सुन्नी में बेहतर स्वास्थ्य सेवाओं के दावे खोखले

सुन्नी -सरकार द्वारा लोगों को बेहतर स्वास्थ्य सेवाओं के दावे ग्रामीण क्षेत्रों में खोखले साबित हो रहे हैं। ग्रामीण क्षेत्रों के अस्पतालों में न तो चिकित्सक और न ही कई अन्य सुविधाएं हैं। दो जिलों को स्वास्थ्य सेवाएं प्रदान करने वाला नागरिक अस्पताल सुन्नी इसका सबसे बड़ा उदाहरण है। पिछले दो वर्षों से चिकित्सकों की कमी से जूझ रहा यह अस्पताल इन दिनों प्रतिनियुक्ति पर तैनात चिकित्सकों के सहारे चल रहा है। चिकित्सकों के छह पद स्वीकृत होने के बावजूद अस्पताल में एक ही चिकित्सक कार्यरत हैं जबकि क्षेत्र के दूसरे अस्पतालों से चिकित्सकों को तैनात कर जैसे तैसे कार्य निपटाया जा रहा है। क्षेत्र में इन दिनों जलजनित रोग के फैलने से मरीजों की संख्या में लगातार इजाफा हो रहा है। ऐसे में ड्यूटी पर तैनात एक या दो चिकित्सकों के लिए सैकड़ों रोगियों की जांच करना कठिन कार्य है जिससे अस्पताल में मरीजों को लम्बी-लम्बी लाइन में घंटों अपनी बारी का इंतजार करना पड़ रहा है। मंगलवार को अस्पताल में दो महिला चिकित्सक होने के कारण मरीजो को खासी दिक्कतों का सामना करना पड़ा। इलाज करने आए दिनेश, अरूप, सरिता, शंकर, चंद्र ने बताया कि सुबह से लाइन में खड़े हैं परन्तु दोपहर तक भी जांच नहीं हो पाई। अस्पताल में केवल दो महिला चिकित्सक ही पूरा दिन रोगियों से जूझती रही। सरकारी अस्पतालों में दोपहर तक टैस्ट करवाने की सुविधा के कारण रोगियों के लैब टैस्ट भी नहीं हो रहे हैं मजबूरन रोगियों को लैब टैस्ट बाहर से करवाने के लिए बाध्य होना पड़ रहा है जिससे मरीजों को आर्थिक नुकसान झेलना पड़ रहा है। बता दें कि शिमला ग्रामीण की तहसील सुन्नी के अलावा जिला मंडी से भी बड़ी संख्या में मरीज ईलाज के लिए यहां आते है। अस्पताल में 150 से 200की ओपीडी अमूमन रहती है। वहीं लगभग चार महीने पहले सरकार की ओर से जारी अधिसूचना अनुसार खण्ड चिकित्साधिकारी की भी नियुक्ति नहीं हो पाई। कुछ समय पहले एक विशेषज्ञ चिकित्सक की तैनाती नागरिक अस्पताल सुन्नी में हो गई थी परंतु मगर उनकी तैनाती सुन्नी में न होकर अब कहीं दूसरे अस्पताल में हो गई है। लोगों में सरकार एवं विभाग के प्रति रोष फैल रहा है।