शिवाजी से जुड़े रहस्यमयी किले
शिवनेरी किला : छत्रपति शिवाजी का जन्म इसी किले में हुआ था। शिवनेरी किला महाराष्ट्र के पुणे के पास जुन्नर गांव में है। इस किले के भीतर माता शिवाई का मंदिर है जिनके नाम पर शिवाजी का नाम रखा गया था। इस किले में मीठे पानी के दो स्रोत हैं जिन्हें लोग गंगा-जमुना कहते हैं। लोगों का कहना है कि इनसे साल भर पानी निकलता है…
मराठा साम्राज्य की पताका फहराने वाले छत्रपति शिवाजी महाराज के नाम से कौन वाकिफ नहीं होगा। मुगल सम्राट औरंगजेब को अपनी बहादुरी से झुका देने वाले शिवाजी का नाम देश के योद्धाओ में शुमार है। आज हम आपको उनके रहस्यमयी किलों के बारे में जानकारी देंगे जो उन्होंने मुश्किल हालात में अपनी सत्ता को सुरक्षित रखने के लिए बनाए थे। इन किलों से अनेक रहस्य भी जुड़े हुए हैं। किलों का इतिहास पढ़कर रोमांच का आभास होता है। इन किलों को राज्य की सत्ता को सलामत रखने का श्रेय भी दिया जाता है। किलों के निर्माण से जुड़ा इतिहास भी काफी रोचक है। किलों के निर्माण पर काफी धन का व्यय भी किया गया। ये किले साथ ही शौर्य की गाथा के गवाह भी हैं।
शिवनेरी किला
छत्रपति शिवाजी का जन्म इसी किले में हुआ था। शिवनेरी किला महाराष्ट्र के पुणे के पास जुन्नर गांव में है। इस किले के भीतर माता शिवाई का मंदिर है जिनके नाम पर शिवाजी का नाम रखा गया था। इस किले में मीठे पानी के दो स्रोत हैं जिन्हें लोग गंगा-जमुना कहते हैं। लोगों का कहना है कि इनसे साल भर पानी निकलता है। किले के चारों ओर गहरी खाई है जिससे शिवनेरी किले की सुरक्षा होती थी। इस किले में कई गुफाएं हैं जो अब बंद पड़ी हुई हैं। कहा जाता है कि इन गुफाओं के अंदर ही शिवाजी ने गुरिल्ला युद्ध का अभ्यास किया था।
पुरंदर का किला
पुरंदर का किला पुणे से 50 किलोमीटर की दूरी पर सासवाद गांव में है। इसी किले में दूसरे छत्रपति सांबाजी राज भौंसले का जन्म हुआ था। सांबाजी छत्रपति शिवाजी के बेटे थे। शिवाजी ने पहली जीत इसी किले पर कब्जा करके प्राप्त की थी। मुगल सम्राट औरंगजेब ने 1665 में इस किले पर कब्जा कर लिया था जिसे महज पांच सालों बाद शिवाजी ने छुड़ा लिया था और पुरंदर के किले पर मराठा झंडा लहरा दिया था। इस किले में एक सुरंग है जिसका रास्ता किले के बाहर की ओर जाता है। इस सुरंग का इस्तेमाल युद्ध के समय शिवाजी बाहर जाने के लिए किया करते थे।
रायगढ़ का किला
रायगढ़ का किला छत्रपति शिवाजी की राजधानी की शान रही है। उन्होंने 1674 ईस्वी में इस किले को बनवाया था। मराठा साम्राज्य का नरेश बनने पर लंबे समय तक रायगढ़ किला उनका निवास स्थान बना रहा। रायगढ़ किला समुद्रतल से 2700 फुट की ऊंचाई पर स्थित है। इस किले तक पहुंचने के लिए करीब 1737 सीढि़यां चढ़नी पड़ती हैं। रायगढ़ किले पर 1818 ईस्वी में अंग्रेजों ने कब्जा जमा लिया और किले में जमकर लूटपाट मचाकर इसके काफी हिस्सों को नष्ट कर दिया।
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