अंधविश्वासी वैज्ञानिक… 

By: Jul 12th, 2019 12:06 am

सफल अंतरिक्ष यात्रा के लिए करते हैं अजीबो-गरीब टोटके

क्या ये संभव है कि वैज्ञानिक अंधविश्वासी हो? कहते हैं, किसी बड़े या छोटे काम से पहले भगवान की पूजा करनी चाहिए, लेकिन जब विज्ञान में देश का परचम लहराने वाले वैज्ञानिक ऐसा करते हैं तो सवाल उठता है कि क्या ये अंधविश्वास है या आस्था। वहीं, भारत रत्न से सम्मानित वैज्ञानिक सीएनआर राव कहते हैं कि उन्हें इसरो के पूजा की परंपरा ठीक नहीं लगती। मगर ये इसरो वैज्ञानिकों का अपना निर्णय है। भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन 15 जुलाई को चंद्रयान-2 लांच करने वाला है। इसरो वैज्ञानिक हर लांच से पहले तिरुपति बालाजी मंदिर में जाकर रॉकेट पूजा करते हैं, वहां रॉकेट का छोटा मॉडल चढ़ाते हैं, ताकि उन्हें उनके मिशन में सफलता मिले। सिर्फ भारतीय अंतरिक्ष एजेंसी ही नहीं, अमरीकी अंतरिक्ष एजेंसी नासा, रूसी वैज्ञानिक समेत दुनियाभर के वैज्ञानिक अंधविश्वास में भरोसा करते हैं और टोटके करते हैं। यूरी गैगरीन यात्रा से पहले अपने ऑफिस में रखे गेस्ट बुक में हस्ताक्षर करके अंतरिक्ष में गए थे। तब से इसे लकी चार्म मानते हुए सभी अंतरिक्ष यात्री गैगरीन के गेस्ट बुक में सिग्नेचर करके यात्रा पर निकलते हैं। रूस का बैकोनूर कॉस्मोड्रोम दुनिया का पहला और सबसे बड़ा लांचपैड है। 50 सालों से ज्यादा समय से हर सफल लांचिंग के बाद एक पौधा लगाया जाता है। बैकोनूर में इसे एवेन्यू ऑफ हीरोज कहते हैं। अंतरिक्ष यात्रा पर जाने से पहले रूसी कॉस्मोनॉट कूलिंग पाइप पर किसी महिला का नाम लिखते हैं, ताकि हादसा न हो। कहते हैं कि एक बार किसी ने ये काम नहीं किया था इसलिए हादसे में 47 लोगों की मौत हो गई थी। 24 अक्तूबर 1960 और 1963 में बैकोनूर में लांच से ठीक पहले दो बड़े हादसे हुए। इन हादसों में सैकड़ों लोगों की जान गई। इसलिए 24 अक्तूबर को कोई लांचिंग नहीं होती। 

स्पेस जाने से पहले बस के पहिए पर पेशाब

रूसी अंतरिक्ष यात्री यान में सवार होने के पहले जो बस उन्हें लांचपैड तक ले जाती है, उसके पिछले दाहिने पहिए पर पेशाब करते हैं। ये कहानी 12 अप्रैल, 1961 को शुरू हुई, जब यूरी गैगरीन अंतरिक्ष में जाने वाले थे। वे यात्रा से पहले बेहद बेचैन थे। उन्हें बहुत तेज पेशाब लगी थी। उन्होंने बीच रास्ते में बस रुकवा कर पिछले दाहिने पहिए पर पेशाब कर दिया। उनका मिशन सफल रहा। तब से यह टोटका चल रहा है।

यात्रा से पहले रोमांटिक गाने

अंतिरक्ष में जाने से पहले रूस में अंतरिक्ष यात्रियों के लिए संगीत बजाया जाता है। इसकी शुरुआत भी यूरी गैगरीन ने की थी। रॉकेट में बैठने के बाद उन्होंने मिशन कंट्रोल सेंटर से कोई संगीत बजाने को कहा। कंट्रोल सेंटर ने उनके लिए रोमांटिक गाने बजाए। तब से लेकर आज तक सभी अंतरिक्ष यात्रियों के लिए वही गाने बजते हैं जो गैगरीन के लिए बजे थे। रूसी अंतरिक्ष यात्री उस रॉकेट को तब तक नहीं देखते, जब तक वे उसमें बैठ नहीं जाते। हालांकि उनकी ट्रेनिंग सिमुलेटेड रॉकेट में कराई जाती है।

अमरीकी एजेंसी नासा में मूंगफली खाने की प्रथा

अमरीकी अंतरिक्ष एजेंसी नासा जब भी कोई मिशन लांच करती है, तब जेट प्रोप्लशन लेबोरेटरी में बैठे वैज्ञानिक मूंगफली खाते हैं। कहा जाता है कि 1960 के दशक में रेंजर मिशन छह बार फेल हुआ। सातवें मिशन सफल हुआ तो कहा गया कि लैब में कोई वैज्ञानिक मूंगफली खा रहा था, इसलिए सफलता मिली। तब से मूंगफली खाने की प्रथा चली आ रही है। लांच से पहले नाश्ते में सिर्फ अंडा भुर्जी और मांस मिलता है। ये प्रथा पहले अमेरिकी अंतरिक्ष यात्री एलन शेफर्ड और जॉन ग्लेन के समय से चली आ रही है।


Keep watching our YouTube Channel ‘Divya Himachal TV’. Also,  Download our Android App