अब छात्रों का दिमाग परखेगा शिक्षा विभाग

By: Jul 16th, 2019 12:02 am

शिक्षण संस्थानों में शुरू होगा जेंडर सेंसटाइजेशन प्रोग्राम, छेड़खानी के मामले कम करने को लिया फैसला

शिमला —सरकारी स्कूलों में छेड़खानी व नशे की बढ़ती प्रवृत्ति को देखते हुए शिक्षा विभाग ने जेंडर सेंसेटाइजेशन प्रोग्राम शुरू करने का फैसला लिया है। इस प्रोग्राम के माध्यम से स्कूल व कालेजों में लड़के व लड़कियों का समाज को समझने व उनमें एक-दूसरे के प्रति किस तरह की धारणा है, यह पता लगाया जाएगा। अहम यह भी है कि लड़के व लड़कियां एक-दूसरे के बारे में क्या सोचते हैं, वहीं क्या अपनी उम्र के हिसाब से ही उनकी सोच की क्षमता कार्य कर रही है, यह सब आकलन किया जाएगा। शिक्षा विभाग ने इसके लिए टीम का गठन कर दिया है। अहम यह है अगस्त माह से इसकी शुरुआत शिक्षा विभाग दो कालेजों व  दो स्कूलों से करने जा रहा है। बताया जा रहा है कि सोलन जिला के अर्की स्कूल और छोटा शिमला स्कूल में  पायलट योजना के तहत जेंडर सेंटेलाइजेशन कार्यक्रम का शुभारंभ किया जाएगा। इसके अलावा ठियोग कालेज में भी सबसे पहले इस सेंसेलाइजेशन कार्यक्रम की शुरुआत की जाएगी। हालांकि अभी विभाग एक कालेज का नाम फाइनल नहीं कर पाया है। जल्द ही दूसरे कालेज का नाम भी तय कर लिया जाएगा। यह पहली बार हो रहा है कि विभाग ने सरकारी स्कूलों में छात्रों के दिमाग के स्तर को परखने के लिए यह प्रोग्राम बनाया गया है। अगर इस योजना के परिणाम अच्छे निकलते हैं, तो विभाग सभी स्कूलों व कालेजों में इस प्रोग्राम को शुरू करेगा। इस तरह हर स्कूल में जेंडर सेंसेलाइजेशन की टीमें गठित की जाएंगी। इस टीम में स्कूल के वरिष्ठता के आधार पर शिक्षकों को रखा जाएगा। शिक्षा अधिकारियों के मुताबिक इस योजना के तहत छात्र-छात्राओं को परखा भी जाएगा। ऐसे में उनसे ऐसे भी सवाल किए जाएंगे, जिससे यह पता लगाया जा सके कि वे दूसरों के बारे में क्या सोचते हैं। जानकारी के  मुताबिक छात्राओं को इस प्रोग्राम के माध्यम से सशक्त बनाया जाएगा। वहीं, छात्राओं को छेड़खानी जैसे मामलों से कैसे बचना है, इस पर भी विस्तार से समझाया जाएगा। अधिकारी बताते हैं कि कई बार छात्राएं स्कूलों में डर के चलते कई बातें शेयर नहीं कर पाती है, ऐसे में उन छात्राओं से भी सवाल-जवाब किए जाएंगे। यहां तक की छात्राओं की अलग से काउंसिलिंग भी की जाएगी। उल्लेखनीय है कि प्रदेश के सरकारी स्कूलों में पिछले दो से तीन साल से छेड़खानी के मामलों में वृद्धि हुई है। विभाग के अधिकारी खुद मानते हैं कि स्कूलों में छात्राओं को पोक्सो एक्ट के बारे में स्कूल प्रबंधन व शिक्षक नहीं बता पा रहे हैं। यही कारण है कि विभाग की टीम अब खुद स्कूलों में जाकर इस बारे में लड़के व लड़कियों के अंतर के साथ छात्रों को जागरूक करेगी।

शिक्षाविदों ने तैयार किया प्रश्न बैंक

जेंडर सेंसेटाइजेशन में छात्रों के दिमाग के स्तर को जानने के लिए स्कूल-कालेजों के बड़े शिक्षाविदों ने प्रश्नबैंक तैयार किए हैं। इन प्रश्नबैंक  के माध्यम से छात्रों के दिमाग के लेवल को परखा जाएगा।

 


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