सावन में शिवलिंग को दूध क्यों चढ़ाते हैं

By: Jun 26th, 2019 12:03 am

हमारे हिंदू धर्म में त्रिदेवों अर्थात भगवान ब्रह्मा विष्णु व शंकर का अपना एक विशिष्ट स्थान है और इसमें भी भगवान शंकर का चरित्र जहां अत्यधिक रोचक है वहीं यह पौराणिक कथाओं में अत्यधिक रहस्यों से भी भरा हुआ है। भगवान शिव को विश्वास का प्रतीक माना गया है क्योंकि उनका अपना चरित्र अनेक विरोधाभासों से भरा हुआ है जैसे शिव का अर्थ है जो शुभकर व कल्याणकारी हो, जबकि शिवजी का अपना व्यक्तित्व इससे जरा भी मेल नहीं खाता, क्योंकि वह अपने शरीर में इत्र के स्थान पर चिता की राख मलते हैं तथा गले में फूल-मालाओं के स्थान पर विषैले सापों को धारण करते हैं। वह अकेले ही ऐसे देवता हैं जो लिंग के रूप में पूजे जाते हैं। सावन में शिवलिंग पर दूध चढ़ाने का विशेष महत्त्व माना गया है। इसलिए शिव भक्त सावन के महीने में शिवजी को प्रसन्न करने के लिए उन पर दूध की धार अर्पित करते हैं। पुराणों में भी कहा गया है कि इससे पाप क्षीण होते हैं, लेकिन सावन में शिवलिंग पर दूध चढ़ाने का सिर्फ धार्मिक ही नहीं वैज्ञानिक महत्त्व भी है। सावन के महीने में दूध का सेवन नहीं करना चाहिए। शिव ऐसे देव हैं जो दूसरों के कल्याण के लिए हलाहल भी पी सकते हैं। इसलिए सावन में शिव को दूध अर्पित करने की प्रथा बनाई गई है क्योंकि सावन के महीने में गाय या भैंस घास के साथ कई ऐसे कीड़े-मकोड़ों को भी खा जाती है। जो दूध को स्वास्थ्य के लिए गुणकारी के बजाय हानिकारक बना देती है। इसलिए सावन मास में दूध का सेवन न करते हुए उसे शिव को अर्पित करने का विधान बनाया गया है।


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