हिमाचल के फंड पर केंद्र की कैंची

By: Jun 30th, 2019 12:15 am

बॉर्डर एरिया डिवेलपमेंट प्रोग्राम के लिए अब प्रदेश को मिलेगी कम राहत; कल्पा, पूह और स्पीति को बड़ा झटका

शिमला – मोदी सरकार ने सत्ता की वापसी के बाद बॉर्डर एरिया की फंडिंग पर कैंची चला दी है। इसका सीधा असर चीन से सटे हिमाचल के रिहायशी इलाकों पर पड़ेगा। केंद्रीय गृह मंत्रालय ने बॉर्डर एरिया डिवेल्पमेंट प्रोग्राम के तहत संबंधित राज्यों को कटौती के साथ प्लान ऑफ एक्शन को कहा है। इसके तहत केंद्रीय गृह मंत्रालय से हिमाचल प्रदेश के लिए प्रस्तावित 25 करोड़ की फंडिंग में भारी कटौती के आसार है। बॉर्डर एरिया डिवेल्पमेंट प्रोग्राम के माध्यम से हिमाचल के कल्पा, पूह तथा स्पीति घाटी को केंद्रीय गृह मंत्रालय से हर साल फंडिंग होती है। राज्य के जनजातीय विकास विभाग  ने इन तीनों क्षेत्रों के लिए 25 करोड़ 13 लाख के प्लान ऑफ एक्शन भेजे हैं। इस पर केंद्रीय गृह मंत्रालय ने आठ करोड़ के करीब प्लान भेजने के संकेत दिए हैं। इस आधार पर केंद्रीय गृह मंत्रालय अपने स्तर पर भी प्रस्तावित फंडिंग पर कैंची चला सकता है। जाहिर है कि पहली बार सत्ता संभालने के बाद मोदी सरकार ने बॉर्डर एरिया डिवेल्पमेंट प्रोग्राम के लिए फंडिंग बढ़ाने के प्रयास किए थे। इस कारण हिमाचल को भी हर साल 20 से 25 करोड़ की फंडिंग हो रही थी। अब दूसरी बार सत्ता में आई मोदी सरकार ने इस फंडिंग में कटौती का मन बनाया है। बताते चलें कि अंतरराष्ट्रीय सीमाओं से सटे राज्यों के बॉर्डर एरिया के लिए केंद्रीय गृह मंत्रालय फंडिंग करता है। हिमाचल में चीन बॉर्डर से किन्नौर तथा लाहुल-स्पीति के क्षेत्र सटे हैं। दोनों ही जिला ट्राइबल होने के कारण हिमाचल में इस फंडिंग का नियंत्रण जनजातीय विकास विभाग के पास है। हालांकि हिमाचल प्रदेश में ट्राइबल प्लान के तहत सालाना नौ प्रतिशत बजट का प्रावधान है। राज्य में जनजातीय आबादी का अनुपात 5.8 फीसदी है। बावजूद इसके प्रदेश के ट्राइबल एरिया को विकास के लिए नौ प्रतिशत बजट मिल रहा है। इसमें प्लान तथा नॉन-प्लान दोनों ही शामिल है। अहम है कि अब राज्य सरकार ने जनजातीय क्षेत्रों के बजट कांगड़ा, सिरमौर तथा प्रदेश के दूसरे जिलों में भी खर्च करना शुरू कर दिया है। इसके पीछे राज्य सरकार का तर्क है कि जनजातीय लोग प्रदेश के दूसरे हिस्सों में रह रहे हैं। इस कारण उनके विकास के लिए ट्राइबल फंडिंग नॉन ट्राइबल एरियाज में भी हो रही है।

विकास को लगेगा झटका

बॉर्डर एरिया डिवेल्पमेंट प्रोग्राम से अंतरराष्ट्रीय सीमा से सटे इलाकों को फंडिंग होती है। इससे सड़क मार्ग, पेयजल योजनाएं, शिक्षण संस्थान, विद्युत व्यवस्था अन्य मूलभूत सुविधाओं के लिए बजट का प्रावधान है। केंद्रीय मंत्रालय से मिले कटौती के संकेत के बाद राज्य के कल्पा, पूह तथा स्पीति घाटी को बड़ा झटका लग सकता है।


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