हफ्ते का खास दिन

By: Jun 19th, 2019 12:05 am

विश्व संगीत दिवस

21 जून

‘विश्व संगीत दिवस’ कुल 17 देशों में ही मनाया जाता है, इसमें भारत, आस्ट्रेलिया, बेल्जियम, ब्रिटेन, लक्समवर्ग, जर्मनी, स्विट्जरलैंड,कोस्टारीका, इजाराइल, चीन, लेबनाम, मलेशिया, मोरक्को, पाकिस्तान, फिलीपींस, रोमानिया और कोलम्बिया शामिल हैं। विश्व संगीत दिवस प्रत्येक वर्ष 21 जून को मनाया जाता है। संगीत की विभिन्न खूबियों की वजह से ही विश्व में संगीत के नाम एक दिन है। यह संगीतज्ञों व संगीत प्रेमियों के लिए बहुत ही खुशी की बात है। विश्व संगीत दिवस को ‘फेटे डी ला म्यूजिक’ के नाम से भी जाना जाता है। इसका अर्थ म्यूजिक फेस्टिवल है। इसकी शुरुआत 1982 में फ्रांस में हुई। इसको मनाने का उद्देश्य अलग-अलग तरीके से म्यूजिक का प्रोपेगैंडा तैयार करने के अलावे एक्सपर्ट व नए कलाकारों को एक मंच पर लाना है।

संगीत समारोह

विश्व में सदा ही शांति बरकरार रखने के लिए ही फ्रांस में पहली बार 21 जून,1982 में प्रथम विश्व संगीत दिवस मनाया गया। इससे पूर्व अमरीका के एक संगीतकार योएल कोहेन ने 1976 में इस दिवस को मनाने की बात की थी। विश्व संगीत दिवस कुल 17 देशों में ही मनाया जाता है इसमें भारत, आस्ट्रेलिया, बेल्जियम, ब्रिटेन, लक्समवर्ग, जर्मनी, स्विट्जरलैंड, कोस्टारीका, इजाराइल, चीन, लेबनाम, मलेशिया, मोरक्को,पाकिस्तान, फिलीपींस, रोमानिया और कोलम्बिया शामिल हैं। विश्व संगीत दिवस के अलावा इसे संगीत समारोह के रूप में भी जाना जाता है। यह एक तरह से संगीत त्योहार है, जिसे सारे देश में अलग-अलग तरीकों से मनाया जाता है। भारत में इस अवसर पर कहीं संगीत प्रतियोगिता का आयोजन किया जाता है तो कहीं संगीत से भरे कार्यक्रम की प्रस्तुति की जाती है।

संगीत का प्रभाव

संगीत हर किसी को आनंद की अनुभूति देता है। संगीत के सात सुरों में छिपे राग मन को शांति देने के साथ ही रोगों को भी दूर करने में सहायक हैं। संगीतज्ञ पुरुषोत्तम शर्मा शास्त्रीय संगीत से तनाव व इसी से जुड़े अन्य रोग दूर कर रहे हैं। घनी आबादी के छोटे से घर में रहने वाले पुरुषोत्तम शर्मा के यहां काफी लोग तनाव, अनिद्रा, ब्लड प्रेशर जैसी बीमारियों का इलाज कराने आते हैं। वह अपने रोगियों को कोई दवा या व्यायाम नहीं कराते। केवल एकाग्र मन से राग सुनने की नसीहत देते हैं। पुरुषोत्तम शर्मा कहते हैं कि राग से रोग तो दूर होता ही है, रोगी में आत्मविश्वास भी भरता है।

राग में रोग निरोधक क्षमता

संगीतज्ञ पुरुषोत्तम शर्मा के मुताबिक हर राग में रोग निरोधक क्षमता है। राग पूरिया धनाश्री अनिद्रा दूर करता है, तो राग मालकौंस तनाव से निजात दिलाता है। राग शिवरंजिनी मन को सुखद अनुभूति देता है। राग मोहिनी आत्मविश्वास बढ़ाता है। राग भैरवी ब्लड प्रेशर और पूरे तंत्रिका तंत्र को नियंत्रित रखता है। राग पहाड़ी स्नायु तंत्र को ठीक करता है। राग दरबारी कान्हड़ा तनाव दूर करता है तो राग अहीर भैरव व तोड़ी उच्च रक्तचाप के लिए कारगर है। दरबारी कान्हड़ा अस्थमाए भैरवी साइनसए राग तोड़ी सिरदर्द और क्रोध से निजात दिलाता है। एलोपैथी में इसे मान्यता नहीं है। एलोपैथी के मुताबिक संगीत से रोग दूर नहीं होते। हालांकि व्यावहारिक रूप से कई लोगों को संगीत सुनने या पढ़ने से नींद आ जाती है।

 


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