सिमसी की जिंदगी को रोशन कर रहा दीया

कुल्लू—भले ही ग्रेट हिमालयन नेशनल पार्क को विश्व धरोहर का दर्जा प्राप्त हुए पांच वर्ष से ज्यादा समय हो गया है, लेकिन इस धरोहर में बसे ग्रामीण आजादी के इतने दशकों बाद भी सुविधाओं से महरूम हैं। यह गांव है जिला कुल्लू का सिमगी। उपमंडल बंजार के तहत ग्राम पंचायत नोहांडा में पड़ने वाले सबसे दुर्गम गांव सिमगी में अब तक बिजली नहीं है। लोग दीये जलाकर गुजर बसर कर रहे हैं। भले ही शाक्टी-मरौड़ और शुगाड़ में किसी संस्था ने हाल ही में सोलर लाइटें प्रदान की हैं, लेकिन नोहांडा पंचायत के इस गांव की दशा सुनने के लिए सरकार, प्रशासन के साथ-साथ राजनेता तक दूर हैं। यहां के लोग तीर्थन घाटी ग्रेट हिमालयन नेशनल पार्क में आने के बाद यह उम्मीद लगाए बैठे थे कि उनकी दिक्कतें दूर होंगी, लेकिन आज विश्व धरोहर का दर्जा मिले हुए पांच वर्ष से ज्यादा समय हो गया है, लेकिन इनकी सुध लेने वाला कोई नहीं है। नोहांडा पंचायत के वार्ड नंबर चार के इस सिमगी गांव में 40 से 50 के करीब लोग गुजर बसर करते हैं। गुशैणी से यह गांव छह से सात किलोमीटर की दूरी पर पड़ता है। अब यहां के लोग अपनी समस्या को बंजार विधानसभा क्षेत्र के गुशैणी में 16 जून को आयोजित होने वाले जनमंच में स्वास्थ्य, आयुर्वेद, विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी मंत्री विपिन सिंह परमार के समक्ष रखेंगे।  इस मुद्दे को ग्रामीणों ने बाकायदा शुक्रवार को नोहांडा पंचायत में हुए प्री जनमंच में विधायक सुरेंद्र शौरी के समक्ष भी रखा है। विधायक ने भी इस समस्या के समाधान का आश्वासन दिया है। ग्रामीण राम लाल, मस्त राम, टिकम राम, गुलाब सिंह,ध्यान सिंह, शेर सिंह, चमन लाल, धनी राम, अनु कुमार का कहना है कि उनका गांव आज तक बिजली, सड़क और पानी जैसी मूलभूत सुविधाओं से वंचित है। सबसे ज्यादा परेशानी स्कूली छात्रों को होती है, जिन्हें दीये जलाकर पढ़ाई करनी पड़ती है। ग्राम पंचायत नोहांडा के वार्ड डिंगचा की वार्ड पंच भीमा देवी का कहना है कि इस गांव के लिए सड़क का निर्माण कार्य तो चला है, लेकिन बिजली की लाइन अभी तक नहीं पहुंची है। दारन शुंगचा जाने वाली लाइन से आसानी से सिमगी गांव तक बिजली पहुंचाई जा सकती है।