35 साल बाद लौटा स्कैब रोग

रोहडू—इस बार सेब के फलों में स्कैब रोग के लक्षण नजर आ रहे हैए हालांकि यह रोग इतना अधिक नहीं हैए और बहुत कम बगीचों में इसके लक्षण देखने में आए है। अपर शिमला के देउरी घाट, चूंजर, खड़ापत्थर, सनाबा, ननखड़ी, रोहडू के ऊंचाई वाले क्षेत्र ननखड़ी के ऊंचाई वाले क्षेत्र के अलावा मंडी जिला के थुनाग में स्कैब के लक्षण दिखाई दिए है। वहीं बागबानी विशेषज्ञों ने भी इन क्षेत्रों में जाकर स्कैब होने की पुष्टी की है।1982 में सेब कारोबार को सकैब नामक फंपूद होने पर बागबानों को मुआवजा देकर सेब को बोरियों में भरकर सरकार की ओर से नष्ट किया गया। फंगस से सेब पर होने वाला यह खतरा पहला नहीं था बल्कि उसके बाद उसके बाद कई तरह की फंफूद सेब कारोबार को नुकसान पहुंचाती रही जैसे मरसिनोना बलाच ब्लैक मौथ आदि लेकिन बागबानो वैज्ञानिकों ने चुनौती को कंट्रोल करने की पूरी कोशिश की और सफलता भी पाई। इस साल बहुत बागीचो में बहुत तादाद में ये फंफूद दिखने लगी है। प्रभावित इलाकों में फंफूदी नाशक दवाइयों की आपूर्ति के सरकार की ओर से निर्देश दिए जा चुके है।

बागबानों ने रखी फंफूदनाशक की मांग

जिला शिमला के जुब्बल से इंद्र चौहान, खड़ा पतथर, दिनेश सामटा सनाबा, सितैनदर गगटू ठाणा, सुरेंद्र पापटा, विनित तेगटा कशैनी, कबीर चौहान गुजैंदली, रामेशवर सिंह दरोटी, जिया लाल, ईश्वर सिंह, राजेश रांटा, सोनू मेहता चूंजर, जोगिनदर ने बताया कि उनके क्षेत्र के कई बगीचों में स्कैब के लक्षण बताए गए। बागबानों ने मांग उठाई कि स्कैब होने पर सरकार से फंफूदनाशक दवाईयों की मांग उठाई है। हरीश चौहान अध्यक्ष फल सब्जी एवं फूल उत्पादक संघ हिमाचल प्रदेश ने का कि संघ के आग्रह पर निदेशक उद्यान ने सभी सेब बहुल जिलों के उप निदेशकों को पूरी मॉनीटरिंग करने के आदेश जारी किए हैं हमारा सभी सेब बागबानों से आग्रह किया है कि बागबान अपने सेब बागान को समय रहते जांचते रहे कि कहीं इस तरह के लक्षण तो नहीं है अन्य बागबानों को भी जागरूक करे और अगर कहीं इस तरह के लक्षण हैं तो तुरंत बागबानी विशेषज्ञ की सलाह पर फंफूदी नाशक दवाइयों का प्रयोग करें। वहीं एमएल धीमान उप निदेशक बागबानी विभाग ने कहा की स्कैब के लक्षण दिखाई देने लगे है और बगीचों में जाकर बागबानी विभाग के एचडीओ निरीक्षण कर रहे है। स्कैब एक फंफूद है जिसकी रोकथाम समय रहते व लक्षण दिखाई देने पर असानी से की जा सकती है। इसके लिए टैबोकोनोजोल प्लस कंटाफ या डोडीन या डायथीन या इंडोफिल प्रति 200 लीटर पानी में डालकर छिड़काव करे।