संस्कृत पढ़ने को कोई तैयार नहीं

By: Jun 16th, 2019 12:02 am

सरकार को स्कूलों से लगातार आ रहे प्रस्ताव, आधिकारिक कमेटी ने की चर्चा

शिमला -भाजपा सरकार ने प्रदेश में संस्कृत को दूसरी राजभाषा का दर्जा तो दिया है, लेकिन स्कूलों में इस विषय को पढ़ने के लिए बच्चे तैयार नहीं हैं। स्कूलों से इस तरह की रिपोर्ट सरकार को मिल रही है, जहां पर कहीं बच्चों ने विषय लिया है, तो अध्यापक नहीं हैं और कहीं अध्यापक हैं, तो बच्चे पढ़ने के लिए तैयार नहीं। हाल ही में सरकार ने संस्कृत को राजभाषा बनाया है, जिसके लिए अधिसूचना भी जारी हो गई है। सरकारी दफ्तरों में तो खैर हिंदी में भी काम नहीं होता, ऐसे में संस्कृत में कहां काम होगा, यह सोचने की बात है। ऐसे में स्कूलों में जहां बच्चे संस्कृत पढ़ सकते हैं, वहां पर भी संस्कृत नहीं पढ़ी जा रही है। ऐसे मामले स्कूलों की ओर से ध्यान में आने के बाद सरकार इसे अनिवार्य विषय बनाने की तैयारी में है, जिसे लेकर शिक्षा मंत्री ने भी कहा है। बताया जाता है कि कुछ दिन पूर्व ही शिक्षा विभाग की समीक्षा बैठक में संस्कृत के मामले को लेकर चर्चा की गई है। इस बैठक में स्कूलों से आई रिपोर्ट पर बात की गई। इस रिपोर्ट में संस्कृत विषय को लेकर सकारात्मक बातें नहीं कही गई हैं। स्कूलों का कहना है कि बच्चों का रूझान इस ओर नहीं है और बच्चे ऐच्छिक विषय संस्कृत की जगह दूसरा विषय पढ़ने को तरजीह दे रहे हैं। बता दें कि यह स्थिति नौवीं व दसवीं कक्षा की है, साथ ही 11वीं व 12वीं कक्षा में भी छात्र इस ओर रूझान नहीं दिखा रहे हैं। स्कूलों में कई जगह ऐसे हालात हो गए हैं कि अध्यापक तो हैं, परंतु छात्र पढ़ने वाले नहीं हैं। ऐसे में इस विषय को लेकर सरकार ने भी अपनी चिंता जताई है। अभी तक राज्य के सरकारी स्कूलों में आठवीं कक्षा तक संस्कृत विषय को अनिवार्य बनाया गया है, मगर जल्द ही सरकार नौवीं व दसवीं कक्षा में भी इसे अनिवार्य करने की सोच रही है। पहले भी ऐसा होता था, लेकिन बीच में इसे ऐच्छिक विषय के रूप में घोषित किया गया। धीरे-धीरे अब इसका रूझान स्कूलों में कम होने लगा है। एक तरफ बच्चों का इस तरह का रूझान है, तो दूसरी ओर संस्कृत को राजभाषा का दर्जा मिल चुका है। राजभाषा का दर्जा मिलने के बाद इसके विस्तार पर अब सरकार सोचने लगी है। अधिकारियों के साथ हुई बैठक पर अब शिक्षा मंत्री, मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर से इस विषय पर बात करेंगे। अगले सत्र से इसकी अनिवार्यता पर फैसला लिया जा सकता है।

 


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