हिमाचली पर्दे पर फिल्म पालिसी

By: Jun 10th, 2019 12:05 am

फिल्म इंडस्ट्री में हिमाचल प्रदेश शूटिंग के लिहाज से नया नाम नहीं है, परंतु बॉलीवुड ने इसे वह तरजीह नहीं दी, जिसका प्रदेश हकदार था।  इसमें बड़ी कमियां हिमाचल की सरकारों की ओर से भी रहीं, जिन्होंने इस ओर गंभीरता नहीं दिखाई। अब जाकर प्रदेश सरकार फिल्म पॉलिसी लेकर आई है। फिल्म पॉलिसी से हिमाचल को कितना फायदा होगा और बुद्धिजीवियों की इस विषय पर क्या है राय; यही बता रहा है, इस बार का दखल…

सूत्रधार : शकील कुरैशी, दीपिका शर्मा

सहयोग : आशीष शर्मा, दीपक शर्मा, नीलकांत भारद्वाज, अश्वनी पंडित, आशीष भरमोरिया, नरेन कुमार

कभी समय था, जब हिमाचल की हसीन वादियां सिनेमा के पर्दे पर दिखाई देती थीं। पुराने जमाने में ऐसी बहुतेरी फिल्में बनीं, जिसमें आज भी हिमाचल के खूबसूरत दृश्य देखने को मिलते हैं। फिल्मी पर्दे पर तहलका मचा देने वाली ऐसी कई नई फिल्मों में भी हिमाचल को जगह मिल चुकी है। यहां तक कि हिमाचल की सैरगाहों पर आने वाले कई फिल्मी सितारे यहीं के होकर रह गए, वहीं इन लोगों ने हिमाचल की नैसर्गिक सुंदरता का जमकर बखान किया। फिल्म इंडस्ट्री में हिमाचल प्रदेश शूटिंग के लिहाज से नया नाम नहीं है, परंतु समय के साथ बॉलीवुड ने इसे तरजीह नहीं दी। इसमें बड़ी कमियां हिमाचल की सरकारों की ओर से भी रही है, जिसने इस ओर गंभीरता नहीं दिखाई। फिल्मी पर्दे पर हिमाचल प्रदेश की हसीन वादियों के चमकने से यहां पर्यटन कारोबार आसानी से चमक सकता है, जिसकी सोच जयराम सरकार ने दिखाई है। प्रदेश सरकार ने इसके महत्त्व को समझते हुए फिल्म पॉलिसी बनाई है, जिसमें न  केवल यहां आने वाले फिल्म निर्माताओं के लिए बहुत कुछ है बल्कि हिमाचल के फिल्म निर्माताओं और स्थानीय कलाकारों के लिए भी काफी कुछ है। इसे लागू होने के बाद यहां पर यदि फिल्म इंडस्ट्री का रुख होता है तो हिमाचल आने वाले समय में वैसे ही निखरेगा जैसे बीते जमाने में था।

स्थानीय संस्कृति पर फिल्म बनाने पर 50 लाख तक की ग्रांट

फिल्म पॉलिसी में रखे गए प्रावधानों की बात करें तो शूटिंग की मंजूरी को सिंगल विंडो सिस्टम के अलावा जो लोग स्थानीय संस्कृति से ओत-प्रोत फिल्में बनाएंगे, उन्हें सरकार 50 लाख रुपए तक की वित्तीय सहायता उपलब्ध करवाएगी। प्रदेश के सामाजिक दायित्वों से जुड़े मसलों पर जो लोग फिल्म बनाएंगे, उन्हें सरकार 10 लाख रुपए तक की वित्तीय सहायता प्रदान करेगी। इस तरह के प्रावधान पहली दफा किए जा रहे हैं।

कुछ ऐसी है पॉलिसी

हिमाचल प्रदेश के सूचना एवं जनसंपर्क विभाग ने प्रदेश के लिए फिल्म पालिसी तैयार की है। इसका वादा भाजपा ने चुनाव से पहले अपने दृष्टि पत्र में किया था, जिसे पूरा किया गया है। फिल्म पॉलिसी लागू होने से यहां पर शूटिंग के लिए मंजूरी को सिंगल विंडो सिस्टम होगा। कोई भी निर्माता सूचना एवं जनसंपर्क विभाग को आवेदन करेगा तो खुद यह विभाग सभी तरह की औपचारिकताओं को पूरा करके देगा। यह इस पॉलिसी का बड़ा प्रावधान है क्योंकि अभी तक शूटिंग करने के लिए आने वालों को यहां पर मंजूरियों की औपचारिकताओं से जूझना पड़ता है। यह लोग कभी स्थानीय प्रशासन तो कभी सचिवालय के चक्कर काटते देखे जा सकते हैं। शिमला की बात करें तो यहां पर जिलाधीश, नगर निगम, गृह विभाग तीनों से मंजूरी के बिना कोई शूटिंग नहीं हो सकती।

पॉलिसी से सबको फायदा

प्रदेश की फिल्म पॉलिसी में सरकार ने कई रियायतों का समावेश किया है, जिससे  बाहर से आने वाले निर्माताओं को तो फायदा होगा ही बल्कि हिमाचल के निर्माताआें व कलाकारों को बड़ा संबल मिलेगा।

हर साल फिल्म फेस्टिवल करवाने की प्लानिंग

सरकार ने फिल्म पॉलिसी के माध्यम से ऐलान किया है कि वह हर साल प्रदेश में एक वार्षिक फिल्म फेस्टिवल करवाएगी। प्रदेश के फिल्म निर्माता इस तरह की पहल शिमला में पिछले कुछ साल से कर रहे हैं, लेकिन सरकार अपने स्तर पर एक बड़़ा आयोजन हर साल प्रदेश में कहीं पर भी करेगी। इसके लिए सूचना एवं जनसंपर्क विभाग डायरेक्टोरेट ऑफ फिल्म फेस्टिवल के साथ सामंजस्य स्थापित करेगा, ताकि प्रदेश में बड़ा आयोजन हो सके।

मुख्य सचिव की अध्यक्षता में बनेगी कमेटी

मुख्य सचिव की अध्यक्षता में इस पूरी फिल्म पॉलिसी के प्रावधानों को लागू करने के लिए एक राज्य फिल्म विकास परिषद का गठन किया जाएगा। यह विकास परिषद विभाग के पास आने वाली सभी प्रोपोजल को मंजूरी देने के लिए अधिकृत होगी। विभाग से सभी प्रस्ताव इसके पास आएंगे ,जो गुण व दोष के आधार पर सभी मामलों को देखेगी।

स्थानीय प्रशिक्षु कलाकारों को 75 हजार की मदद

स्थानीय कलाकारों जिनमें निखरने की प्रतिभा है को यहां पर प्रशिक्षित करने का भी प्रावधान भी किया जाएगा। उनके लिए आईटीआई या पोलीटेक्नीक कालेजों में फिल्म इंडस्ट्री से जुडे़ हुए कोर्स शुरू किए जाएंगे, जिसका हिमाचल में अब तक कोई प्रावधान नहीं है। इसका प्रशिक्षण लेने वाले कलाकारों को सरकार  एकमुश्त 75 हजार रुपए प्रदान करने का फैसला ले चुकी है।  ऐसे कार्स करने वाले युवाओं को यहां पर फिल्म निर्माण में स्थानीय स्तर पर मौका मिल सकता है जिससे रोजगार भी बढ़ेगा।

फीचर फिल्म में 50 फीसदी हिमाचली फुटेज पर दो करोड़ ग्रांट

हिमाचल प्रदेश में शूटिंग कर हिंदी फीचर फिल्म बनाने वालों, जिसमें 50 फीसदी तक हिमाचल की फुटेज होगी को दो करोड़ रुपए तक की वित्तीय मदद प्रदेश सरकार प्रदान करेगी। इसमें बॉलीवुड के फिल्म निर्माताओं को भी सहायता प्रदान की जाएगी। इसके अलावा किसी फिल्म में निर्माता हिमाचल के तीन कलाकारों को प्रोमिनेंट रोल अपनी फिल्म में देता है तो उसे 25 लाख रुपए तक की अतिरिक्त वित्तीय सहायता भी राज्य सरकार देने को तैयार है।

सिनेमाघर दोबारा शुरू करने पर भी राहत

सिनेमा घर प्रदेश में बंद हो चुके हैं उन्हें यदि दोबारा से शुरू करने की कोई सोचता है तो सात साल तक स्टेट जीएसटी में 75 फीसदी तक की छूट प्रदान करने का भी प्रावधान फिल्म पालिसी में किया गया है। सरकार इस राशि को रिफंड करेगी। इतना ही नहीं इन सिनेमाघरों के मालिकों को 25 लाख तक की मदद सरकार करने को तैयार है, लेकिन यह गुण व दोष के आधार पर तय किया जाएगा कि उसे पैसा दिया जाएगा या फिर नहीं।

फिल्म पॉलिसी सरकार की लाजवाब पहल

हिमाचल में फिल्म पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए राज्य मंत्रिमंडल ने जो नई फिल्म नीति को मंजूरी दी है, वह सराहनीय कदम है। यह कहना है अंतरिक्ष मॉल हमीरपुर की एमडी पूजा ढटवालिया का। वह यहां 5-6 साल से मिनी लैक्स (सिनेमा हाल) चला रही हैं। वह कहती हैं कि अगर हिमाचली बोली में फिल्में बनती हैं तो वे उन्हें अपने मिनी लैक्स में जरूर दिखाएंगी। आखिर लोगों को कल्चर से जोड़ने का इससे भला अच्छा आइडिया और क्या हो सकता है। हिमाचल में पर्यटन की अपार संभावनाएं हैं। भले ही सरकारें काफी समय से इस दिशा में काम कर रहीं हों लेकिन अभी बहुत कुछ किया जाना बाकी है। अगर यहां फिल्में बनती हैं तो न केवल यहां के पर्यटन स्थल विकसित होंगे बल्कि रोजगार के भी कई द्वार एकसाथ खुल जाएंगे। बॉलीवुड ने हमेशा फिल्मों की शूटिंग के लिए हिमाचल की वादियों को चुना है लेकिन दो-चार स्थलों को छोड़कर अन्य जगहों की ओर कभी किसी ने रुख नहीं किया। हमीरपुर जिला की बात करें तो यहां अन्य जगहों की अपेक्षा फिल्मों और एलबम की शूटिंग कम हुई है। अभी तक यहां बड़सर स्थित बाबा बालक नाथ की नगरी दियोटसिद्ध में धार्मिक एलबम की शूटिंग होती रही है। इसके अलावा नादौन से होकर गुजरती ब्यास नदी के तट पर भी कुछेक पहाड़ी एलबम की शूटिंग यहां हुई है।

— पूजा ढटवालिया; एमडी, अंतरिक्ष मॉल, हमीरपुर

 गीत-संगीत को पहचान मिलना लाजिमी

शिमला के रहने वाले लेखक, निर्माता  अभिमन्यु पांडे  हिमाचल सरकार क ी फिल्म नीति का  स्वागत करते हैं। अभिमन्यु का कहना है कि प्रदेश का गीत, संगीत ही नहीं बल्कि यहां के हर कोने की खूबसूरती ऐसी है कि इसे पहचान मिलना जरूरी है।  हिमाचल की खूबसूरती को कई निर्माता चोरी करके विदेश के कुछ दृश्य बना देते हैं। अब ऐसी चोरी भी नहीं होगी और एक हिमाचल फिल्म जगत को एक नई पहचान मिल पाएगी। नई नीति के निर्माण हिमाचल अपने नए आयाम पर पहुंच सकता है। इससे हिमाचल के कलाकारों को भी एक अंतरराष्ट्रीय स्तर पर एक नई पहचान मिलने वाली है। हिमाचल का कल्चर काफी मज़बूत है, लेकिन इसके लिए ये भी जरूरी है कि इसके प्रचार-प्रचार के लिए सरकार कुछ सोचती। अब हिमाचल सरकार ने ये कदम बढ़ाया है तो प्रदेश में फिल्म जगत को इस नीति के निर्माण में कई नए आयाम जुड़ सकते हैं।

— अभिमन्यु पांडे, लेखक,निर्माता

लोकनाट्य को जीवंत रखना जरूरी

लोकनाट्य को जीवंत रखना बेहद जरूरी है, लेकिन ऐसा हिमाचल में बहुत ही कम देखने में आ रहा है।   प्रदेश सरकार जो फिल्म नीति का निर्माण कर रही है, वह काबिलेतारीफ है, लेकिन इस पालिसी में लोकनाट्य को मजबूती दी जाए तो इस पालिसी का रंग कुछ और ही निखरकर सामने आ सकता है। लोकनाट्य हिमाचल के विभिन्न क्षेत्रों के स्वरूप को ही नहीं दिखाते बल्कि वहां की आध्यात्मिक लोक संस्कृति का भी एक अहम आईना होता है। शिमला-सोलन में करयाला, मंडी में बांठड़ा जैसे कई ऐसे लोक नाटय हैं जिन्हें आयोजित तो किया जा रहा है लेकिन इसका ग्राफ बहुत ही कम है। व्यंग्यात्मक और हास्यात्मक दोनों पहलुओं को लेकर लोकनाटय को प्रदर्शित किया जाता रहा है। फिल्म और कल्चर पॉलिसी में यह जरूरी चाहिए कि हिमाचल की लोक संस्कृति की आत्मा कहे जाने वाले लोक नाटय को भी प्रचार-प्रसार के लिए एक मजबूत स्तंभ के तौर पर कुछ कार्यक्रम आयोजित किए जाएं।

— ओम प्रकाश शर्मा, कलाकार

लोकगायकी का स्वरूप न बिगड़े

हिमाचल की लोकगायकी में ऐसी मिठास है कि यदि इसके रूप को न बिगाड़ा जाए तो यह अंतरराष्ट्रीय स्तर पर  कमाल दिखा सकती है।   कल्चर पालिसी बनाना सराहनीय कदम है, जिससे प्रदेश के उन छिपे कलाकारों को  मंच मिलेगा जो किसी कारणवश अपनी आर्थिक दशा के कारण भी आगे नहीं बढ़ पाते हैं। हिमाचल देवी-देवताओं की भूमि है। लिहाजा प्रदेश की संस्कृति में भी कुछ ऐसी ही झलक मिलती है,जिससे हिमाचल की लोकगायकी की मिठास सीधे दिल तक पहुंचती है। कल्चर पालिसी में अगर इसका ख्याल रखा जाए तो प्रदेश की लुप्त हो रही गायकी के लिए भी संरक्षण को लेकर कदम बढ़ाया जाए तो यह हिमाचल के लिए एक अच्छी पहल होगी।  कल्चर पॉलिसी में हर उम्र, हर वर्ग के कलाकारों को शामिल किया जाना चाहिए।

— कृष्ण लाल सहगल, लोकगायक

रियायतों पर स्थिति स्पष्ट होनी चाहिए

फिल्म निर्माण से जुड़ी शिमला की रहने वाली डा. देवकन्या ने फिल्म पालिसी बनाने के निर्णय की सराहना की है। उन्होंने कहा कि पालिसी बनाने से पहले सरकार ने स्थानीय फिल्म निर्माताओं से चर्चा की थी और उनके दिए गए सुझावों को इसमें शामिल किया गया है, परंतु अभी भी पालिसी में कुछ बाते ऐसी हैं, जो स्पष्ट नहीं हो पा रही है। इसमें से एक तो यह है कि सरकार क्या प्रतिवर्ष फिल्म निर्माताओं की सुविधाएं व रियायतें देगी या फिर एक ही बार। फिल्म निर्माण से जुड़े लोग हर साल फिल्मों का निर्माण करते हैं, इसलिए इसे स्पष्ट करना होगा कि रियायतें भी उन्हें मिलती रहें।

— डा. देवकन्या, फिल्म निर्माता

महिला निर्माताओं को और राहत मिले

शिमला के रहने वाले फिल्म निर्माता आर्यन हरनोट का कहना है हिमाचल को फिल्म नीति बनाने से एक ऐसी पहचान मिलने वाली है।   हालांकि इस नीति में महिला को निर्माता -निर्देशन में आगे बढ़ने के लिए कुछ अन्य बिंदुआें को मज़बूत किया जा सकता था, लेकिन प्रदेश में इस नीति के तहत काम होगा तो प्रदेश की कला- संस्कृति का एक बड़ी मज़बूती मिल पाएगी। हिमाचल की लोक संस्कृ ति को जितनी मज़बूती मिलनी चाहिए थी उतनी अभी तक प्रदेश को नहीं मिल पा रही थी कारण ये भी था सरकार भी इस ओर गंभीर नहीं थी। अब नीति के लिए बनाया गया है ड्राफ्ट प्रदेश में फिल्म जगत को नए आयाम दे सकता है यही नहीं बल्कि प्रदेश के उन उभरते क लाकरों क ो भी ये जीवंत कर सकता है जो इस ओर कड़ी मेहनत करते हैं और उन्हें क ोई लाभ भ्ी नहीं मिल पाता है। कलाकारों की आर्थिक दशा का मज़बूती मिल पाएगी।

— आर्यन हरनोट, फिल्म निर्माता

हिमाचल के पसंदीदा फिल्म  शूटिंग स्थल

गोबिंदसागर-बंदलाधार-नयनादेवी-शाहतलाई-रुकमणि कुंड शूटिंग के लिए बेहतर बिलासपुर जिला में भी कई पहाड़ी गीतों की एलबम के अलावा लघु फिल्मों की शूटिंग हो चुकी हैं।  गोबिंदसागर झील शूटिंग के लिए सही साइट है। इसी प्रकार  बंदलाधार पर पहाड़ी गीतों की एलबम शूट हुई है। यही नहीं, कुछ वर्ष पहले यहां पर एक बांग्ला फिल्म की शूटिंग भी हुई थी। इसके अलावा प्रसिद्ध शक्तिपीठ श्री नयनादेवी और बाबा बालकनाथ की तपोस्थली शाहतलाई में भी समय-समय पर भजन व भक्ति संगीत की एलबम की शूटिंग होती रहती है।  मार्कंडेय और रुकमणि कुंड और बच्छरेटू को भी धार्मिक पर्यटन के रूप में विकसित किया जा सकता है।

’बॉर्डर, करीब‘ और थ्री ईडियट्स में मंडी के कई सीन

जिला मंडी के कई स्थलों का कुदरत ने ऐसा शांगार किया है कि इस सुंदरता को निहारने दूर-दूर से पर्यटक खिंचे चले आते हैं। हालांकि फिल्म शूटिंग के लिहाज से मंडी जिला में गिने-चुने ही स्थल हैं जहां या तो कभी शूटिंग हुई है या उन क्षेत्रों रूपहले पर्दे पर दिखाया जा सकता है, लेकिन लगातार यहां फिल्मों की शूटिंग कभी नहीं हुई। जिला में कई ऐसी बेहतरीन घाटियां हैं, जिन्हें एक बार रूपहले पर्दे पर दिखा दिया जाए तो बस सभी उस जगह के दीदार को दौड़े चले आएंगे। फिर भी जंजैहली घाटी, बरोट और पराशर जैसे कई स्थल हैं, जिन्हें विकसित किया जा सकता है। फिल्म शूटिंग की बात करें तो बल्ह में करीब, बॉर्डर फिल्म के दृश्य फिल्माए जा चुके हैं। इसके अलावा वृणा, करीम मोहम्मद की शूटिंग जंजैहली में और जोगिंद्रनगर के मच्छयाल में मुनीमजी फिल्म के हॉट सांग पानी में जले मेरा गोरा बदन की शूटिंग हुई है। थ्री इडियट्स फिल्म में हणोगी का पुराना पुल दिखाया गया है, जबकि 1942 ए लव स्टोरी फिल्म के दृश्य पराशर और रिवालसर में फिल्माए गए हैं।

चंबा में शूट हुए ‘गदर-ताल-दिल से’ के दृश्य

प्राकृतिक सौंदर्य से लबरेज चंबा की वादियों से बालीवुड का नाता पूरी तरह टूट कर रह गया है।  सुपर डुपर हिट ताल, गदर, बेदर्दी, दिल से, पनाह व जिद्दी समेत कई फिल्मों में चंबा की वादियों से दुनिया रू-ब-रू हो चुकी है। मगर पिछले पंद्रह वर्षों से वालीबुड चंबा से पूरी तरह रुठकर रह गया है। डलहौजी, खजियार, जोत, तलेरू वोटिंग प्वाइंट, जुम्महार व चंबा में कई ऐसी लोकेशन हैं, जहां फिल्म की शूटिंग हो सकती है। मगर प्रशासनिक व सरकारी स्तर पर इन लोकेशन को डिवेलप कर बालीवुड के निर्माता- निर्देशकों को दोबारा चंबा लाने को लेकर फिलहाल कोई कवायद आरंभ नहीं हो पाई है। 

धर्मशाला का खड़ौता पहली पसंद

धर्मशाला अब मिनी मायानगरी के रूप में विश्व भर में अपनी पहचान बनाने लगी है। हिमाचल की हिमवुड इंडस्ट्री के साथ-साथ बॉलीवुड और पंजाबी पालीवुड इंडस्ट्री भी धर्मशाला में फिल्मों, एलबम, गाने और सीरियल की शूटिंग के लिए लगातार पहुंच रहे हैं। शूटिंग के लिए सबसे पसंदीदा स्थान धर्मशाला के खनियारा के खड़ौता की खूबसूरत वादियां बनी हुई है। यहां बॉक्सिंग  चैंपियन मैरीकॉम के जीवन पर आधारित प्रियंका चोपड़ा अभिनीत मैरीकॉम, रणवीर कपूर की रॉकस्टार, इमरान हाशमी-परेश रावल की राजा नटवरलाल, डिंपल कपाडि़या, दीपक तिजौरी, कुनाल राय कपूर और वीरदास की गोल तै पप्पू, जरीन खान की हम भी अकेले तुम भी अकेले, वर्ल्ड कप 1983 के हीरो कपिल देव पर बन रही  फिल्म रणवीर सिंह की 83, जिम्मी शेरगिल अभिनित फिल्म, विक्रम बतरा के जीवन पर बन रही फिल्म शेरशाह, नेशनल अवार्ड विनिगं निर्देशक संजीव रतन की पनचक्की और दो चांद सहित दर्जनों फिल्मों की शुटिगं हुई है। इसके अलावा धर्मशाला सहित आसपास की वादियों में सीरियल, एलबम, गीत और विज्ञापन फिल्मों की लगातार शूटिंग हो रही है।  जिसमें राहुल द्राविड़ सहित अन्य युवा खिलाडि़यों की धर्मशाला स्टेडियम में फिल्माई गई ऐड फिल्म काफी चर्चा का विषय रही। 

कांगड़ा जिला मेें एक से बढ़कर एक साइट

जिला कांगड़ा के प्रसिद्ध शूटिंग स्थलों में धर्मशाला, मकलोडगंज, गरली-परागपुर, खनियारा, खड़ौता, कंड़ी, इंद्रुनाग, थातरी, चाय बागान चीलगाड़ी-कुनाल पथरी, चाय नगरी पालमपुर, न्यूगल, चमोटू, नरवाणा, चामुंडा, पौंग बांध, नड्डी डल झील, बरनेट, सतोवरी, तपोवन, बैजनाथ-पपरोला, पंचरुखी, पठानकोट-जोंगिंद्रनगर रेलवे लाइन सहित धौलाधार की वादियों में बालीवुड, पंजाबी और हिमाचली गीतों की शूटिंग हो रही है। 

बालीवुड फिल्म निर्माताओं की पहली पसंद मनाली

मिनी बालीवुड के नाम से विख्यात पर्यटक नगरी मनाली में 70 के दशक से  फिल्मों की शूटिंग का दौर शुरू हुआ है, जो आज भी जारी हैं। अपनी प्राकृतिक सुंदरता के लिए विश्वभर में अलग पहचान बनाने वाला मनाली बालीवुड फिल्म निर्माता-निर्देशकों की पहली पसंद है। यहां सैकड़ों फिल्मों की शूटिंग अब तक हो चुकी है और ऐसी कई फिल्में हैं, जो सुपर हिट रहीं हैं। मनाली की वादियों में फिल्माए जाने वाली बालीवुड फिल्में सिल्वर स्क्रीन पर तो धमाल मचाती ही हैं, वहीं दर्शकों के दिलों पर भी राज करती हैं। मनाली में फिल्माई कुछ ऐसी फिल्में हैं, जो आज भी याद की जाती हैं। वर्ष 1991 में बनी फिल्म सौदागर को आज भी उसकी पटकथा और विशेष गानों ‘ईमली का बूटा, बेरी का पेड़’, ‘इलू -इलू क्या है, ये इलू इलू’ के लिए याद किया जाता है। इस फिल्म की शूटिंग कुल्लू व मनाली में की गई है। इसके अलावा फिल्म वीर जारा, अब तुम्हारे हवाले वतन साथियों, क्रिश, ट्यूब लाइट, बागी टू, एलओसी सहित सैकड़ों ऐसी वालीबुड फिल्में हैं, जिनका फिल्मांकन कुल्लू-मनाली की हसीन वादियों में किया गया है। यहां बता दें कि  जिला में मनाली के वन विहार, नग्गर, रायसन, पलचान, रोहतांग के समीप मढ़ी व कोठी में फिल्मों की शूटिंग तो होती ही है, वहीं अगर सरकार व प्रशासन यहां के ग्रामीण क्षेत्रों को थोड़ा और विकिस्ति करे तो यहां पर भी बालीवुड यूनिट दस्तक दे सकती हैं। इनमें हम्टा की वादियां,, बिजली महादेव का क्षेत्र कुल्लू की लगघाटी व बंजार की वादियों में ऐसे दर्जनों स्थल हैं, जिन्हें विकस्ति कर वालीबुड यूनिट की नजरों में लाया जा सकता है। जिला की तीर्थन घाटी की सुंदरता किसी से छिपी नहीं हैं।

कल्चर पॉलिसी से मजबूत होगी संस्कृति

हिमाचल में अब कल्चर  पालिसी बनेगी। भाषा संस्कृति विभाग के  तहत ये पालिसी बनाई जा रही है। इस पॉलिसी के तहत कलाकारों के पंजीकरण की सुविधा शुरू कर दी गई है। सभी कलाकारों को एक बेहतर मंच प्रदान किया जाए इसे लेकर ये नीति बनाई जाने वाली है।  इस पालिसी का अहम मक सद ये होगा कि इससे कलाकारों को राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर के कार्यक्रमों में प्राथमिकता देने के लिए क लाकारों का पंजीकरण किया जा रहा है, जिसके अनुरूप एक बेहतर प्रक्रिया के तहत उन्हें कार्यक्रम मिल सकेंगें। इस नीति के बनने के बाद कोई ये सवाल भी नहीं उठा पाएगा कि राज्य कलाकारों को कार्यक्रम देने में पिक एंड चूज़ की नीति अपनाई जा रही है। भाषा संस्कृति विभाग की माने तो इस नीति के माध्यम से हिमाचल में गीत संगीत ही नहीं बल्कि नाट्य विद्या को भी एक नया रूप मिल पाएगा।  इससे उन छिपे कलाकारों की जानकारी भी मालूम पड़ जाएगी जिनमें कला का हुनर होने के बावजूद भी मंच नसीब  नहीं हो पाता। इस नीति के तहत तैयार की गई रूपरेखा में ये फायदा भी होने वाला है कि कलाकार के हुनर के हिसाब से उसके कार्यक्रमों का आयोजन प्रदेश में हो पाएगा।

एक सौ कलाकारों ने करवाया पंजीकरण

हिमाचल प्रदेश के उच्च न्यायालय के दिशा-निर्देशों के अनुरूप भाषा संस्कृ ति विभाग द्वारा यह कदम उठाया जा रहा है। भाषा विभाग के मुताबिक 13 मई 2019 से पंजीकरण शुरू कर  दिया गया है, जिसमें अभी तक लगभग सौ कलाकारों ने रजिस्ट्रेशन करवा दिया है। संबंधित कलाकार अपनी विद्या का पूरा ब्यौरा देकर आवेदन कर सकते हैं।

प्रदेश को होगा बड़ा फायदा

हिमाचल प्रदेश में पहली दफा बनी इस तरह की फिल्म पालिसी उसके लिए बेहद फायदेमंद साबित हो सकती है। हालांकि  हिमाचली निर्माताओं को इसमें विशेष तौर पर प्रोत्साहित करना होगा, वहीं बॉलीवुड व अन्य क्षेत्रों में भी सरकार को प्रयास करने होंगे। इस पॉलिसी को बूस्ट मिलने से यहां पर पर्यटन कारोबार के बढ़ने का सबसे अधिक मौका रहेगा। हिमाचल की लोक संस्कृति को इससे बढ़ावा मिलेगा, जिसके बारे में यहां का युवा वर्ग भी जान सकेगा, जो कि इससे पूरी तरह से अंजान है। प्रदेश के हरेक क्षेत्र की अपनी अलग सांस्कृतिक विरासत है और इस वृहद संस्कृति को जानने का मौका युवा वर्ग को मिलेगा।

हिमाचली युवाओं को मिलेगा रोजगार

इसके साथ स्थानीय कलाकारों को और फिल्म जगत में काम करने के इच्छुक युवाओं को रोजगार का साधन मिल सकेगा, जोकि अभी तक भटक रहे हैं। पालिसी को इस तरह से बनाने का एक प्रमुख उद्देश्य राज्य के अनछुए पर्यटक स्थलों को तवज्जो देने का है। पर्यटक इनके बारे में जानें और इनकी सुंदरता को देखकर आकर्षित हों तो यहां पर रोजगार भी बढ़ेगा। यहां के अनछुए पर्यटक स्थल भी फिल्मी पर्दे पर दिख सकेंगे। ऐसे स्थान भी सामने आएंगे, जिनके बारे में कोई नहीं जानता।


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