अपने विभाग की उपसमिति से हटाईं सरवीण चौधरी

By: Jul 24th, 2019 12:09 am

टीसीपी रूल्ज में संशोधन के लिए बनी सब-कमेटी में नहीं शामिल, मंत्री महेंद्र सिंह होंगे चेयरमैन

 शिमला -प्रदेश सरकार ने प्लानिंग एंड नॉन प्लानिंग एरिया फिर से आइडेंटीफाई करने के लिए कैबिनेट सब-कमेटी बनाई, जिससे संबंधित विभाग की मंत्री सरवीण चौधरी को ही आउट कर दिया। हालांकि नियमों के मुताबिक कैबिनेट सब-कमेटी के चेयरमैन उसी मंत्री को बनाया जाता है, जो उस विभाग को देख रहे हैं। प्रदेश की जयराम सरकार में ऐसा नहीं हुआ और शहरी विकास मंत्री सरवीण चौधरी को इस कमेटी का जिम्मा नहीं सौंपा गया। यहां तक कि मंत्री को कमेटी में सदस्य भी नहीं बनाया गया। जयराम सरकार ने इस कैबिनेट सब-कमेटी का चेयरमैन आईपीएच मंत्री महेंद्र सिंह ठाकुर को बनाया है, जबकि शिक्षा मंत्री सुरेश भारद्वाज, वन मंत्री गोविंद सिंह ठाकुर और प्रधान सचिव शहरी विकास प्रबोध सक्सेना को सदस्य बनाया गया। हैरानी की बात है कि कैबिनेट सब-कमेटी में संबंधित विभाग की मंत्री सरवीण चौधरी को ही बाहर रखा गया। मसला यही नहीं है, बल्कि सरकार ने कुमारहट्टी हादसे के बाद ही प्रदेश सरकार ने प्लानिंग एरिया और नॉन प्लानिंग एरिया से क्षेत्रों को बाहर करने या न करने के लिए कैबिनेट सब-कमेटी गठित कर दी। हादसा होने के तीन दिन बाद सरकार ने कैबिनेट सब-कमेटी की अधिसूचना जारी कर दी। हालांकि प्रदेश सरकार जनता को राहत देने के लिए यह सब कुछ कर रही है, लेकिन जब-जब भी हादसे होते हैं, उसके बाद ही नई योजनाएं बनती हैं और नियमों में भी संशोधन करने की नौबत आती है। बताया गया कि कुमारहट्टी में जहां पर हादसा हुआ, वह क्षेत्र प्लानिंग एरिया में नहीं है। ऐसी ऊंची इमारत ध्वस्त होते देख प्रदेश सरकार ने प्लानिंग एरिया में कुछ क्षेत्रों को शामिल करने और कुछ को बाहर निकालने के लिए ही कैबिनेट सब-कमेटी बनाई। राज्य के प्लानिंग एरिया से किन-किन क्षेत्रों को बाहर करना है और किन क्षेत्रों को शामिल करना है, इसका फैसला कैबिनेट सब-कमेटी करेगी। प्रदेश सरकार ने आईपीएच मंत्री महंद्र सिंह ठाकुर की अध्यक्षता में सब-कमेटी गठित की है। प्लानिंग एरिया शिमला से संबंध रखने के नाते शिक्षा मंत्री सुरेश भारद्वाज को सदस्य बनाया गया। कारण यह भी है कि शिमला प्रदेश का ऐसा क्षेत्र है जो सबसे पहले प्लानिंग एरिया में शामिल हुआ। भले ही यहां भवन निर्माण के लिए एनजीटी के आदेश लागू हुए हों, मगर सरकार भी जनता को राहत देने के लिए रास्ता तलाश रही है। इसी तरह से वन मंत्री गोविंद सिंह ठाकुर मनाली विधानसभा क्षेत्र से संबंध रखते हैं। इसे देखते हुए सरकार ने उन्हें भी कैबिनेट सब-कमेटी का सदस्य बनाया है। मनाली भी ऐसा क्षेत्र है, जहां पर हर साल कंक्रीट के जंगल तैयार हो रहे हैं। मनाली भी एनजीटी के आदेशों से सेहमा हुआ है। सूत्रों के मुताबिक प्रदेश सरकार टीसीपी एक्ट-1977 में संशोधन करने की तैयारी में हैं। कैबिनेट सब- कमेटी प्रदेश के प्लानिंग एरिया और नॉन प्लानिंग एरिया के सभी पहलुओं को देखते हुए एक्ट में संशोधन की रिपोर्ट सरकार को सौंप दी जाएगी। पूर्व में बिना सोचे शामिल किए कई क्षेत्र : शहरी विकास विभाग से मिली जानकारी के मुताबिक पूर्व में बिना सोचे-समझे प्रदेश के कई क्षेत्रों ग्रामीण क्षेत्रों को प्लानिंग एरिया में शामिल कर दिया, जिस कारण आज ऐसी नौबत आ रही है। उल्लेखनीय है कि कुमारहट्टी में जो हादसा हुआ था वह क्षेत्र टीसीपी में नहीं था। यानी यहां भवन निर्माण के लिए कोई रूल लागू नहीं हैं। हैरानी की बात है कि भवन निर्माण के लिए प्लानिंग रूल यानी टीपीसी के नियम लागू कर देते हैं,मगर जनता को राहत देने की बात आती है तो विभाग भी कमेटी के फैसले का इंतजार में रहता है। प्राप्त जानकारी के मुताबिक प्रदेश के नए क्षेत्रों को टीसीपी में शामिल करने और कुछ क्षेत्रों को बाहर करने के लिए विभाग के पास अब तक 94 सुझाव आए हैं। इन्हीं सुझाव के आधार पर ही कैबिनेट सब-कमेटी फैसला करेगी। उसके बाद प्रदेश सरकार नए सिरे से नॉर्म्स तैयार करेगी। उधर, कैबिनेट सब-कमेटी अध्यक्ष महेंद्र सिंह ठाकुर ने बताया कि सरकार ने मेरी अध्यक्षता में कैबिनेट सब-कमेटी गठित कर दी है। यह कमेटी लोगों के सुझाव के आधार पर प्लानिंग और नॉन प्लानिंग एरिया के बार रिपोर्ट तैयार करेगी। उसके बाद यह तय होगा कि कौन से क्षेत्र को प्लानिंग एरिया से बाहर करना है और कौन से क्षेत्रों को नहीं। जनता को राहत देने के लिए प्रदेश की जयराम सरकार हर संभव प्रयास कर रही है।


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