आनुवंशिक रोगों से बचाएगी ये जांच

By: Jul 20th, 2019 12:02 am

युवाओं की जीवनशैली में होते परिवर्तन के कारण हृदय रोगों का खतरा बढ़ जाता है। जागरूकता एवं मेडिकल सहायता से इन रोगों की सही समय पर जांच करके रोकथाम की जा सकती है। शहरों में आजकल ज्यादातर लोग हर साल मेडिकल चैकअप करवाते हैं, हृदय रोग की संभावना को पहचानकर सही समय पर इसका इलाज कराया जा सके….

युवाओं की जीवनशैली में होते परिवर्तन के कारण हृदय रोगों का खतरा बढ़ जाता है। जागरूकता एवं मेडिकल सहायता से इन रोगों की सही समय पर जांच करके रोकथाम की जा सकती है। शहरों में आजकल ज्यादातर लोग हर साल मेडिकल चैकअप करवाते हैं, हृदय रोग की संभावना को पहचानकर सही समय पर इसका इलाज कराया जा सके। आमतौर पर कार्डिएक केयर पैकेज में खून का लिपिड प्रोफाइल शामिल है, जिसमें कुल कोलेस्ट्रॉल, हाई डेंसिटी लीपोप्रोटीन कोलेस्ट्रॉल (एचडीएल,सी) लो डेंसिटी लीपोप्रोटीन कोलेस्ट्रॉल (एलडीएल,सी) ट्राईग्लिसराइड एवं वेरी लो डेंसिटी लीपोप्रोटीन कोलेस्ट्रॉल (वीएलडीएल, सी) की जांच होती है।

कोलेस्ट्रॉल बढ़ने से हृदय रोगों का खतरा

कोलेस्ट्रॉल आहार से प्राप्त होता है और यह सामान्य सेलुलर कार्य करता है, लेकिन खून में इसकी मात्रा बढ़ने से हृदय रोग का खतरा बढ़ जाता है। हमारा लिवर भी कोलेस्ट्रॉल उत्पन्न करता है। बढ़े हुए एलडीएल सी कोलेस्ट्रॉल का स्तर बढ़ने का एक सबसे आम कारण आनुवंशिक समस्या है, जिसे फैमिलियल हाइपरकोलेस्टेरोलीमिया कहते हैं। यह एलडीएलआर, पीसीएसके 9 एवं एपोबी जीन्स में पैथोजेनिक परिवर्तन के कारण उत्पन्न होने वाली आम एवं जानलेवा स्थिति है। इनमें से किसी भी जीन में म्यूटेशन क्षतिग्रस्त होने से कोलेस्ट्रॉल और मैटाबॉलिज्म खराब हो जाता है, जिससे खून में से एलडीएल,सी बाहर निकलना कम हो जाता है। खून में लंबे समय तक एलडीएल, सी कोलेस्ट्रॉल ज्यादा बने रहने से एथिरोस्क्लेरोसिस या फिर आर्टरीज में लिपिट जमा हो जाता है और उसके थक्के बन जाते हैं तथा आक्सीजनयुक्त खून की आपूर्ति कम हो जाती है। कोरोनरी आर्टरी में आर्टरी ब्लॉक होने का एक आम परिणाम कोरोनरी आर्टरी की बीमारी या फिर कोरोनरी हार्ट डिजीज है।

आसानी से हो सकता है कोलेस्ट्रॉल बढ़ने का इलाज

एफएच का इलाज लिपिड लोअरिंग थैरेपी के रूप में उपलब्ध है, लेकिन समस्या इसकी अंडरडायग्नोसिस की है। एफएच की डायग्नोसिस अनेक क्लीनिकल डायग्नोसिस मापदंडों पर आधारित है, जिसमें एलिवेटेड एलडीएल सी लेवल, हाइपरकोलेस्टीरोलीमिया या हृदय रोग का पारिवारिक इतिहास, शारीरिक जांच के परिणाम शामिल हैं। यद्यपि फेनोटाइपिक ट्रेट्स द्वारा क्लीनिकल जांच संभव है, लेकिन इस तरह की डायग्नोसिस क्वालिटेटिव होती है। ज्यादा सटीक एफएच डायग्नोसिस के लिए जेनेटिक टेस्टिंग कराई जानी चाहिए। एफएच के लिए जेनेटिक टेस्टिंग उपलब्ध है और बहुत आसान है। इसमें खून की जांच होती है, जिसमें तीन प्रमुख एफएच जीन्स में परिवर्तनों की जांच की जाती है। फैमिलियल हाईपरकोलेस्टीरोलीमिया फाउंडेशन द्वारा भेजे गए एक्सपर्ट पैनल ने हाल ही में परामर्श दिया कि जिन मरीजों में पारिवारिक इतिहास और क्लीनिकल तत्त्वों के आधार पर एफएच के लिए निश्चित या संभावित डायग्नोसिस होती है, उनकी केयर के लिए जेनेटिक टेस्टिंग अनिवार्य होनी चाहिए।

समय से जांच से हृदय रोगों का खतरा 80 फीसदी तक कम

जेनेटिक टेस्टिंग जांचे गए व्यक्तियों में एफएच की संभावना की न केवल सटीक जांच कर सकती है, बल्कि परिवार के सदस्यों में वैरिएंट्स के लिए कैस्केड स्क्रीनिंग उन्हें अनपेक्षित परिणामों से बचा भी सकती है। जेनेटिक टेस्टिंग द्वारा एफएच की समय पर पहचान दिल की समयपूर्व बीमारी की संभावना लगभग 80 प्रतिशत कम कर देती है। इसलिए इसका परामर्श हाल ही में एफएच फाउंडेशन द्वारा दिया गया। यह उन एफएच परिवारों और बच्चों की पहचान करने के लिए भी उपयोगी है, जिन्हें यह अदृश्य, जानलेवा, लेकिन आसानी से इलाज हो जाने वाली आनुवंशिक बीमारी है। सही जेनेटिक म्यूटेशन की समझ एफएच के इलाज की शुरुआत को समझने में मदद कर सकती है ताकि हृदय रोग का खतरा कम हो जाए। दिल के लिए स्वस्थ आहार के साथ एक सेहतमंद जीवनशैली, नियमित व्यायाम, धूम्रपान का त्याग एवं वजन नियंत्रित रखकर कोलेस्ट्रॉल का स्तर नियंत्रण में रखा जा सकता है। यद्यपि एफएच के मामले में लिपिड कम करने वाले एजेंट, स्टेटिन खून में लिपिड का स्तर कम करने तथा सेहतमंद जीवनशैली बनाए रखने के लिए जरूरी हैं। इसलिए समय रहते अपने शरीर की जांच करवाते रहने से इस तरह के रोगों से बचाव हो सकता है।


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