीमान आदि मौजूद रहे। संघ विभाग से मांग करता है कि शिक्षा कोड में आवश्यक संशोधन किए जाएं तथा यह भी मांग करता है कि जब भी इस प्रकार के कोड बनाए जाते हैं अथवा उनमें संशोधन किया जाता है तो अध्यापक संगठनों को भी विश्वास में लिया जाए।
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